नमस्कार दोस्तों, दोस्तों सबसे बड़े त्यौहार दिवाली की खुशियों का महा मौसम चल रहा है। दिए, लाइट्स, मोमबत्ती, व्यंजन और मिठाइयां सबकी भरमार है। और इसी खुशी के रंग में भंग मिला रहे हैं पटाखों की आवाजें और जीना मुश्किल कर रहा है पटाखों से निकलने वाला धुवां और फैलने वाला प्रदूषण। हम अयोध्या के दीपोत्सव रिकार्ड की भी बात करेंगे
आज तक की एक रिपोर्ट के हिसाब से देश के दिल दिल्ली का वायु गुणवत्ता सूचकांक AQI ‘बेहद खराब’ स्थिति में पहुंच चुका है। सफर इंडिया एयर क्वालिटी सर्विस के मुताबिक 24 अक्टूबर यानि दिवाली की शाम दिल्ली का औसत वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) 323 दर्ज किया गया. वहीं, नोएडा का इससे भी ज्यादा बुरा हाल है। यहां AQI 342 दर्ज हुआ है, जो बेहद खराब श्रेणी में आता है। जबकि दिल्ली की सरकार ने पटाखे छोड़ने पर जुर्माने और जेल की सजा का प्रावधान बना रखा था। अब जब स्थिति इतनी खराब हो गई है तब पटाखों में रोक लग गई है।
बता दें कि शून्य से 50 के बीच AQI अच्छा, 51 से 100 के बीच ‘संतोषजनक’, 101 से 200 के बीच ‘मध्यम’, 201 से 300 के बीच ‘खराब’, 301 से 400 के बीच ‘बहुत खराब’ और 401 से 500 के बीच AQI ‘गंभीर’ माना जाता है।
मेरी एक सहेली जो दिल्ली में ही रहती हैं। आइये जानते हैं दिल्ली के हाल।
दिवाली के दिन मैं गुड़गांव में अपनी एक सहेली के घर दिवाली मनाने गई थी 8 बजते ही वहां पटाखों का ऐसा शोर की मानों बगल में ही तेज गड़गड़ाहट के साथ बिजली गिर रही हो. दोनों कानों में ऊँगली डाले हम और हमारी सहेली घर में बैठे थे, खिड़की दरवाजे सब बंद कर दिए गए ताकि शोर काम हो जाए, लेकिन फिर भी लगभग 11 बजे तक उतना ही शोर होता रहा. किसी तरह बचते -बचाते लोग घूमने निकले। मंदिर में दिया जलाने पहुंचे तो मंदिर के पास इतना पटाखों का शोर मानों 10 मिंट के लिए कान सुन्न हो गया. कुछ सुनाई नहीं दे रहा था. बहुत देर बाद सब नॉर्मल लगा तो हम घर आये. सरकार एक तरफ कहती है की पटाखों पर बैन लगाया गया है लेकिन कहाँ अगर बैन है तो ये पटाखे कहाँ से आ रहे हैं, इनको रोकने वाला कोई क्यों नहीं है? किसी के घर में अगर कोई मरीज हो तो इस शोर से तो इंसान जीते जी मर जाएगा।
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आइये अब ले चलती हूं आपको अयोध्या। वहां पर साल दर साल दिए जलाने के रिकार्ड तोड़े जा रहे हैं। इस बार तो भैया स्वयं प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी भी उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के साथ वोट तलाशने का अवसर ढूढने निकले थे क्योंकि लोकसभा चुनाव के दिन अब डोर नहीं। पूरी अयोध्या नगरी दियों से जगमगा उठती है और वहां का नजारा देखते ही बनता है। यह नजारा सब देखना चाहते हैं लेकिन कभी यह भी सोचा है कि कितना मुश्किल भरा है यहां तक पहुंचना और अगर आप एक महिला और लड़की है तो हज़ार गुना मुशीबतें बढ़ जाती हैं। इस बार भी कुमकुम पहुंचीं थीं वहां पर रिपोर्टिंग करने। आये सुनते हैं उनके स्पीरियन्स।
23 अक्टूबर की रात 8 बजे मैं और मेरी फ्रेंड भी दीपोत्सव में गए। इतनी भीड़ थी कि हम लोग बाल-बाल बचे। हमारे चप्पल छूट गए हमारे साथ बदतमीजी हुई अयोध्या एक धर्म नगरी माना जाता लेकिन ऐसे लोग भी आते कि धर्म का मजाक उड़ाते हैं। ना कोई बैनर ना कोई सुरक्षाकर्मी सुरक्षाकर्मी सिर्फ किसके लिए थी प्रधानमंत्री के लिए आम जनता के लिए कोई भी नहीं कई ऐसे लोग कई ऐसी महिलाएं चोटिल भी हो गए इस भीड़ में लेकिन सरकार को इससे कोई फर्क नहीं पड़ा ना ही सरकार का इस पर ध्यान भी गया होगा 11:30 बजे तक नेटवर्क ही नहीं चला किसी तरह हम लोग अयोध्या में जाकर दीप उत्सव में नहीं पहुंच पाए और दोबारा रिटर्न होना पड़ा।
सुना आपने, ये हाल है। ये ताम झाम, अरबों खरबों खर्चे किसके लिए हैं? लड़कियों और महिलाओं के लिए ये धार्मिक कार्यक्रम इतने असुरक्षित क्यों? दूसरी तरफ प्रदूषण रोकने में सरकार असफल क्यों? इसकी जिम्मेदारी सिर्फ सरकार ही नहीं मैं, आप और हम सब। इसको रोकने की जिम्मेदारी हम सबकी क्यों नहीं? दीवाली में ये सब बवाल क्यों? इन मामलों पर आपकी राय क्या है सोचिएगा जरूर। और हां, कमेंट करके जरूर बताएगा।
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