मध्यप्रदेश के जिले चित्रकूट से एक रहस्य्मयी नदी बहती है। जो खुद में कई राज़, किस्से और कई बरसों पुराना इतिहास छुपाए बैठी है। यूपी के ही राम घाट से लगभग 18 किमी. दूर विंध्य पहाड़ियों के पन्ना श्रेणी में एक गुप्त गुफा है। जिसे गुप्त गोदावरी के नाम से जाना जाता है। इस जगह को यूपी के सबसे दिलचस्प स्थानों में गिना जाता है। इस जगह का अपना आध्यात्मिक महत्व है। साथ ही कुछ प्राकृतिक तौर पर चौकाने वाली रहस्यमयी चीज़े भी यहां देखने को मिलती है। चित्रकूट के अन्य सभी पर्यटन स्थलों की तरह इसका भी अपना एक पौराणिक इतिहास है।
पहाड़ों के बीच है दो गुप्त गोदावरी गुफाएं
गुप्त गोदावरी गफाएँ, पर्यटकों के लिए सबसे आकर्षण का केंद्र हैं। गुप्त गोदावरी में दो रहस्य्मयी गुफाएं भी है। जिनमे से एक गुफा बड़ी और दूसरी गुफा उससे छोटी लेकिन लम्बी है। जब हम बड़ी गुफा में घुसते हैं तो हमें वहां बहुत ख़ामोशी महसूस होगी। इस गुफा में हमें पानी नहीं मिलेगा। जैसे-जैसे हम गुफा की आखिर में पहुंचेंगे, ख़ामोशी और सन्नाटा और भी बढ़ता जाएगा। गुफा के आखिरी में हमे एक तालाब मिलेगा। दूसरी गुफा में घुसने पर हमें गुफा में पानी मिलेगा। जब आप गुफाओं को गौर से देखेंगे तो वह आपको और भी ज़्यादा विचित्र लगेंगी। इन गुफाओं को कई सालों पहले प्रकृति ने अपने चमत्कार से बनाया है। जैसे-जैसे हम अंदर जाते जायेंगे, पानी हमारे घुटनों तक आ जायेगा। हमें अंदर एक अलग तरह का ही रोमांच महसूस होगा। गुफा में घूमने पर हमारे पैरों को जहां पानी नहीं है, वहां अभी पानी का एहसास होगा। जिसके पीछे क्या राज़ है, किसी को नहीं पता।
वनवास के दौरान भगवान राम यहां रुके थे
हिंदू पौराणिक महाकाव्य, रामायण में बताया गया कि भगवान राम और भगवान लक्ष्मण 14 साल के वनवास के दौरान कुछ समय के लिए इस गुफा में रुके थे। और एक दरबार भी लगाया था। इतिहासकारों के अनुसार, गुफा के भीतर की चट्टानों से गहरी नदी के रूप में उभरती हुई गोदावरी नदी नीचे एक और गुफा में बहती है और फिर पहाड़ो में जाकर गायब हो जाती है। बाद में पानी को विशाल चट्टान की छत से बाहर निकलते हुए देखा जाता है। कहा जाता है कि जहां से पानी निकलता है, वह दानव मयंक का अवशेष है। पुरानी कथाओं में कहा जाता है कि जब माता सीता नहा रही थी तब इसी राक्षस ने सीता माँ के कपडे चुराने की कोशिश की थी। तब दानव मयंक के इस हीन काम के लिए लक्ष्मण ने दानव को मौत के घाट उतार दिया था।
गुफाओं को लेकर वाल्मीकि और तुलसी का कहना
कवि और कथाकार वाल्मीकि और तुलसी ने गुफाओं के बारे में कहा कि गुफा में बहुत ही संकीर्ण रास्ते से पहुंचा जाता है। जिसमे एक समय में सिर्फ एक व्यक्ति ही जा सकता है। अंदर जाने में गुफा बड़ी होती जाती है। जहां आखिर में हमे धनुषकुंड नाम का झरना भी मिलता है। यहां हमे कई छोटे मंदिर दिखाई देंगे। हर मंदिर का अपना एक इतिहास और कहानी है। जैसे- कुछ कहानियां ऐसे शुरू होती हैं,
“उस अँधेरे चेहरे पर असुर मयंक है” या “ये दो चट्टानें थीं, जिन पर राम-लक्ष्मण बैठे थे……… ”
किस्सा: भगवान के दर्शन के लिए चित्रकूट में प्रकट हुई थीं देवी गोदावरी
