खबर लहरिया Blog छत्तीसगढ़ के जंगलों में पाया जाने वाला ‘हर्रे का पेड़’

छत्तीसगढ़ के जंगलों में पाया जाने वाला ‘हर्रे का पेड़’

हर्रे के पेड़ की ऊंचाई 18 से 24 मीटर होती है। यह 30 मीटर ऊँचा भी हो सकता है। हर्रे के पेड़ के तने मज़बूत,लंबे,सीधे और मटमैली छाल वाले होते हैं।

'Haritaki Tree' found in the forests of Chhattisgarh

हर्रे के फल की तस्वीर जिनका आकर अंडे जैसा है व रंग हरे-हल्के पीले रंग का होता है ( फोटो साभार – सोमा/ खबर लहरिया)

छत्तीसगढ़ के जंगल वहां रहने वाले लोगों का जीवन है। वह जीवन जो जंगल से मिलने वाले पदार्थों के ज़रिये चलता है। जिन्हें जंगलों की पहचान है, उसे जगह-जगह पर हर्रे का पेड़ ज़रूर से देखने को मिल जाएगा। हर्रे का दूसरा नाम हरीतकी, हरड़,कडुक्काई करक्काया है।

हर्रे के पेड़ का अंग्रेजी नाम ‘टर्मिनलिया चेबुला’ (Terminalia chebula) है। इसे चेबुलिक मायरोबालन या ब्लैक मायरोबालन भी कहा जाता है।

'Haritaki Tree' found in the forests of Chhattisgarh

हर्रे के पेड़ के बारे में जानने की हमारी शुरुआत होती है तस्वीर में दिखाई दे रही इस जगह से। यह छत्तीसगढ़ के रायगढ़ जिले के मिलुपारा गांव की तस्वीर है। इस गांव के पास जंगल है जहां से लोग भाजी,तेंदू पत्ता,महुआ, हर्रा इत्यादि चीज़ें अपने इस्तेमाल के लिए लेकर आते हैं।

'Haritaki Tree' found in the forests of Chhattisgarh

यह है हर्रे का पेड़ जो जंगल और आस-पास के गाँवो में आपको देखने को मिल जाएगा। हर्रे के पेड़ की ऊंचाई 18 से 24 मीटर होती है। यह 30 मीटर ऊँचा भी हो सकता है। हर्रे के पेड़ के तने मज़बूत,लंबे,सीधे और मटमैली छाल वाले होते हैं।

इसके पत्ते तीन से आठ इंच लंबे होते हैं और अमरूद के पत्ते की तरह दिखाई देते हैं। अप्रैल-मई के महीने में सारे पुराने पत्ते झड़ जाते हैं और नये पत्तों को डालियों पर आने का मौका देते हैं।

अगस्त के महीने से हर्रे के पेड़ फूल देना शुरू कर देते हैं। इसके फूल छोटे होते हैं, सफ़ेद व हल्के पीले रंग में।

जानकारी के अनुसार, आयुर्वेद में हरड़ को अमृता, प्राणदा, कायस्था, विजया, मेध्या जैसे नामों से जाना जाता है।

'Haritaki Tree' found in the forests of Chhattisgarh

इस तस्वीर में बच्चे हर्रे के पेड़ पर लगे फलों को लकड़ी के लंबे डंडी की मदद से तोड़ रहे हैं। हर्रे का फल लगने के दो महीने बाद ही लोग फल को पेड़ से गिरा कर अपने घर ले लाते हैं।

'Haritaki Tree' found in the forests of Chhattisgarh

                                            हर्रे के पेड़ के सूखे फल की तस्वीर ( फोटो साभार – सोशल मीडिया)

यह है हर्रे का फल जिसका रंग हरा व पीले रंग का है। हर्रे के फल एक से दो इंच लंबे व अंडे के आकार में होते हैं। हर्रे के फल को घर लाने के बाद उसे लंबे समय तक धूप में सुखाया जाता है जब तक उसका रंग भूरा न हो जाए। सुखाने से हर्रा लंबा समय संरक्षित करके रखा जा सकता है।

यहां रहने वाले स्थानीय लोगों ने खबर लहरिया की फेलो को बताया कि हर्रे का इस्तेमाल खांसी, पेट दर्द और जब पैरों में सूझन होता है तो उस जगह पीसकर लगाया जाता है। हर्रे को हल्दी और सरसों के तेल में मिलाकर बालों में भी लगाया जाता है। यह बाल को झड़ने से रोकने में मदद करता है व बालों को काला रखने के साथ इसे बढ़ने में मदद करता है।

यहां के स्थानीय लोग सूखे हुए हर्रे को बाज़ार में भी बेचते हैं जिसका रेट 400 से 500 रूपये के बीच होता है। इससे आयुर्वेदिक दवाइयां, शैंपू, साबुन इत्यादि चीज़ें भी बनाई जाती हैं।

एनसीबीआई जर्नल में प्रकाशित रिपोर्ट के मुताबिक हर्रे से अस्थमा, गले की खराश, उल्टी, हिचकी, डायरिया, बवासीर, अल्सर, गठिया, डायबिटीज, पेशाब संबंधी दिक्कतों सहित कई बीमारियों को कम करता है और कई बीमारियों को होने नहीं देता।

कई रिसर्च में यह भी पाया गया है कि हरीतकी में एंटी-ऑक्सीडेंट्स, एंटीमाइक्रोबियल, एंटी-डायबेटिक, हेपेटोप्रोटेक्टिव, एंटी-इंफ्लामेटरी, एंटीमुटाजेनिक, एंटीप्रोलिफेरेटिव, रेडियोप्रोटेक्टिव, कार्डियोप्रोटेक्टिव, एंटीअर्थराइटिस, एंटीकैरीज, गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल इफेक्टिवनेस आदि गुण होते हैं।

जंगल में पाया जाने वाला हर्रे का पेड़ लोगों को रोज़गार, संसाधन, स्वास्थ्य इत्यादि चीज़ों में मदद करता है। जंगल, जंगल में रहने वाले व आस-पास के ही लोग इसे करीब से जानते हैं और इसके गुणों का उपयोग अपने लिए इस्तेमाल करते हैं। जंगल उसी की मदद करता है, जो उसे जानता और मानता है।

रिपोर्ट व तस्वीर – सोमा (छत्तीसगढ़ से खबर लहरिया की फ़ेलो रिपोर्टर)

 

यदि आप हमको सपोर्ट करना चाहते हैतो हमारी ग्रामीण नारीवादी स्वतंत्र पत्रकारिता का समर्थन करें और हमारे प्रोडक्ट KL हटके का सब्सक्रिप्शन लें’

If you want to support  our rural fearless feminist Journalism, subscribe to our  premium product KL Hatke   

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *