जिला चित्रकूट के ब्लॉक मऊ और मानिकपुर के गाँव की महिलाएं जंगल से जड़ीबूटी तोड़ कर लाती थीं और बजार में बेचकर अपना घर चलाती थीं लेकिन पिछले महीने बरगढ़ घाटी के जंगल में लगी आग के कारण जड़ीबूटियों के सारे पेड़-पौधे जलकर ख़ाक हो गए हैं, जिसके कारण इन महिलाओं का रोज़गार पूरी तरीके से छिन गया है। आग लगने के कुछ ही दिन बाद ही कोरोना संक्रमण के चलते हर जगह लॉकडाउन लगा दिया गया था, जिसके कारण अब ये लोग बाहर जाकर भी कोई काम नहीं ढूंढ पा रहे हैं। आग लगने से पहले ये महिलाएं जंगल से फेनी की पत्ती , घुघची, बहेरा , मुलेठी, चिरौंजी, अमरेठी आदि जड़ीबूटियां तोड़कर अपने परिवार का पेट पाल लेती थीं।
यहाँ रह रहे लोगों का कहना है कि कोटे में जो राशन मिलता है वो भी इतना नहीं होता कि पूरा महीने चल जाए और 10-15 दिनों में ही ख़तम हो जाता है। लॉकडाउन के कारण इन लोगों को कहीं मज़दूरी का काम भी नहीं मिल रहा है जिससे इनका गुज़ारा हो सके। अब ये लोग चटनी-रोटी खाकर जैसे-तैसे अपना और अपने बच्चों का पेट पाल रहे हैं। ऐसे में सवाल यह उठता है कि आखिर कबतक यह लोग बिना रोज़गार के सिर्फ कोटे के राशन के सहारे अपना जीवन व्यतीत करेंगे?
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