जिला चित्रकूट के ब्लाक मऊ में मौजूद बरगढ़ घाटी जंगल में लगी आग से कलचिहा गाँव के लोगों को बहुत परेशानियां झेलनी पड़ रही हैं। यह आग 15 दिन में कई बार लग चुकी है जिससे पूरा जंगल जल के राख हो चूका है। और इसका सबसे ज़्यादा भुगतान इस गाँव में रह रहे आदिवासी परिवार उठा रहे हैं। यह आदिवासी लोग जंगल से जड़ी-बूटियां तोड़ कर लाते थे, जिसे बेच कर उनके घर की रोज़ी-रोटी चलती थी। लेकिन अब क्यूंकि पूरा जंगल राख हो चुका है जिससे न सिर्फ यहाँ के पेड़-पौधे नष्ट हुए हैं, बल्कि जंगल में मौजूद जीव-जंतु भी जल गए हैं।
बता दें कि 5 अप्रैल को कलचिहा गाँव के अंतर्गत आने वाली सुचेता कॉलोनी के पास जंगल में लगी आग से बड़ी मुश्किल से काबू पाया गया था। दमकल विभाग भी 2 घंटे बाद आया, जिसके कारण गाँव वालों ने खुद ही पानी डाल डाल कर आग बुझाई थी। अगर इस आग पर काबू नहीं पाया जाता तो जंगल के साथ साथ गाँव भी जल जाता। लोगों ने बताया कि पास में एक स्कूल भी है, और अगर थोड़ी ही देर में आग पर काबू नहीं पाया जाता तो वो स्कूल और उसमें मौजूद बच्चे भी जल जाते।
लोगों की मानें तो दमकल कर्मी अगर आग बुझाने आते भी हैं, तो सिर्फ रोड से ही थोड़ा बहुत पानी का छिड़काव करके चले जाते हैं, अगर गाँव वाले खुद न आग बुझाने के लिए आगे आएं, तो उसपर काबू पाना मुश्किल हो जाएगा। बरगढ़ क्षेत्र के वन विभाग के दरोगा रामगोपाल का कहना है कि इस साल गर्मी ज़्यादा पड़ने के कारण बार-बार आग लग रही है, जिसपर काबू पाना भी मुश्किल हो जाता है। लेकिन गाँव वालों की मदद से दमकल कर्मी आग पर काबू पा लेते हैं। जब हमने उनसे जंगल की आग के कारण आदिवासियों के रोज़गार ख़तम होने की बात पूछी, तो उनका मानना था कि जड़ी-बूटी वाले पेड़ पौधे दोबारा से उग जाएंगे, इसलिए ज़्यादा चिंता की बात नहीं है।