बाँदा जिले के तिंदवारी क्षेत्र के गाँवों के बहुत से मछुआरें ऐसे हैं जो गुजरात ठेके पर मछली का शिकार करने जाते हैं। सिंघौली के रहने वाले विनोद कुशवाहा का बेटा राजू और महेदु का प्यारेलाल का बेटा बाबू ने हमें बताया कि 9 नवंबर 2017 को गुजरात के ओखा बंदरगाह के पास समुद्र में वह मछली का शिकार कर रहें थे। अचानक से तेज़ बेकाबू हवा आई और उन्हें बहाकर पाकिस्तान की समुन्द्र सीमा पार ले गयी। पाक सैनिक उन्हें पकड़ पाकिस्तान ले गए।
मछुआरों के मुताबिक उनके साथ मारपीट तो नहीं की गयी लेकिन हाँ, सवाल बहुत पूछे गए। पहले 1 दिन कराची में और अगले दिन लाडी जेल ले गए। वहां उन सभी ने 4 साल 3 महीना बिताया। पाकिस्तान जेल से रिहा होने के बाद रविवार, 29 जनवरी की शाम को वह अपने-अपने घर पहुंचे।
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मछुआरे अपने माता-पिता और अपने परिवार से मिलकर खुश थे। उन्होंने उनके चरण छूकर आशीर्वाद लिया। राजू की मां मीरा देवी ने बताया कि 18 साल की उम्र में मेरा बेटा कमाने के लिए गुजरात गया था। समुद्र में मछली पकड़ने का काम करता था। पाकिस्तान का बॉर्डर पार हो जाने की वजह से पाक सैनिक ने सभी को पकड़ लिया। उनसे बहुत पूछताछ की। मेरा कमाऊ बेटा 4 साल 3 महीना जेल काट कर आया है। जब पाकिस्तान के सैनिक ने मेरे बेटे को पकड़ लिया था तब मुझे जानकारी मिली थी। मुझे रात दिन नींद नहीं आती थी और रो-रोकर मेरा बुरा हाल था। मैं भगवान से प्रार्थना करती थी कि मेरा बेटा कब आएगा। जब मुझे छूटने की जानकारी मिली तो बहुत खुशी हुई। मैंने अपने बेटे से गले मिलकर उसे मीठा खिलाया और आशीर्वाद दिया।
मीरा देवी का यह भी कहना है कि गुजरात के बहुत से मछुआरे ऐसे ही पकड़े गए थे और उन्हें 44 लाख रूपये भी दिए गए थे। फिर यूपी के मछुआरों को यह पैसे क्यों नहीं दिए गए। वैसे भी 5 साल बाद मछुआरों को रिहा कर दिया जाता है। उन्होंने कोई ऐसा-वैसा काम भी नहीं किया है जो उनको न छोड़ा जाए। उनका सरकार से निवेदन है कि उनके बेटे को भी मुआवज़ा दिया जाए।
इस मामले में तिंदवारी थाने के मुंशी अर्जुन सिंह ने बताया कि 29 तारीख को व्यक्ति पाकिस्तान जेल से रिहा होकर वापस आया है। वह वहां पांच साल था और उसके साथ वहां किसी भी तरह का ज़ुल्म नहीं हुआ है।
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