पार्क में वॉशरूम के दरवाजे नहीं लगे हैं, पानी की टंकी बनी है लेकिन उसकी सीढ़ियां अधूरी हैं। यहां कर्मचारियों के लिए कोई विश्राम कक्ष नहीं है। वे कहते हैं कि देखरेख करने वाले कर्मचारियों को अब तक वेतन नहीं दिया गया है।
रिपोर्ट – सुमन, लेखन – कुमकुम
पटना जिले के नौबतपुर ब्लॉक के अंतर्गत आने वाले गांव रामपुर में हाल ही में एक सुंदर पार्क का निर्माण किया गया है। यह पार्क फरीदपुर ग्राम पंचायत के अंतर्गत आता है। इसे बनने में लगभग दो साल लगे। 21 फरवरी 2025 को इस पार्क को आम जनता के लिए खोल दिया गया, जिससे गांव के बच्चों और नागरिकों को मनोरंजन के लिए एक नई जगह मिल गई। हालांकि, इस पार्क से जुड़ी कई चीजें अभी भी अधूरी हैं। कर्मचारियों को कहना है कि उन्हें पिछले चार महीनों से वेतन नहीं मिला है।
पार्क की विशेषताएं और सौंदर्यीकरण
बात करें इसकी सुंदरता कि तो पार्क को आकर्षक तरीके से सजाया गया है। चारों तरफ घेराबंदी कर एक प्रवेश द्वार बनाया गया है, जिस पर खूबसूरत पेंटिंग की गई है। अंदर दो स्थानों पर झूले लगाए गए हैं और चार बेंच रखी गई हैं, ताकि लोग बैठकर आनंद ले सकें। इसके अतिरिक्त, पार्क के चारों ओर हरियाली बनाए रखने के लिए पौधे लगाए गए हैं, जिनकी देखरेख के लिए दो व्यक्तियों को नियुक्त किया गया है।
गांव के लोगों की प्रतिक्रिया
पार्क के समीप रहने वाली 65 वर्षीय बुजुर्ग महिला बताती हैं कि उन्होंने अपने जीवन में पहली बार इस तरह का पार्क देखा है। वे कहती हैं कि उनकी पोती रोज़ उन्हें पार्क में घूमने के लिए कहती है, और जब वे वहां जाती हैं, तो बच्चों को खेलते देखकर बहुत अच्छा लगता है। हालांकि, पार्क में प्रवेश के लिए प्रति बच्चे 5 रुपये का शुल्क लिया जाता है, जिससे कुछ लोगों को असुविधा होती है।
ऑटो ड्राइवर मोनू कुमार का कहना है कि यह पार्क सरकारी जमीन पर बनाया गया है, लेकिन इसके निर्माण में अभी भी कई कमियां हैं। पार्क में वॉशरूम के दरवाजे नहीं लगे हैं, पानी की टंकी बनी है लेकिन उसकी सीढ़ियां अधूरी हैं। यहां कर्मचारियों के लिए कोई विश्राम कक्ष नहीं है। वे कहते हैं कि देखरेख करने वाले कर्मचारियों को अब तक वेतन नहीं दिया गया है।
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पार्क में काम करने वाले कर्मचारियों की परेशानी
पार्क की देखरेख का कार्य करने वाले धीरज कुमार ने बताया कि उन्होंने मिट्टी भरने से लेकर पौधे लगाने तक का सारा काम किया है, लेकिन उन्हें अब तक एक भी रुपया वेतन के रूप में नहीं मिला। उनके साथ चंपा देवी नाम की एक महिला भी काम कर रही हैं, लेकिन वे भी वेतन न मिलने की समस्या से जूझ रही हैं। धीरज कुमार ने बताया कि वे बेहद गरीब परिवार से आते हैं और चार महीने से बिना वेतन के काम कर रहे हैं, जिससे उनके घर की स्थिति और खराब हो गई है।
गांव के लोग और संभावित घोटाले की आशंका
गांव के ही एक व्यक्ति, सौरभ, का कहना है कि पार्क के निर्माण में 30 लाख रुपये खर्च किए गए हैं, लेकिन उन्हें नहीं लगता कि इतनी बड़ी रकम में यह पार्क बना है। उनका मानना है कि इसमें अनियमितता हो सकती है। गांव में विकास हो रहा है, लेकिन उसकी पारदर्शिता पर सवाल उठ रहे हैं।
उप मुखिया का बयान
गांव के उप मुखिया अनीश कुमार ने बताया कि बिहार में पिछले 10 वर्षों से मनरेगा के तहत गांव स्तर पर पार्क बनाने की योजना चलाई जा रही है। उन्होंने कहा कि शाहपुर रामपुर में यह पहला पार्क है, जहां बुजुर्गों के लिए फुटपाथ, बच्चों के झूले, मनोरंजन के लिए ओपन जिम और पौधों की व्यवस्था की गई है। हालांकि, अभी भी कुछ कार्य अधूरे हैं, जैसे सोलर लाइट्स लगाई जानी हैं, वॉशरूम के दरवाजे लगाने बाकी हैं और कर्मचारियों को वेतन देने के लिए बजट में कमी है।
अनीश कुमार ने यह भी कहा कि पार्क की देखरेख के लिए हर बच्चे से 5 रुपये का शुल्क लिया जाता है, जिससे कर्मचारियों का खर्च कुछ हद तक पूरा किया जा सके। उन्होंने आश्वासन दिया कि जल्द ही बजट की व्यवस्था कर अधूरे कार्य पूरे किए जाएंगे और कर्मचारियों को उनका वेतन दिया जाएगा।
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