हमीरपुर जिले के भरवा सुमेरपुर के शिल्प कारीगरों की कारीगरी दूर-दूर तक फेमस है लेकिन अब यह कला धीरे-धीरे विलुप्त होती जा रही है। फेमस शिल्प कारीगर सुम्मी प्रसाद जी से बात किया तो उनका कहना है कि पहले और अब में बहुत फर्क है, पहले लोग ज्यादा इसको पसंद किया करते थे और अब कम पसंद करते हैं। वह पूरे हमीरपुर में एकलौते शिल्पकार हैं।
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बूढ़े-बुज़ुर्ग, जिनको इस कला के बारे में अच्छी जानकारी है, वह आज भी इसकी अहमियत को जानते हैं। नई पीढ़ी के लोगों को इसकी ज़्यादा जानकारी नहीं है तो वह अपने घरों में टाइल्स वगैरह ही लगवाना पसंद करते हैं। उनका कहना हैं कि आजकल के लोगों में इतनी लगन नहीं रह गयी है कि वह इस अहम कला को सीख सके। उन्होंने ऐसा इसलिए कहा क्यूंकि इस काम में बहुत मेहनत लगती हैं और अगर यह लोग 10 दिन काम करते हैं तो 10 की छुट्टी ले लेते हैं।
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उन्होंने बताया कि उनके पास दूर-दूर से आर्डर आते हैं। सबसे ज़्यादा ऑर्डर्स हरियाणा से आते है क्योंकि सुम्मी प्रसाद वहां पर अपनी कला के लिए काफी फेमस हैं। उन्होंने बताया कि उनका काम काफी अच्छा है और उनके पास कम कारीगर होने की वजह से उनके काफी सारे ऑर्डर्स पेंडिंग पड़े रहते हैं। उन्होंने ये भी कहा की इस वजह से वह कही और काम के लिए नहीं जा पाते हैं।
उन्होंने बताया कि उनके पास एकमात्र यही कमाई का साधन है, इसी से इनके घर का खर्च चल पता है। वह कहते है कि इस पीढ़ी के लोग शिल्पकला की अहमियत को नहीं समझते हैं इसलिए वह इसमें इतनी रुची नहीं रखते। इस कला को सिखने के लिए उनके पास अभी सिर्फ एक ही शिष्य हैं।
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