उत्तर प्रदेश: लखनऊ में आशियाना के लोकबंधु राजनारायण अस्पताल में 14 अप्रैल की रात करीब 9:30 बजे आग की घटना के बाद मरीजों की भर्ती बंद कर दी गई है। ओपीडी में मरीज देखे जा रहे हैं। ज्यादातर पैथोलॉजी व रेडियोलॉजी जांचें भी ठप हो गई हैं। मरीजों को तीन दिन की ही दवा देने के निर्देश दिए गए हैं। साथ ही अस्पताल में भर्ती सभी 225 मरीजों को बलरामपुर, सिविल, डफरिन, लोहिया व केजीएमयू में भर्ती कराया गया। बहुत से मरीजों को घर जाने की सलाह दी गई थी। आग की वजह से अस्पताल में काफी सामान जल गया। मरीजों के इलाज संबंधी दस्तावेज, दवाएं, पैथोलॉजी जांच में इस्तेमाल होने वाले रसायन, किट व उपकरण आदि फुंक गए हैं।
स्टाफ ने दिखाया साहस
घटना के वक्त कई मरीज इलाजरत थे जिनमें बुज़ुर्ग और ICU में भर्ती गंभीर मरीज भी शामिल थे। कई मरीजों को स्ट्रेचर और व्हीलचेयर पर बाहर निकाला गया। अस्पताल स्टाफ, खासकर नर्सों और वार्ड ब्वॉयज़ ने अपनी जान की परवाह किए बिना लोगों को बाहर निकालने में पूरी मदद की। दमकल विभाग को तुरंत सूचना दी गई और जब तक वे पहुंचे तब तक कई कर्मचारियों ने प्राथमिक कोशिशें खुद ही शुरू कर दी थीं।
टली बड़ी दुर्घटना
फायर ब्रिगेड की कई गाड़ियां थोड़ी ही देर में मौके पर पहुंच गईं और एक घंटे की कड़ी मेहनत के बाद आग पर पूरी तरह काबू पा लिया गया। फायर कर्मियों की तत्परता और टीमवर्क की बदौलत अस्पताल के बाकी हिस्सों को बचा लिया गया और किसी बड़ी अनहोनी से हालात बच गए। घटना के दौरान बिजली सप्लाई काट दी गई थी ताकि आग और न फैले।
आग लगने का कारण साफ नहीं
अभी तक यह साफ नहीं हो पाया है कि आग किस कारण से लगी। शुरुआती अनुमान शॉर्ट सर्किट की ओर इशारा करते हैं, लेकिन कोई भी अधिकारी कुछ कहने को तैयार नहीं है। जांच के लिए एक टीम गठित कर दी गई है और सीसीटीवी फुटेज खंगाले जा रहे हैं। अस्पताल प्रशासन और जिला अधिकारी इस पूरी घटना को गंभीरता से ले रहे हैं और हर पहलू की जांच हो रही है।
किसी के हताहत होने की सूचना नहीं
इस भयावह घटना के बावजूद सबसे बड़ी राहत की बात यह रही कि किसी को कोई चोट नहीं आई और कोई जान-माल का नुकसान नहीं हुआ। सभी मरीजों को सुरक्षित बाहर निकाल लिया गया और कई को एहतियातन दूसरे अस्पतालों में शिफ्ट भी किया गया। प्रशासन ने मौके पर कैंप लगाकर तुरंत चिकित्सा और सहायता उपलब्ध कराई।
चश्मदीदों की जुबानी
अस्पताल में मौजूद कई लोगों ने बताया कि फायर अलार्म जैसी कोई व्यवस्था नहीं थी या काम नहीं कर रही थी। मरीजों के परिजनों ने कहा कि आग के शुरुआती लक्षण दिखने के बाद काफी देर तक कोई अधिकारिक घोषणा नहीं हुई। कुछ लोगों ने अस्पताल की फायर सेफ्टी पर सवाल उठाए जैसे कि अग्निशमन यंत्र काम नहीं कर रहे थे या जगह-जगह धूल में पड़े थे। ये सब बातें अब जांच के दायरे में हैं।
प्रशासन की सख्ती
जिलाधिकारी और स्वास्थ्य विभाग ने इस घटना को गंभीर मानते हुए सख्त कदम उठाने के संकेत दिए हैं। मुख्यमंत्री ने भी प्रशासन को रिपोर्ट माँगी है और सभी अस्पतालों में फायर सेफ्टी ऑडिट के आदेश दिए हैं। अब सभी सरकारी और निजी अस्पतालों में अग्निशमन उपकरण, अलार्म सिस्टम और कर्मचारियों की ट्रेनिंग अनिवार्य की जा रही है ताकि भविष्य में ऐसी किसी भी घटना से पूरी तैयारी के साथ निपटा जा सके।