सरकार ने 27 अगस्त गुरुवार को कहा कि कोरोनोवायरस महामारी ने जीएसटी को बहुत ज़्यादा पहुँचाया है। जीएसटी, वस्तुओं और सेवाओं पर लगने वाला कर होती है। यह टैक्स किसी माल या सर्विस पर लगाया जाता है। महामारी की वजह से 2021 में जीएसटी की कमी 2.35 हो गयी है। जीएसटी में बढ़ती कमी को देखते हए वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने गुरूवार को जीएसटी कॉउंसिल की एक मीटिंग बुलाई। जिसमे राजस्व में हुई कमी के बारे में चर्चा की गयी। केंद्र ने वित्त वर्ष 2020 के लिए राज्यों को जीएसटी मुआवजे के रूप में 1.65 लाख करोड़ रुपये जारी किए। जिसमें मार्च के लिए 13,806 करोड़ रुपए शामिल हैं।
वित्त मंत्री ने कोरोना को कहा ” एक्ट ऑफ़ गॉड “
वित्त मंत्री कहती है कि कोरोना महामारी “ एक्ट ऑफ़ गॉड ” मतलब भगवान द्वारा किया गया कोई कार्य है और जीएसटी में गिरावट होना बहुत अकस्मात था,जिसके बारे में हमने सोचा नहीं था “। उनका मानना है कि इस साल हम सब एक आसाधारण स्थिति का सामना कर रहे हैं। हम भगवान के ऐसे कार्य का सामना कर रहे है,जहां हम कुछ भी देख नहीं सकते। वित्त मंत्री द्वारा दिए गए ऐसे बयान खुद के बचाव में कहे हुए प्रतीत होते है। देश में किसी भी चीज़ की कमी के लिए ” एक्ट ऑफ़ गॉड ” का नाम देना ,बिलकुल गलत है। देश में अगर कुछ भी होता है तो उसकी जवाबदेही सरकार की होती है न कि भगवान की।
जीएसटी में आयी कमी से उभरने के लिए बताये दो रास्ते
जीएसटी की कमी को पूरा करने के लिए वित्त मंत्री ने राज्य को दो सुझाव दिए। पहला तो ये कि राज्य अपना जीएसटी का 2.35 लाख रुपए का मुआवज़ा रिज़र्व बैंक ऑफ़ इंडिया से सलाह लेकर बाज़ार से उठा ले। दूसरा सुझाव यह दिया कि रिज़र्व बैंक की सलाह लेकर राज्यों को एक विशेष विंडो दिया जाए जिससे की वो एक ही ब्याज दर पर 97,000 करोड़ रुपए का उधार ले सके। वह उधार लिए हुए पैसो को पांच साल के बाद वापस कर सकती है। ऐसा इसलिए क्यूंकि तब तक राज्यों को क्षतिपूर्ति के लिए काफी फण्ड मिल चुका होगा। वित्त मंत्री ने यह भी कहा कि यह कह नहीं सकते की दोनों सुझाव एक बार में उपलब्ध होंगे या नहीं।
राज्यों को सुझाव पर सोचने के लिए दिया सात दिन का वक़्त
जीएसटी कॉउंसिल की एक मीटिंग के बाद वित्त मंत्री ने राज्यों को सुझाव पर सोचने के लिए सात दिन का वक़्त दिया है। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण का कहना है कि “अगर प्रत्येक राज्य बाजार में पहुंचता है, तो यह बांड यील्ड को कम कर देगा, इसलिए हमने भारतीय रिजर्व बैंक से संपर्क करने और प्रक्रिया को आसान बनाने के लिए समझदारी से सोचा, जिससे सभी राज्यों को संभवतः एक ही दर पर ऋण मिल सके“।
राज्य प्रस्ताव से खुश नहीं
कुछ विपक्षी शासित राज्यों ने केंद्र द्वारा दिए गए सुझावों से नाराज़गी जतायी। कहा कि “यह निर्णय हम पर थोपा गया है। पंजाब के वित्त मंत्री मनप्रीत बादल ने कहा कि “केंद्र को इस घाटे की एक तिहाई राशि चुकानी होगी और अगला दो–तिहाई राज्य छठे और सातवें वर्ष में उधार लेकर चुका सकता है“। मनप्रीत बदल आगे कहते है कि हमारे पास और कोई रास्ता नहीं था क्यूंकि यह एकमात्र सुझाव ही हमारे लिए मेज़ पर रखा गया था।
जीएसटी को लेकर क्या कहता है कानून
माल और सेवा कर या जीएसटी को नियंत्रित करने वाले कानून के तहत, राज्यों को 1 जुलाई, 2017 से जीएसटीलागू होने के बाद पहले पांच वर्षों में राजस्व के नुकसान के लिए भुगतान की गारंटी दी गई है। इसका मतलब यह है कि राज्यों को किसी भी राजस्व कमी के लिए मुआवजे का वादा किया गया है। सरकार के वरिष्ठ वकील अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने कहा कि केंद्र को कोरोनोवायरस संकट के दौरान जीएसटी में राजस्व के नुकसान के लिए राज्यों को पूरी तरह से क्षतिपूर्ति करनी होगी।
केंद्र और राज्य दोनों ही यहां एक दूसरे के कार्यो और सुझावों से ज़्यादा खुश नहीं हैं। दोनों ही एक दूसरे पर जीएसटी में हुई कमी को सही तरह से न संभालने के लिए दोष दे रहे हैं। क्या राज्य वित्त मंत्री द्वारा दिए गए सुझावों को अपनाएगी। क्या केंद्र राज्यों की शिकायतें कम कर पाएगी। जीएसटी में होती कमी के लिए केंद्र और कौन–से रास्ते निकालेगी। ये सारे सवाल जीएसटी की समस्या खत्म होने तक बनी रहेंगी।