हमीरपुर सिटी फारेस्ट की घटना में शामिल सभी 6 आरोपियों के घरों पर 16 सितंबर को नगर निगम द्वारा बुलडोज़र चलाया गया। एसपी शुभम पटेल के अनुसार, आरोपियों के घर अतिक्रमण की श्रेणी में पाए गए हैं।
हमीरपुर के सिटी फारेस्ट में 16 अगस्त 2022 को हुई घटना में शामिल सभी 6 आरोपियों के घरों पर 16 सितंबर को बुलडोज़र चलाया गया। घटना में शामिल एक अभियुक्त अरविन्द उर्फ़ कमल निषाद जिले के नई बस्ती गौरा देवी में एक किराये के घर में अपनी माँ के साथ रहता था।
नगर पालिका द्वारा चलाये गए अतिक्रमण मामले में आरोपी अरविन्द की वजह से मकान मालिक को अपना घर भी खोना पड़ा। इस घटना के बाद स्थानीय लोगों में यह डर फैल गया कि जिन भी लोगो ने किरायदारों को रखा है उनके घरों को तोड़ दिया जाएगा। ऐसे में सभी मकान मालिक अपने घरों से किरायदारों को घर खाली करने को कह रहें हैं।
बता दें, हमीरपुर जिला एक औद्योगिक क्षेत्र है जहां पर कई फैक्ट्रियां हैं। यहां कई मज़दूर आकर काम करते हैं और किराये के घरों में रहते हैं। पर अब अफवाह के चलते किराये पर रहने वाले लोगों को घर से बाहर निकाला जा रहा है। उन्हें दूसरा घर ढूढ़ने में परेशानी आ रही है।
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10 सालों से रह रहे किरायदारों से खाली कराये जा रहे घर
खबर लहरिया ने लोगों में फैली इस अफवाह के बारे में हमीरपुर के चेयरमैन कुलदीप निषाद से बात की। उनके अनुसार, नगर पालिका द्वारा यह घोषणा करवाई गयी थी कि जिन लोगों ने 10 सालों से किरायदारों को रखा हुआ है, वह उनसे अपना मकान खाली करवाएं नहीं तो उनके मकान पर कब्ज़ा हो सकता है।
वह आगे कहते हैं कि इसका कोई आंकड़ा नहीं है कि कितने मकान मालिकों ने कितने लोगों को मकान किराये पर दे रखा है। उनका कहना था कि लोग किरायेदारों द्वारा दिए जा रहे मकान के किराये की रसीद नगर पालिका में जमा करवाएं। लेकिन किसी के भी द्वारा ऐसा कुछ नगर पालिका को नहीं जमा कराया गया है।
अवैध निर्माण के अंतर्गत तोड़े गए आरोपियों के घर
इस पूरे मामले को लेकर एसपी शुभम पटेल ने बताया कि कोतवाली सदर क्षेत्र अंतर्गत सिटी फारेस्ट की घटना के सभी आरोपियों की अचल संपत्ति का सर्वे जिला प्रशासन/नगर पालिका की टीम द्वारा किया गया था।
इसमें छह अभियुक्तों के मकान का हिस्सा सरकारी जमीन व अवैध निर्माण/अतिक्रमण की श्रेणी में पाया गया। अभियुक्त कन्हैया शर्मा पुत्र राजेश शर्मा, फजल पुत्र शकील, दानिश पुत्र शहजाद, बाबा जान पुत्र मुन्नालाल, लखन खंगार पुत्र राजू खंगार, अरविंद उर्फ कमल निषाद पुत्र मनीराम के मकानों पर जेसीबी से गिराया गया है। आरोपियों के संपत्ति कुर्क करने की प्रक्रिया चल रही है।
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क्या कहते हैं किरायेदार?
