खबर लहरिया Blog Hathras: कॉलेज प्रोफेसर पर छात्राओं के साथ यौन शोषण और उनकी वीडियो बनाने का आरोप, कई शिकायतों के बाद हुआ मामला दर्ज 

Hathras: कॉलेज प्रोफेसर पर छात्राओं के साथ यौन शोषण और उनकी वीडियो बनाने का आरोप, कई शिकायतों के बाद हुआ मामला दर्ज 

शिकायतकर्ता ने अपने पत्र में लिखा, “मोदी सरकार ‘बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ’ का समर्थन करती है लेकिन इसके बाद भी ऐसे लोग बेटियों के साथ क्रूरता करते हैं। मैं इस क्रूर व्यक्ति से इतनी परेशान हूं कि कई बार मैं खुद आत्महत्या करने की सोचती हूं।”

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कॉलेज व आरोपी की तस्वीर (फ़ोटो साभार – दैनिक जागरण)

यूपी, हाथरस के कॉलेज प्रोफेसर रजनीश कुमार (54 वर्षीय) के खिलाफ कई छात्राओं के साथ यौन शोषण कर उनका वीडियो बनाने का आरोप लगाया गया है। रविवार, 16 मार्च को एक अधिकारी के बयान के अनुसार आरोपी के खिलाफ एफआईआर दर्ज करते हुए उसे सेठ फूल चंद बागला पीजी कॉलेज से निलंबित कर दिया गया है। 

आरोपी रजनीश कुमार, 13 मार्च को पुलिस द्वारा एफआईआर दर्ज करने के बाद से फरार है। आरोपी पर भारतीय न्याय संहिता की धारा 64 (बलात्कार), 68 (प्राधिकरण वाले व्यक्ति द्वारा यौन संबंध) और सूचना प्रौद्योगिकी (IT) एक्ट की धारा 66 (कंप्यूटर से संबंधित अपराध) के तहत मामला दर्ज किया गया है।

मामले को लेकर पुलिस अधीक्षक चिरंजीवी नाथ सिन्हा ने कहा, “आरोपी प्रोफेसर के खिलाफ एफआईआर औद्योगिक क्षेत्र पुलिस चौकी के इंचार्ज द्वारा दर्ज की गई है। हम उम्मीद करते हैं उसे जल्द ही गिरफ्तार किया जाएगा लेकिन फिलहाल वह पुलिस कार्यवाही की जानकारी मिलने के बाद से ही फरार है।”

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“प्लीज़ छात्राओं को बचा लो”- शिकायतकर्ता ने पत्र में लिखा

शिकायतकर्ता ने अपने पत्र में लिखा, “मोदी सरकार ‘बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ’ का समर्थन करती है लेकिन इसके बाद भी ऐसे लोग बेटियों के साथ क्रूरता करते हैं। मैं इस क्रूर व्यक्ति से इतनी परेशान हूं कि कई बार मैं खुद आत्महत्या करने की सोचती हूं।”

आगे लिखा, “प्लीज़ छात्राओं को बचा लो…….. समाज में शर्म की वजह से कोई लड़की सामने नहीं आएगी। इसलिए इस राक्षस के खिलाफ सख्त कार्यवाही करें और मेरे जैसी कई लड़कियों को न्याय दिलवाएं।”

आरोपी के खिलाफ पहले भी हुई थी शिकायत दर्ज 

मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, आरोपी कुमार जो भूगोल विभाग का प्रमुख भी था, उसके खिलाफ पिछले साल राष्ट्रीय महिला आयोग, उच्च पुलिस अधिकारियों और स्थानीय प्रतिनिधियों को गुप्त तरह से शिकायत भी भेजी गई थी।

इसके साथ ही शिकायतकर्ता ने आरोपी की अनेक छात्राओं के साथ तकरीबन एक दर्जन तस्वीरें भी भेजी थी जो उनके साथ हुए यौन शोषण का सबूत थीं। रिपोर्ट्स के अनुसार, जब आरोपी पर एफआईआर दर्ज हुई तो आरोपी के साथ छात्राओं की तकरीबन 59 वीडियोज़ भी सोशल मीडिया पर सामने आईं। 

पुलिस जांच प्रक्रिया 

इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, हाथरस शहर के पुलिस उपाधीक्षक योगेंद्र कृष्णा नारायण ने बताया कि उन्होंने इस मामले की जांच लगभग एक महीने तक की। उन्होंने तस्वीरों के ज़रिए छात्राओं को पहचानने की भी कोशिश की लेकिन उससे कुछ परिणाम नहीं निकल पाया। उन्होंने एक स्थानीय मीडिया को बताया कि, “कॉलेज प्रशासन ने मेरी जांच में पुलिस का सहयोग नहीं किया।”

इसके बाद पुलिस अधीक्षक ने जांच की ज़िम्मेदारी अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक अशोक कुमार सिंह को सौंप दी, जिन्हें प्रोफेसर के खिलाफ ज़रूरी सबूत मिले। उन्होंने अपनी रिपोर्ट एसपी को सौंपी। इसके बाद एसपी ने स्थानीय पुलिस को एफआईआर दर्ज करने और आरोपी को जल्द गिरफ्तार करने का आदेश दिया।

रिपोर्ट्स के अनुसार, कॉलेज प्रशासन इस मुद्दे पर अब भी चुप हैं। जानकारी के अनुसार, छात्रों द्वारा प्रोफेसर पर यौन शोषण के कई आरोप लगाने के बावजूद वह मामलों को दबाने में सफल रहता। यह पहला मामला है जहां आरोपी के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज की गई है। 

महिलाओं के साथ होते ये हिंसा के मामले क्राइम-हब की तरह बन गए हैं। इसमें कभी यूपी का लखीमपुर शामिल होता है तो कभी उन्नाव, हाथरस और न जाने कई। आज भी हाथरस साल 2020 में दलित युवती के साथ सामूहिक बलात्कार के लिए बहुचर्चित है जिसमें  तथाकथित उच्च जाति के लोग शामिल थे। यहां न्यायिक प्रक्रिया और कानून, दोनों लंबे समय तक आरोपी के पक्ष में दिखे। आज का हाथरस का मामला या फिर पिछला हाथरस का मामला, यह सिर्फ इसलिए चर्चा में आ पाया क्योंकि वह सोशल मीडिया पर आने में अपनी जगह बना पाया और वायरल हो गया। 

हमारा देश जहां हर नेता महिलाओं-लड़कियों की तथाकथित सुरक्षा का हवाला देते हुए अपने राज्यों को ‘महिलाओं के लिए सुरक्षित’ घोषित करता है, कभी यौन हिंसा के मामलों के सामने आने पर यह सवाल नहीं करता कि उनके दावे और उनकी सुरक्षा कितनी झूठी है।

 

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