गुफा से बाहर निकलने पर हमे पंचमुखी शिवलिंग की मूर्ति दिखाई देगी, जिसमें पवित्र त्रिमूर्ति- ब्रह्मा, विष्णु और शिव हैं। यह कहा जाता है कि गोदावरी नदी का जन्म महाराष्ट्र के नाशिक में 920 किमी. दूर हुआ था। यह बात भी सुनने में आती है कि देवी गोदावरी चित्रकूट में गुप्त रूप प्रकट हुई थी ताकि वह भगवान राम के रूप के दर्शन कर सकें। यह भी हो सकता है कि देवी गोदावरी को यह बात मालूम थी कि भगवान राम त्रेता युग में ऐसी किसी
गुफा में आकर वास करेंगे। यह बात कितनी सच है, यह कहा नहीं जा सकता। लेकिन इससे मिलते-जुलते किस्से हमे रामायण में काफी मिल जाएंगे। जैसे की शबरी की कहानी। शबरी को यकीन था कि भगवान राम उसे दर्शन देंगे और अपने वनवास के दौरान वह शबरी की कुटिया में जाते हैं और उसे दर्शन देते हैं।
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दुकानों पर मिलते हैं गुफा के स्मृति चिन्ह
गुफा के बाहर ज़रूरत की चीज़ों को ख़रीदने के लिए कई दुकाने भी हैं। अगर आप गुफा की कोई याद अपने साथ लेकर जाना चाहते हैं तो उसके लिए भी वहां आपको स्मृति चिन्ह, हर्बल तेल और लकड़ी से बनी हुई कलाकृतियां मिल जाएंगी। जिन्हे आप खरीदकर अपने घरों में एक याद की तरह सज़ा कर रख सकते हैं। आपके खाने के लिए भी यहां बड़ी-छोटी हर तरह की दुकाने और रेस्टोरेंट हैं। दुकानों में आपको गर्म समोसे और मीठी रबड़ी भी मिलेगी। यहां आपको खाने-पीने की कोई तकलीफ नहीं होगी।
गुप्त गोदावरी में घूमने का समय
खुलने का समय : सुबह 7 बजे से शाम के 6 बजे तक ( हर दिन खुला रहता है )
प्रवेश मूल्य : नहीं है
घूमने के लिए समय : दो से तीन घंटे
स्थान : चित्रकूट, सतना जिला ,मध्यप्रदेश ( 210205 )
इस तरह से पहुंचे
चित्रकूट बस स्टैंड से दूरी – लगभग 18 किमी.
रेलवे स्टेशन – सबसे पास रेलवे स्टेशन चित्रकूट धाम कर्वी है। यहां से गुप्त गोदावरी की दूरी सिर्फ 22 किमी. है। स्टेशन से आपको मंज़िल तक पहुंचने के लिए टैक्सी और कई यातायत के साधन मिल जाएंगे।
हवाई अड्डा – सबसे पास खजुराहों का हवाई अड्डा है। यहां से आप बस या कोई साधन लेकर गुप्त गोदावरी पहुँच सकते हैं। यातायात की अच्छी सेवाएं हैं यहां आपके लिए।
कामदगिरि, हनुमान धारा, सति अनुसुइया मंदिर और रामघाट आदि जगहें भी आप चाहें तो घूम सकते हैं। यह सारी जगहें गुप्त गोदावरी गुफा से कुछ ही दूरी पर है। हर जगह पर पहुंचने के लिए उचित साधनों का प्रबंध है। आप श्री राम राजा, स्वर्णिमा, विनोद लॉज, मन्दाकिनी सत्संग भवन और रामकृपा होटल आदि में रुक सकते हैं। गुप्त गोदावरी गुफाओं का अपना ही एक भूविज्ञान है, जिसके बारे में अभी तक किसी वैज्ञानिक को साफ़ तौर पर पता नहीं चला है। रहस्य अभी भी उतना ही गहरा और छुपा हुआ है। यह जगह फोटोग्राफरों, इतिहासकारों, भक्त, रोमांचक लोगों के लिए और उन सभी लोगों के लिए सबसे बेहतर हैं जिन्हे इतिहास के राज़ और किस्से- कहानियों को जानने में बहुत उत्सुकता होती है। यह जगह हर प्रकार के लोगों के घूमने के लिए है।
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