H3N2 इन्फ्लुएंजा वायरस के बढ़ते संक्रमण की वजह से इस समय पुडुचेरी के स्कूलों को 16 मार्च से 26 मार्च तक के लिए बंद कर दिया गया है।
भारत में इस समय H3N2 influenza virus के कई मामले देखने को मिल रहे हैं। तमिलनाडु, दिल्ली, गुजरात और कर्नाटक सहित कई राज्यों में H3N2 वायरस के मामलों में बढ़ोतरी देखी जा रही है। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के अनुसार, कर्नाटक और हरियाणा में अब तक H3N2 इन्फ्लूएंजा वायरस से एक-एक मौत की पुष्टि की गयी है।
महाराष्ट्र में दिखे H3N2 influenza virus के मामले
महाराष्ट्र में भी H3N2 influenza virus के मामलों में बढ़ोतरी देखी गयी है। इसे देखते हुए स्वास्थ्य मंत्री तानाजी सावंत (Tanaji Sawant) ने बुधवार को कहा कि “घबराने की कोई जरूरत नहीं है” क्योंकि वायरस “घातक नहीं है और इलाज से ठीक हो सकता है”। आगे कहा कि राज्य में अब तक वायरस के 352 मामले सामने आए हैं और मरीजों का इलाज चल रहा है।
“अस्पतालों को भी अलर्ट पर रहने को कहा गया है”- आगे जोड़ते हुए यह बात कही।
पुडुचेरी में स्कूल किये गए बंद
H3N2 इन्फ्लुएंजा वायरस के बढ़ते संक्रमण की वजह से इस समय पुडुचेरी के स्कूलों को 16 मार्च से 26 मार्च तक के लिए बंद कर दिया गया है। यह निर्णय पुडुचेरी के शिक्षा मंत्री ए. नमासीवायम द्वारा लिया गया है।
लाइव मिंट की प्रकाशित रिपोर्ट के अनुसार, अभी तक पुडुचेरी में इन्फ्लुएंजा के 79 मामले पाए गए हैं। इसके साथ ही केंद्र शासित प्रदेश में अभी तक इससे संबंधित कोई भी मौतें दर्ज़ नहीं की गयी है।
सबसे पहले किसमें पाया गया H3N2 वायरस?
टाइम्स ऑफ़ इण्डिया की रिपोर्ट के अनुसार, H3N2 वायरस आमतौर पर सूअरों में फैलता है और इंसानों को संक्रमित करता है। “वायरस जो सामान्य रूप से सूअरों में फैलते हैं, वे “स्वाइन इन्फ्लूएंजा वायरस” (swine influenza viruses) होते हैं। जब ये वायरस मनुष्यों को संक्रमित करते हैं, तो उन्हें “वैरिएंट वायरस” (variant viruses) कहा जाता है,” यूएस सीडीसी (रोग नियंत्रण और रोकथाम केंद्र) ने बताया।
H3N2 वायरस को सबसे पहले साल 2010 में सूअरों में पाया गया था। वहीं मनुष्यों में यह वायरस साल 2011 में पाया गया। अगले साल, H3N2 इन्फ्लूएंजा के उपप्रकार A वायरस के फैलने की जानकारी कई जगहों से मिली।
कैसे फैलता है H3N2 वायरस?
टाइम्स ऑफ़ इण्डिया की रिपोर्ट के अनुसार, H3N2 वायरस संक्रमित सूअर से इंसानों में फैलता है। संक्रमित सूअर द्वारा खांसी या छींकने के दौरान निकलने वाले कीटाणु के ज़रिये यह इंसानों को संक्रमित करता है। इसी प्रकार जब कोई संक्रमित व्यक्ति खांसता व छींकता है तो जो कण वायु में जाते हैं व जो व्यक्ति वायु में फैले उस कण को सांस में भरता है तो फिर वह भी संक्रमण से ग्रस्त हो जाता है। इस तरह से उसके शरीर में वायरस प्रवेश करता है। लोग तभी संक्रमित होते हैं जब वह हवा में उपस्थित फ्लू के कण को सांस लेने के दौरान खुद में भर लेते हैं।
H3N2 वायरस इन लोगों के लिए सबसे खतरनाक
65 वर्ष से अधिक आयु के लोग, गर्भवती महिलाएं, 5 वर्ष से कम उम्र के बच्चे और अस्थमा, मधुमेह, हृदय रोग, कमजोर प्रतिरक्षा प्रणाली, और न्यूरोलॉजिकल या न्यूरोडेवलपमेंटल स्थितियों जैसी लम्बी बीमारी वाले लोगों को H3N2 से ज़्यादा खतरा हो सकता है इसलिए एहतियात बरतना ज़रूरी है।
H3N2 वायरस के लक्षण
यूएस सीडीसी के अनुसार, H3N2 वायरस के लक्षण मौसमी फ्लू वायरस की तरह हो होते हैं। इसमें व्यक्ति को बुखार, सांस लेने में दिक्कत, खांसी, बहती नाक व इसके आलावा अन्य लक्षण जैसे :- दर्द, उलटी, डायरिया, जी मचलना आदि शामिल है।
अगर आपको खुद में इनमें से कोई भी लक्षण नज़र आते हैं तो दवाई लेने से पहले डॉक्टर के पास ज़रूर से जाए।
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