मुस्कुरा की रहने वाली रानी ने खबर लहरिया को बताया कि घटना के बाद से मकान मालिक उन पर घर खली करने को लेकर दबाव बना रहा है। वह कई दिनों से बराबर किराये का घर ढूंढ रही हैं पर दूसरा घर भी नहीं मिल पा रहा।
वह बताती हैं कि उनके पति यहां पर एक फैक्ट्री में काम करते हैं क्योंकि यह औद्योगिक क्षेत्र है, जिससे उनके बच्चों का भरण-पोषण होता है। उनके पास इतना पैसा तो नहीं है कि वह खुद का घर ले सके लेकिन इस घटना के बाद से यहां का माहौल बहुत ज़्यादा बिगड़ा हुआ है। अब किराये पर रह रहे लोगों की चिंताएं भी बढ़ गई हैं क्योंकि उन्हें कोई किराये का मकान देने के लिए तैयार नहीं है। अगर उन्हें रहने की जगह नहीं मिलेगी तो मजबूरी में उन्हें यह जगह ही छोड़नी पड़ेगी।
सुनीता हमीरपुर में तकरीबन 6 सालों से अपनी तीन बेटियों के साथ रह रही हैं। पति कुछ काम नहीं करता, इस वजह से वह रोज़गार हेतु हमीरपुर आ गयी थीं। घटना के बाद से वह चैन से सो नहीं पायीं हैं। उन्हें हर पल यह डर सताता रहता है कि कब मकान मालिक उन्हें घर खाली करने को कह दें।
यह है हमीरपुर के सिटी फारेस्ट के पूरा मामला
6 युवकों द्वारा एक युवती को अर्ध-निर्वस्त्र करके उसके साथ ज़बरदस्ती करने व पुरुष साथी से पैसों की मांग करते हुए एक वीडियो सामने आयी थी। वीडियो वायरल होने के बाद पुलिस द्वारा सभी आरोपियों पर कार्यवाही की गयी थी।
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वायरल वीडियो के बारे में जानें
वायरल वीडियो बेहद संवेदनशील है। वीडियो में आरोपी युवक और युवती को पीट रहें हैं। आरोपी युवती के साथ ज़बरदस्ती करते हुए दिखाई देती है। युवती बचाव के लिए उसे छोड़ने के लिए कह रही है। विरोध करने पर उन्हें गाली दी जा रही है और उन्हें बेल्ट-डंडो से पीटा जा रहा है। आरोपी उनसे पैसों की मांग करते हैं और पैसे न देने पर वीडियो को वायरल करने की भी धमकी दी जा रही है।
ऐसे में राज्य में चलाई जा रही महिलाओं की सुरक्षा के लिए मिशन किस काम का? जब ये संघीन क्राइम्स करने वालों में डर ही नहीं है? या तो उन्हें क्राइम करने में इस वजह से डर नहीं लगता क्योंकि वह जानते हैं कि हमारी न्याय व्यस्था कितनी धीमी है? या फिर यह मामला ज़्यादा लंबा चलने की वजह से अपने आप ही दब जाएगा ? क्या यही सरकार की महिला सुरक्षा की बातें? क्या यही न्यायिक व्यवस्था है जिस पर लोगों को विश्वास करने को कहा जाता है?
रिपोर्ट के अंत में यह बात तो साफ़ है कि सभी किरायदारों को मकान खाली करने को नहीं कहा गया है। नगर पालिका द्वारा सिर्फ उनसे ही घर खाली कराने को कहा गया है जो 10 सालों से किराये के घरों में रह रहें हैं लेकिन फिर भी लोगों में भय है। ऐसे में नगर पालिका को सामने से आकर इस बात को लोगों के सामने स्पष्ट करने की ज़रूरत है ताकि अफवाह की वजह से होने वाला नुकसान किरायेदारों को न झेलना पड़ा। उन्हें अपनी जीविका को त्याग कर किसी और शहर न जाना पड़े। वहीं एक सवाल यहां यह भी है कि क्या आरोपी अरविन्द के मकान मालिक का घर सच में अतिक्रमण क्षेत्र में बनाया गया था, जिसकी बात पुलिस द्वारा की गयी है।
इस खबर की रिपोर्टिंग श्यामकली द्वारा की गयी है।
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