सिलबट्टा: जिला गाजीपुर, ब्लॉक सैदपुर, सैदपुर रेलवे क्रॉसिंग। यहाँ के लगभग 200 परिवार आज भुखमरी के शिकार हो रहे हैं। एक समय था कि 10 से 20 किलो अनाज-चावल व 500 से ज़्यादा कमाई हो जाती थी। एक गांव में 20 से ज़्यादा चकरी जात बिक जाते थे, लेकिन जबसे टेक्नोलॉजी आई है रोजगार ही छिन गया है।
ये भी देखें – लसोड़ा का पौधा: ज़ुखाम और खांसी के लिए अमूल्य देसी नुस्खा
लोग कहते, रोजगार की इतनी मार हो चुकी है कि अब हम लोग पलायन कर रहे हैं। कहीं दूर शहर चले जाएंगे और वहां पर काम करेंगे। पैसे के आभाव में ढंग का खाना नहीं खा पा रहे हैं। कभी खिचड़ी बनाकर जीवन यापन करते हैं तो कभी भूखे सो जाते हैं। ऊपर से जिसके जमीन में झोपड़ी पट्टी लगाकर रहते हैं उसको ₹400 महीना किराया भी देना पड़ता है। थोड़ा सा लेट हो जाए किराया देने में तो धमकी देने लगते हैं कि रूम खाली कर दो। ऐसे में कैसे यहाँ रहे।
ये भी देखें – ‘गूमा का पौधा’ (Guma Plant): बुखार करे जड़ से दूर | देसी नुस्खा
एक जमाना था शाम सुबह खाना बनाने के समय घरों से सिलबट्टा पर हल्दी कूटने, मसाला पीसने की आवाजें आने लगती थी। लोग समझ जाते थे कि खाना बनने लगा है। अब मिक्सी आ गई या फिर लोग पैकेट का मसाला डालकर बना लेते हैं। गाँव की शोभा तो छीन ही गई साथ ही लोगों का रोजगार भी छिन गया है।
यदि आप हमको सपोर्ट करना चाहते है तो हमारी ग्रामीण नारीवादी स्वतंत्र पत्रकारिता का समर्थन करें और हमारे प्रोडक्ट KL हटके का सब्सक्रिप्शन लें’