सरकारी हो या प्राइवेट लैब, अब मुफ्त में होगी कोरोना की जाँच – सुप्रीम कोर्ट
दुनिया के ज्यादातर देश इस समय कोरोना वायरस के खिलाफ जंग लड़ रहे हैं। इसी बीच कोरोना वायरस को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार यानी 8 अप्रैल को एक बड़ा फैसला सुनाया है। सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को कोरोना वायरस टेस्ट सरकारी या निजी लैब में मुफ्त करने का निर्देश दिया है। अब कोरोना वायरस की जांच में पैसा नहीं लिया जायेगा कोर्ट ने आदेश दिया कि मान्यताप्राप्त सरकारी या प्राइवेट लैब में कोरोना वायरस की जांच मुफ्त में होगी। इसके लिए अदालत ने केंद्र सरकार से कहा है कि वह मान्यताप्राप्त सभी लैबों को मुफ्त में कोरोना जांच करने का निर्देश दें।
सुप्रीम कोर्ट ने साथ में यह भी कहा कि कोरोना वायरस की जांच सिर्फ वहीं लैब करें जो NABL यानी राष्ट्रीय परीक्षण और अशंशोधन प्रयोगशाला प्रत्यायन बोर्ड से मान्यता प्राप्त हों या विश्व स्वास्थ्य संगठन या ICMR (इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च) से मंजूरी प्राप्त किसी एजेंसी के जरिए होनी चाहिए।
दुनिया भर के देशों में कोरोना वायरस से जो लोग पीड़ित हैं उनकी संख्या में इजाफा हो रहा है। केंद्र और राज्य सरकार भारत में लगातार इसके रोकथाम का प्रयास कर रही है लेकिन संख्या में बढ़ोतरी जारी है। ऐसी आपदा की स्थिति में लोगों से पैसा नहीं लिया जाना
Supreme Court issued following interim directions to Centre: Tests relating to COVID19 whether in approved govt laboratories or approved private labs shall be free of cost,the Apex Court said and that Centre shall issue necessary directions in this regard immediately (1/3) pic.twitter.com/p7MPMEomzk
— ANI (@ANI) April 8, 2020
आपको बता दें कि इसके पहले केंद्र सरकार ने 21 मार्च को निजी प्रयोगशालाओं को प्रत्येक कोविड-19 जांच के लिए अधिकतम मूल्य 4,500 रुपये तक रखने की सिफारिश की थी। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय की ओर से 21 मार्च की रात को इसका नोटिफिकेश जारी किया गया था। जारी गाइडलाइन के मुताबिक, कोरोना वायरस के संक्रमण की जांच के लिए अधिकतम 4,500 रुपये तक ही वसूले जा सकते थे। इसके तहत, किसी संदिग्ध मरीज की स्क्रीनिंग टेस्ट के लिए 1,500 रुपये से ज्यादा नहीं लिया जा सकता था। अगर स्क्रीनिंग टेस्ट में रिजल्ट पॉजिटिव आए और उसकी पुष्टि के लिए फिर से जांच करनी हो तो इसके लिए 3,000 हजार रुपये लिए जा सकते थे। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय की ओर से जारी आदेश में कहा गया था कि दिशानिर्देश का उल्लंघन करने वाले के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी। लेकिन अब सरकार ने जाँच फ्री कर दिया है।
सुप्रीम कोर्ट का यह फैसला काफी सराहनीय है लेकिन हर जगह मात खा जाते हैं गरीब लोग, हर जगह पहले अमीरों को ही मौका मिलता है अगर यहाँ ऐसा न हो तो शायद सबको लाभ मिल पायेगा?