खबर लहरिया Blog मानिकपुर के जंगल हैं लोगों का सहारा

मानिकपुर के जंगल हैं लोगों का सहारा

सरकार धीरे-धीरे उनसे जंगल भी छीन रही है। उसी से उनका गुज़ारा होता है। कहा कि सरकार मानिकपुर के जंगल टाइगर रिज़र्व बनवा रही है। ऐसे में जानवरों की वजह से उनके लिए जंगल जाना मुश्किल हो जाएगा और उनकी जीविका फिर से उनसे छिन जायेगी।

forests of Manikpur are the livelihood support of people

                                                                                                                    आंवले की छंटाई करती महिलाएं

चित्रकूट: मानिकुर के जंगल यहां रहने वाले आदिवासी परिवारों के लिए उनकी जीविका,आय व रोज़गार का ज़रिया है। विकास से दूर रह रहे आदिवासी परिवारों को यह जंगल भूख मिटाने के लिए फल और बेचने के लिए अलग-अलग प्रकार के उपयोगी संसाधन देता है। इस मौसम में यहां के आदिवासी परिवार जंगल से जड़ी-बूटी, बहेरा,मुहलेठी, चिरौंजी,आंवला,महुआ,फेनी पत्ता (जड़ी-बूटी) आदि चीज़ों को तोड़ते हैं और बाज़ारों में बेचते हैं। जनवरी तक जंगल इन चीज़ों से ओत-प्रोत रहता है।

जो आदिवासी परिवार जंगल के करीब रहते हैं, वह ये चीज़ें जंगल से तोड़कर लाते हैं और अपने परिवारों का भरण-पोषण करते हैं। उनका जीवन जंगल के सहारे ही चल रहा है।

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जंगल की ये चीज़ें हैं सहारा

बड़ेहर गांव की कुछ महिलाओं ने खबर लहरिया को बताया कि वह आज भी जंगल के सहारे ही अपना जीवनयापन कर रही हैं। वह जंगल से लकड़ियां तोड़कर लाती हैं और उसे बेचती हैं। बताया, इस समय ज्यादातर लोग अमरेठी और फेनी पत्ता तोड़कर बेचते हैं। फेनी पत्ता एक प्रकार की जड़ी-बूटी होती है।

गांव जमिरा कलोनी और छतैनी‌ के आदिवासी परिवारों ने बताया कि वे इस समय जंगल से आंवले भी तोड़कर लाते हैं। इसे पहले वह किसी बर्तन में उबालते हैं और फिर पूरा घर मिलकर आंवले के बीज को निकालते है। इसके बाद बीज को चार से पांच दिन धूप में सुखाया जाता है। सुखाने के बाद वे इसे मानिकपुर के बाज़ार में बेचते हैं और मिले पैसों से आटा,चावल,सब्ज़ी इत्यादि ज़रूरत की चीज़े खरीदते हैं।

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सहारा भी छीन रही सरकार

मुन्नी देवी नाम की महिला का कहना है कि सरकार धीरे-धीरे उनसे जंगल भी छीन रही है। उसी से उनका गुज़ारा होता है। कहा कि सरकार मानिकपुर के जंगल टाइगर रिज़र्व बनवा रही है। ऐसे में जानवरों की वजह से उनके लिए जंगल जाना मुश्किल हो जाएगा और उनकी जीविका फिर से उनसे छिन जायेगी।

जंगल हमेशा से लोगों के लिए एक आश्रय रहा है। जंगल में रहने वाले आदिवासी परिवार व गांव जो आज भी विकास से दूर हैं उनके लिए जंगल वरदान है और यह समय उनका है।

इस खबर की रिपोर्टिंग सुनीता देवी द्वारा की गई है। 

 

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