खबर लहरिया Blog विश्वभर में 370 मिलियन लड़कियों-महिलाओं, 240 से 310 मिलियन लड़कों-पुरुषों ने बचपन में किया है रेप व यौन हिंसा का सामना – UNICEF रिपोर्ट

विश्वभर में 370 मिलियन लड़कियों-महिलाओं, 240 से 310 मिलियन लड़कों-पुरुषों ने बचपन में किया है रेप व यौन हिंसा का सामना – UNICEF रिपोर्ट

रिपोर्ट बताती है कि उत्तरजीवी यानी सर्वाइवर्स अकसर यौन हिंसा से मिले ट्रॉमे को बड़े होने तक उठाते हैं। इससे उनमें यौन संचारित रोगों के फैलने का खतरा सबसे ज़्यादा होता है। साथ ही उन्हें मादक द्रव्यों के सेवन, सामाजिक अलगाव,चिंता और अवसाद जैसे मानसिक स्वास्थ्य मुद्दों के साथ-साथ स्वस्थ रिश्ते बनाने में भी चुनौतियों का सामना करना पड़ता है।

Globally, 370 million girls and women, 240 to 310 million boys and men have faced rape and sexual violence in childhood - UNICEF report.

 सांकेतिक तस्वीर ( फोटो साभार – सोशल मीडिया)

मौजूदा जीवित 370 मिलियन यानी 37 करोड़ से अधिक लड़कियां व महिलाएं 18 साल की आयु से पहले बलात्कार व यौन हिंसा का अनुभव कर चुकी हैं – इसकी अनुमानित रिपोर्ट संयुक्त राष्ट्र बाल कोष (यूनिसेफ़/UNICEF) ने हाल ही में शेयर की।

पहली बार वैश्विक व क्षेत्रीय अनुमान से पता चला कि आठ में से एक बच्चे ने यौन हिंसा का अनुभव किया है।

वहीं अगर लड़कों व पुरुषों की बात की जाए तो अनुमानित तौर पर 240 से 310 मिलियन लड़कों और पुरुषों ने भी बचपन में बलात्कार या यौन हिंसा का अनुभव किया है। 11 में से 1 बच्चे ने यौन हिंसा का सामना किया है।

यूनिसेफ़ की यह रिपोर्ट अंतर्राष्ट्रीय बालिका दिवस जोकि 11 अक्टूबर को मनाया गया था,उससे पहले प्रकाशित की गई थी।

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लड़कियों व महिलाओं से जुड़े ‘गैर-संपर्क’ हिंसा के आंकड़े

यूनिसेफ़ की रिपोर्ट के अनुसार,जब यौन हिंसा के ‘गैर-संपर्क’ रूपों जैसे कि ऑनलाइन या मौखिक व्यवहारिक हिंसा को शामिल किया जाता है, तो प्रभावित लड़कियों व महिलाओं की संख्या वैश्विक स्तर पर 650 मिलियन तक बढ़ जाती है। यानी 5 में से 1 ने हिंसा का सामना किया है।

रिपोर्ट में हिंसा व दुर्व्यहवार के प्रभावी ढंगो के समाधान और उचित कदम उठाने पर ज़ोर दिया गया है।

लड़कों और पुरुषों से जुड़े ‘गैर-संपर्क’ हिंसा के आंकड़े

रिपोर्ट बताती है कि जब लड़कों और पुरुषों के साथ हुई हिंसा के मामलों में ‘गैर-संपर्क’ हिंसा के मामलों को जोड़ा जाता है तो उसका आंकड़ा अनुमानित तौर पर 410 से 530 मिलियन के बीच पहुंच जाता है।

यूनिसेफ की कार्यकारी निदेशक कैथरीन रसेल (UNICEF Executive Director Catherine Russel) ने कहा,”यह बच्चों पर गहरा और लंबे समय तक रहने वाली चोट पहुंचाता है, वह भी अकसर उन लोगों द्वारा जिन्हें बच्चा जानता है, विश्वास करता है,उन जगहों पर जहां उसे सुरक्षित महसूस करना चाहिए।”

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इस देश में यौन हिंसा के हैं सबसे ज़्यादा मामले

आंकड़ों से यह भी पता चलता है कि बच्चों के खिलाफ यौन हिंसा भौगोलिक, सांस्कृतिक और आर्थिक सीमाओं से परे व्यापक है। उप-सहारा अफ्रीका में यौन हिंसा के मामलों की संख्या सबसे अधिक है। यहां 79 मिलियन लड़कियां और महिलाएं (22 प्रतिशत) यौन हिंसा से प्रभावित हैं।

देश अनुसार वैश्विक यौन हिंसा के मामले

उप-सहारा अफ्रीका के बाद पूर्वी और दक्षिण-पूर्वी एशिया में 75 मिलियन (8 प्रतिशत), मध्य और दक्षिणी एशिया में 73 मिलियन (9 प्रतिशत),यूरोप और उत्तरी अमेरिका में 68 मिलियन (14 प्रतिशत), लैटिन अमेरिका और कैरेबियन में 45 मिलियन (18 प्रतिशत), उत्तरी अफ्रीका और पश्चिमी एशिया में 29 मिलियन (15 प्रतिशत), और ओशिनिया में 6 मिलियन (34 प्रतिशत) यौन हिंसा के मामले हैं।

यौन हिंसा के अधिकांश मामले इस समय होते हैं

आंकड़े बताते हैं कि अधिकांश यौन हिंसा के मामले बचपन में किशोरावस्था के दौरान होते हैं। वहीं 14 से 17 साल की आयु के बीच इन मामलों में सबसे ज़्यादा वृद्धि देखी जाती है।

अध्ययन से यह भी पता चलता है कि जो बच्चे यौन हिंसा का अनुभव करते हैं, उनके साथ दोबारा या बार-बार यौन हिंसा होने की संभावना अधिक होती है।

रिपोर्ट बताती है कि उत्तरजीवी यानी सर्वाइवर्स अकसर यौन हिंसा से मिले ट्रॉमे को बड़े होने तक उठाते हैं। इससे उनमें यौन संचारित रोगों के फैलने का खतरा सबसे ज़्यादा होता है। साथ ही उन्हें मादक द्रव्यों के सेवन, सामाजिक अलगाव,चिंता और अवसाद जैसे मानसिक स्वास्थ्य मुद्दों के साथ-साथ स्वस्थ रिश्ते बनाने में भी चुनौतियों का सामना करना पड़ता है।

कुछ मौजूदा साक्ष्य (सबूत) बताते हैं कि यौन हिंसा के उत्तरजीवी पर इसका प्रभाव तब और भी ज़्यादा बढ़ जाता है, जब बच्चे अपने साथ हुई हिंसा के बारे में बताने में देरी करते हैं या उसे राज़ रखते हैं।

रिपोर्ट में कहा गया कि चुनौतीपूर्ण और बदलते सामाजिक व सांस्कृतिक मानदंड यौन हिंसा को बढ़ाने में मदद करते हैं और इसी वजह से बच्चे किसी भी तरह की मदद मांगने में हिचकिचाते हैं। ऐसे में ज़रूरी है कि ऐसा माहौल बनाया जाए, जहां सर्वाइवर्स यौन हिंसा से जुड़े मामलों के बारे में खुलकर बता सकें, जो करना सबसे बड़ी चुनौती और सवाल भी है।

 

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