गांधारी साग को अलग-अलग नामों से जाना जाता है जैसे – चौलाई, लाल साग, थोटाकुरा चौलाई, राजगीरा और गांधारी साग के नाम से जाना जाता है। गांधारी साग में सुनहरा, लाल, हरा और बैंगनी रंग के पत्ते भी होते हैं।
रिपोर्ट – सुमन
साग, कुछ ऐसे पत्ते जिसे सब्जी के तौर पर पका के खाया जाता है। साग स्वास्थ्य के लिए भी बहुत लाभदायक होते हैं इसलिए डॉक्टर भी हरी सब्जियां खाने को कहते हैं जिसमें साग भी आता है। साग कई तरह के होते हैं हरे, लाल, सरसो का, खेसाड़ी का और चने का। हम बात करेंगे गांधारी साग की, जिसे बनाना बहुत ही आसान है। गांधारी साग सुनने से आपको लगता होगा, ऐसा तो कोई साग नहीं सुना। आपको हम बता दें कि इस साग को अलग-अलग नामों से जाना जाता है जैसे – चौलाई (Chaulai saag), लाल साग, थोटाकुरा चौलाई, राजगीरा और गांधारी साग के नाम से जाना जाता है। गांधारी साग में सुनहरा, लाल, हरा और बैंगनी रंग के पत्ते भी होते हैं।
बिहार मे लोग इसे खेतो या अपने घर पर खाली पड़ी जगहों पर लगा देते है। गांधारी के साग को किसी फसल के साथ लगा सकते है। इसे लोग बड़े ही उत्साह के साथ बनाते हैं और चाव से खाते हैं। इसे आप सब्जी चावल रोटी या किसी के भी साथ खा सकते हैं। जिनके घरों में यह नहीं होता तो वह लोग बाजार से खरीद कर लाते हैं। अभी बरसात के मौसम में इसे हर दूसरे, तीसरे दिन लोग अपने घर बनाना पसंद करते हैं। चलिए इसे बनाने की विधि सीखतें हैं ताकि आप भी इसे घर में बना सकें और इसका स्वाद ले सकें।
गांधारी साग बनाने की विधि
गांधारी साग का आकार छोटे पान के पत्ते के जैसा होता है। इसमें जल्दी ही बीज आ जाते हैं। इसका पौधा भी काफी बड़ा होता है। साग तोड़ते समय हमेशा इनकी छोटी पत्तियों को ही साग बनाने के लिए तोड़े। साथ ही इसके बीजों को ज़रूर से साग छांटते समय अलग कर लें। साग में बीज होने से वह साग का स्वाद कड़वा कर देते हैं।
साग को चाकू से छोटा-छोटा काटिये और बनाने से पहले पानी में कई बार धोइये ताकि साग में लगी मिट्टी पूरी तरह से निकल जाए और आपको साग खाते समय कर-कर न लगे।
गांधारी साग को बनाने के लिए सबसे पहले एक कढ़ाई लें। कढ़ाई गर्म होने पर उसमें सरसों का तेल,जीरा और सूखी लाल मिर्च डालें जैसे कि तस्वीर में दिखाया गया है।
साग को अच्छे से चलाएं और साग के गल जाने के बाद उसमें स्वाद के अनुसार नमक मिलाएं। कुछ देर चलाने के बाद साग अपने आप पानी छोड़ने लगेगा। आपको अलग से पानी डालने की ज़रूरत नहीं है।
आप साग का मध्यम आंच पर 10 से 15 मिनट तक पकाएं। इसके बाद साग खाने के लिए तैयार है।
यह साग बनकर तैयार हो गया और इसे थाली में सजा दिया गया है। इसे आप किसी भी चीज के साथ खा सकते हैं। खिचड़ी, गर्म रोटी या गर्म चावल, सभी के साथ साग का स्वाद लाजवाब लगेगा।
गांधारी साग खाने के फायदे
- पाचन क्रिया मजबूत करता है। जैसे – पेट साफ़ करने में और इसे खाने से पेट में गैस नहीं बनती।
- शुगर के मरीजों के लिए अच्छा है।
- दिल से जुड़ी कई बिमारियों को ठीक करता है।
- खून की कमी को दूर करता है।
- शरीर की हड्डियों को मजबूत करता है।
- आँखों की रौशनी बढ़ाता है।
गांधारी साग में पाए जाने वाले पोषक तत्व
इसे खाने से शरीर में विटामिन ए, विटामिन सी, विटामिन बी की पूर्ति होती है। इसके साथ ही इसमें आयरन, कैल्शियम, फास्फोरस, मैग्नीज, सेलेनियम, मैग्नीजियम पाया जाता है जो शरीर के लिए काफी लाभदायक होता है। कैलोरी, प्रोटीन, वसा, कार्बोहाइड्रेट, कार्बोहाइड्रेट भी इस साग में पाए जाते हैं।
तो देर किस बात की जल्दी से अपने घर पर बनाएं और साग का स्वाद लें।
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