अन्य कहानियों की तरह खुशबु की कहानी भी सोशल मीडिया पर वायरल होने के बाद ही सामने आई, जिस पर केंद्र सरकार का भी ध्यान गया। केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने खुशबू को आश्वासन दिया कि वह उसका एक अच्छे कॉलेज में दाखिला कराने में पूरा समर्थन करेंगे।

केंद्रीय शिक्षा मंत्री ने 11वीं कक्षा की खुशबू से वादा किया है उसका सपना पूरा करने में वह उसकी मदद करेंगे (फ़ोटो साभार – एएनआई)
खुशबू कुमारी, देश की उन सभी लड़कियों में से एक और नाम है जो अपनी पढ़ाई और भविष्य के रास्ते में लिंग भेद के साथ गरीबी का सामना कर रही हैं। खुशबू, बिहार के दानापुर शहर की एक छात्रा हैं जो 11वीं में विज्ञान लेना चाहती थीं लेकिन गरीबी और परिवार की शर्त की वजह से उन्हें आर्ट्स/कला का क्षेत्र चुनना पड़ा।
8 मार्च, अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस के दिन न्यूज़ 18 समाचार को बाइट देते हुए खुशबू ने बताया था कि कैसे उनके माता-पिता द्वारा रखी शर्त हारने के बाद उन्होंने अपना विज्ञान पढ़ने, अपना डॉक्टर बनने का सपना खो दिया। घर में होते लिंगभेद के बारे में बताते हुए कहा, “आज भी मेरे घर में मेरे और मेरे भाई के बीच बड़ा अंतर है। भाइयों को पढ़ाई की पूरी आजादी है, लेकिन बहनों को नहीं। हमें पढ़ाई के लिए भी फोन नहीं दिया जाता। मेरी मां ने कहा था कि अगर तुम 400 नंबर से ज़्यादा लाती हो तो तुम विज्ञान ले सकती हो, वरना नहीं। मेरे 399 अंक आए।”
केंद्रीय शिक्षा मंत्री ने किया मदद का वादा
अन्य कहानियों की तरह खुशबु की कहानी भी सोशल मीडिया पर वायरल होने के बाद ही सामने आई, जिस पर केंद्र सरकार का भी ध्यान गया। केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने खुशबू को आश्वासन दिया कि वह उसका एक अच्छे कॉलेज में दाखिला कराने में पूरा समर्थन करेंगे।
आगे कहा, “चिंता मत करो, मेरी बच्ची। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और बिहार के मुख्यमंत्री नीतिश कुमार आपकी शिक्षा के लिए प्रबंध करेंगे। आप अच्छी तरह से पढ़ाई करो और अपने माता-पिता से कोई नराज़गी नहीं रखना। उन्होंने तुम्हारा समर्थन करने की पूरी कोशिश की।”
इस दौरान खुशबू ने भी अपनी इच्छा ज़ाहिर करते हुए कहा कि वह किसी ऐसे कॉलेज में दाखिला लेना चाहती है, जहां विज्ञान की अच्छी शिक्षा मिलती हो।
बायोलॉजी दिलाने की होगी कोशिश – जिला कलेक्टर
पटना के जिला कलेक्टर चंद्रशेखर सिंह के अनुसार, प्रशासन यह सुनिश्चित करेगा कि खुशबू को 2025-27 शैक्षणिक सत्र में 11वीं कक्षा में बायोलॉजी विषय में दाखिला मिल जाए।
आगे कहा कि,“इसके लिए अधिकारियों को नियुक्त किया गया है।”
खुशबू के जीवन और भविष्य में इतने दावों और आश्वासन के बाद क्या बदलाव आएगा, आएगा भी या नहीं, सब अनिश्चित है। लेकिन लिंग भेद और गरीबी उसके जीवन की सामान्य चुनौतियां हैं, वह चुनौती जो उसे सामान्यतौर पर समाज से मिली है।
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