वाराणसी की तंग गलियों और भीड़भाड़ वाली सड़कों पर संगीता का ई-रिक्शा रोज़ाना सैकड़ों यात्रियों को उनकी मंज़िल तक पहुंचाता है, लेकिन उनकी खुद की मंज़िल अब भी संघर्षों से भरी है। पिछले चार सालों से ई-रिक्शा चला रहीं संगीता सिर्फ़ अपने लिए नहीं, बल्कि छह सदस्यों वाले परिवार की पूरी ज़िम्मेदारी भी निभा रही हैं। घर का किराया, बच्चों की पढ़ाई और रोज़मर्रा के खर्च पूरे करने के लिए उन्होंने एक सेकंड-हैंड ई-रिक्शा खरीदा, लेकिन शहर की सड़कों पर उनका सफर अब भी आसान नहीं है।
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