बचपन के वे खेल जो हमें खूब भाते थे। ऐसा लगता था कि जैसे उन खेलों के लिए छुट्टियां आती थीं। लेकिन अब वो खेल कहां हैं ? आजके बच्चों को तो उन खेलों का नाम भी नहीं पता होगा। दोस्तों के साथ अक्कड़-बक्कड़ बम्बे बोल, छुपन-छुपाई, सहेलियों के साथ दोपहर में गुट्टी खेलना गिल्ली-डंडा जैसे तमाम खेल मौका मिलते ही खेलना शुरू कर देते थे। लेकिन अब यही खेल गुजरे जमाने के लगने लगे हैं। चलिए एक बार फिर इन खेलों को याद कर अपनी पुरानी यादें ताजा करते हैं, गुट्टी खेलकर। गुट्टी जो लड़कियों का सबसे पसंदीदा खेलों में से एक होता है। इस खेल को खेलने के लिए बाहर जाने की जरूरत नहीं पड़ती। पत्थर या ईंटों के पांच गोल टुकड़े से खेला जाता है। इस खेल में पत्थर के एक टुकड़े को हवा में उछालना होता है, उसके नीचे आने तक दूसरे टुकड़े को हाथ में उठाना होता है। इस खेल की अलग-अलग प्रक्रियाएं होती हैं। इसे अलग-अलग जगह कई तरीकों से खेला जाता है
जिला महोबा ब्लाक जैतपुर। कुलपहाड़ कस्बा के काशीराम कलोनी के बुर्जों ने मनूरंज करते हैं मनोरंजन होता ही है लेकिन पुरानी परंपरा भी इसमें जुड़ी हैं
क्योंकि हमेशा ही सावन के महीने में ही गोटा खेलते हैं गोटा खेलने में काफी लग ही जाता हैपथाड का सामना करना पड़ता है लेकिन घुटता खेलने में मजा आताहै फिर भी हम गोटा खेलने को नहीं मानते हैं प्रतिमा ने बताया है हम लोग सावन के महीना में खेलते हैं क्योंकि सावन का महीना हरा भरा रहता है खुशहाली का होता है ठंढामोशम भी होती है हल्की-फुल्की बूंदी भी पढ़ते हैं पहले हमारे दादी कहती थी सावन के महीने में खेले जाते हैं गोटा और बाकी के महीने में नहीं खेले जाते हैं उससे फुडिया फुंसी भी होती हैं इससे हम लोग एक महीना खेलते हैं गोटा रोशनी कहती है कि हम 3घन्टे गौटा खेलने का समय देते हैं ज्यादातर रात में खेलते हैं मजा भी हम लोगों को आता है जब हमारे सर पर गोट्टा लगते हैं तो हम लोग छुपा रहते हैं किसी से बताते नहीं हैं लगता है अगर बताएंगे तो हमें हमे नहीं खेलने देंगे सावन का महीना तो एक ही बार आता है जो गोटा खेलने का मौका मिलता है अनुज कहता है इसमें लड़की और लड़का का कुछ नहीं है हम लोग खेलते हैं जब हार जाते हैं तो अच्छा नहीं लगता है और जब जीतते हैं तो हमें बहुत खुशी होती है क्योंकि इसमें थप्पड़ भी एक दूसरे के मारे जाते हैं
प्रतिमा कहते हैं कि एक दूसरे को पीटने का मौका नहीं मिलता है गुटों में ही पीटने का मौका मिल जाता है एक दूसरे का मैं कभी गोटा खेलने में पिटाई नहीं पाती हूं मैं ही पीती हूं दूसरों को 6 -7 तरह से कोटा खेले जाते हैं महुआ चूस बरी बिनो टेढ़ी पच गोटा दशहरा यह खेलने के गोटन के नाम हैं