लखनऊ : बहुजन समाज पार्टी के पूर्व महासचिव नसीमुद्दीन सिद्दीकी और पूर्व प्रदेश अध्यक्ष राम अचल राजभर को मंगलवार, 19 जनवरी को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया गया है। नसीमुद्दीन सिद्दीकी और राम अचल राजभर ने मंगलवार को एमपी एमएलए कोर्ट में सरेंडर (आत्मसमर्पण) किया था। आत्मसमर्पण के बाद अंतरिम जमानत की अर्जी भी डाली गयी थी। लेकिन अदालत ने अंतरिम जमानत की अर्जी खारिज कर दिया। कहा जा रहा है कि आज नियमित जमानत की अर्जी पर सुनवाई हो सकती है।
संपत्ति को ज़ब्त करने का दिया आदेश
विशेष एमपी–एमएलए अदालत ने सोमवार,18 जनवरी को बीजेपी नेता दयाशंकर सिंह की बेटी और परिवार के अन्य सदस्यों के खिलाफ अशोभनीय भाषा का इस्तेमाल करने के मामले में बीएसपी के पूर्व राष्ट्रीय महासचिव नसीमुद्दीन सिद्दीकी और वरिष्ठ नेता राम अचल राजभर की संपत्ति को ज़ब्त करने का आदेश दिया है। एमपी–एमएलए कोर्ट के विशेष जज पवन कुमार राय ने यह फैसला सुनाया।जानकारी के अनुसार गिरफ़्तारी से पहले नसीमुद्दीन और राम अचल को लगातार पेशी के लिए नोटिस भी भेजे जाते थे। लेकिन दोंनो कभी भी पेश नहीं हुए।
यह है पूरा मामला
दयाशंकर सिंह की मां तेतरा देवी ने 22 जुलाई 2016 को हजरतगंज कोतवाली में एफआईआर दर्ज करवाई थी। इस मामले में नसीमुद्दीन और रामअचल राजभर के अलावा मेवालाल गौतम, नौशाद अली व एएस राव भी आरोपित पाए गए थे। आरोपियों के खिलाफ हजरतगंज पुलिस ने 12 जनवरी 2018 को न्यायालय में आरोप पत्र दाखिल किया था। जिसमें बीएसपी की अध्यक्ष मायावती का नाम भी नामांकित किया गया था। तेतरा देवी ने आरोप लगाया था कि बीएसपी अध्यक्ष मायावती ने राज्यसभा में उनके परिवार पर आपत्तिजनक टिप्पणी की थी।
हजरतगंज स्थित अंबेडकर प्रतिमा पर तत्कालीन राष्ट्रीय महासचिव नसीमुद्दीन सिद्दिकी और उस समय के प्रदेश अध्यक्ष रामअचल राजभर के नेतृत्व में बड़ी संख्या में कार्यकर्ता इकट्ठा हुए थे। प्रदर्शन में दयाशंकर की माँ तेतरा देवी की पोती और परिवार के अन्य सदस्यों के बारे में अशोभनीय टिप्पणी की गयी थी और अपशब्दों का इस्तेमाल किया गया था। आरोप यह भी है कि भीड़ को हिंसा के लिए उकसाया गया था।
आज अदालत में सुनवाई के बाद यह फैसला साफ हो जाएगा कि दोनों आरोपियों को क्या सज़ा दी जाती है। साथ ही इस मामले से भविष्य में भी अगर कोई ऐसा मामला सामने आता है तो उससे लोगों में इंसाफ की तस्वीर भी साफ होने की कल्पना की जा सकती है। साथ ही इसे एक सीख की तरह भी देखा जा सकता है कि अपशब्द बोलना किसी भी मामले में स्वीकार्य नहीं है।