चित्रकूट जिला के थाना मारकुंडी क्षेत्र की एक लडकी के आत्महत्या का मामला सामने आया था। जिसे मारकुंडी थाना पुलिस ने मौके पर पहुँच कर लडकी को फांसी के फंदे से उतारकर उसकी जान बचाई। पीड़ित लडकी का आरोप है की गांव के ही पंडित जाति के लडके सुरेंद्र द्रिवेदी से मेरा प्रेम दो साल से चल रहा था। हम दोनों खुश थे वो मुझसे वादा करता था हमेशा मेरा साथ देगा।
यह भी पढ़े : गर्भपात पर बैन हटाने के लिए आयरलैंड में हुआ ‘जनमत संग्रह’
मै जाति को लेकर डरती थी मै आदीवासी जाति से हूँ और वो पंडित है ये सोंच कर डर लगता था की अगर हमारे प्यार मे रूकावट हुआ तो यही जाति बीच मे आएगी और यही हुआ जब मेरे पेट मे बच्चा आ गया। लाकडाउन की वजह से हम कहीं जा नहीं सके। न ही बच्चा गिरा सके और न कोट मैरिज कर पाए। बच्चा चार महिने का हो गया मैने सुरेंद्र से कहा क्या करें इस बच्चे का तो वो बोला मेरा बच्चा है।
तो मेरा ही नाम दोगी न तुम सतना जाकर सोनिओग्राफी करा आओ। मैं सितम्बर में सतना जाकर अकेले सोनिओग्राफी कराई और जब सुरेंद्र से बात करनी चाही तो फोन बंद था। लगातार फोन लगाती रही दूसरा दिन आ गया लेकिन फोन नहीं लगा। तब मैं दूसरे दिन उसके घर गई वहां पूंछा तो उसके चाचा मुझे गालीगलौज देने लगे। मैं वापस आ गई दूसरे दिन सुरेन्द्र के पिता ने मुझे बुलाया बच्चा गिराने को कहा मैंने मना कर दिया तो मुझे अंदर बंद करके जबर्दस्ती दवा खिलाई और मेरे बच्चे दानी में दवा रखी मुझे 24 घंटे बंद करके रखा।
यह भी पढ़े :भारत में हर साल 1 करोड़ महिलाएं गुप्त रूप से कराती हैं गर्भपात
जब मेरा बच्चा गिर गया तो छोड़ा मेरी चार महीने की बच्ची को दुनिया मे आने से पहले मार डाला। घर आकर ये सारी बाते मैने घर मे बताई तो घर वालों ने चुप रहने को बोला। कहा हम उनसे नहीं लड़ सकते तुम भूल जाओ सब।हम सब बोलेंगे तो हमें मार डालेगे। मैं भी यही सोच कर चुप हो गई लेकिन मेरा गांव में निकलना मुश्किल कर दिया था जब भी देखते कहते तेरी औकात है हमारी बहू बनने चली थी।
अब हमने सबूत भी खत्म कर दियाक्या कर लेगी।मैं तंग आकर अपनी जान देने चल दी थी। मैंने सोचा घर मे आत्महत्या करूंगी तो घर वाले फंस जाएंगे इसलिए मै कही जाकर मर जाती लेकिन संपत पाल का नाम मुझे एक महिला ने बताया मै हिम्मत करके उनके पास गई उन्होंने मेरी रिपोर्ट लिखाई। लेकिन बहुत दौडने बाद रिपोर्ट लिखी गई 13 नवम्बर को पुलिस मुझे मेरे घर छोड गई।
उसके बाद भी लड़के वाले हमें धमकी देते रहे जान से पूरे परिवार को मार देंगे पुलिस हमारा कुछ नहीं कर सकती। हम सब खरीद लेंगे विधायक हमारा रिश्तेदार है। तब मैने सोचा क्या करूंगी जिंदा रह कर मेरी जिंदगी तो बर्बाद हो ही गई है। मेरी वजह से मेरा परिवार खतरे में है। मै ही नहीं रहूंगी तो सब ठीक हो जाएगा इसलिए मै 17 नवम्बर को सुरेंद्र के ही घर मे फांसी लगाने गई। लेकिन बहन ने फोन कर दिया और पुलिस आकर हमें बचा ली।
यह भी पढ़े :दलित गर्भवती महिला की हत्या, कारण? ठाकुरों की बाल्टी छू दी