बिहार का नाम जब आता है तो लूट हत्या बलात्कार और बेरोजगारी की तस्वीर दिखता है. और 1980 का दशक तो बाहुबलियों के नाम ही था. लेकिन इस समय एक और चीज फेमस थी वो थो अखफोड़वा की कहानी। जी हाँ इसी पर आधारित फिल्म थी अजय देवगन द्वारा अभिनीत फिल्म गंगाजल तो चलिए थोड़ा फ़िल्मी हो जाते हैं |
फिल्म की शुरुआत वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक आईपीएस अमित कुमार यानी अजय देवग ने बिहार में तेजपुर जिले के प्रभारी के रूप में की। स्थानीय डॉन साधु यादव और उनके बेटे सुंदर यादव के नियंत्रण में तेजपुर पुलिस के साथ यह क्षेत्र अपराध दर के लिए कुख्यात है। अमित अपने साथियों में ईमानदारी और साहस देने की कोशिश करता है, लेकिन सब व्यर्थ। साधु यादव की दबंगई और तेज़ पूर में बढ़ते अपराध को कम करने के लिए कुछ ऐसा कदम उठता है जो अपराधियों में दहशत पैदा कर देता है. वैसे ये फिल्म आपको युटुब पर आसानी से मिल जायेगी नहीं तो आप हमारे वीडियो के निचे डिपस्क्रिप्शन बॉक्स में लिंक है वहां से देख सकते है |
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अब आते है इस कहानी के पीछे की कहानी पर तो आपको पहले भी बताया ये फिल्म 1980 में हुए अखफोड़वा कांड पर आधारित है. कहते है भागलपुर जिले में जब पूरे इलाके में किसी में हिम्मत नहीं होती कि वो बाहुबलियों के ख़िलाफ़ आवाज़ उठा दे. पुलिस भी खुद को लाचार और बेबस समझने लगे तब अपराध पर काबू पाने के लिए पुलिस ने ऐसा कदम उठाया जिसका दूसरा उदाहरण ढूंढने पर नहीं मिलता. गुप्त रूप से ऑपरेशन का नाम रखा गया ‘गंगाजल।
जब मामला मीडिया में छाया तब एक तरफ अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर मानव आयोग संस्थाओं ने इसकी पुरज़ोर से निंदा की,तो वहीँ दूसरी ओर भागलपुर की स्थानीय जनता पुलिस के साथ खड़ी हो गई. जब दिल्ली से जांच करने वाली टीम भागलपुर पहुंची, तो पूरे शहर में विरोध प्रदर्षण हुआ, सड़कें जाम कर दी गई.हालांकि दोषी पुलिसकर्मियों का नाम सामने आया, कोर्ट में उनकी हाज़री हुई लेकिन आगे क्या कार्यवाई हुई ये कभी सामने नहीं आया |
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