खबर लहरिया Blog ईरान के इस्लामिक ड्रेस कोड व हिंसा के विरोध में छात्रा ने कपड़े उतार किया प्रदर्शन : रिपोर्ट्स

ईरान के इस्लामिक ड्रेस कोड व हिंसा के विरोध में छात्रा ने कपड़े उतार किया प्रदर्शन : रिपोर्ट्स

खबरों व प्रकाशित कई मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, छात्रा का नाम सार्वजनिक नहीं किया गया है। बताया गया कि महिला छात्रा को बासिज़ अर्धसैनिक बल के सदस्यों द्वारा तेहरान के एक प्रतिष्ठित इस्लामिक आज़ाद विश्वविद्यालय में प्रताड़ित किया गया था व उसके हिजाब व कपड़ों को खींचते हुए फाड़ा गया था।

Female student strips in protest against Iran’s Islamic dress code and harassment, as per reports

                                           हिजाब के खिलाफ प्रदर्शन करते हुए सांकेतिक तस्वीर (फोटो साभार – सोशल मीडिया)

ईरान में महिलाओं को हिजाब पहनने को मान्य करते हुए अधिकारियों द्वारा महिलाओं के कपड़े व पहनावे को लेकर इस्लामिक ड्रेस कोड लागू किया गया है। यह ड्रेस कोड महिलाओं को उनके अधिकारों और उनके चयन के कपड़े पहनने से उन्हें रोकने का काम करता है। इसके खिलाफ ईरान के एक विश्वविद्यालय में पढ़ने वाली महिला छात्रा ने विश्वविद्यालय के बाहर विरोध प्रदर्शन के रूप में ब्रा व अंडरवियर पहनकर एकल रूप से आवाज़ उठाई। यह बताया कि महिलाओं का शरीर, उस पर वह क्या धारण करती हैं और क्या नहीं, इसका अधिकार सिर्फ उनका है और वह उनसे छीना नहीं जा सकता।

द हिंदू की प्रकाशित रिपोर्ट में बताया गया कि इसके बाद महिला छात्रा को 2 नवंबर, 2024 को अधिकारियों द्वारा गिरफ्तार कर लिया गया।

खबरों व प्रकाशित कई मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, छात्रा का नाम सार्वजनिक नहीं किया गया है। बताया गया कि महिला छात्रा को बासिज़ अर्धसैनिक बल के सदस्यों द्वारा तेहरान के एक प्रतिष्ठित इस्लामिक आज़ाद विश्वविद्यालय में प्रताड़ित किया गया था व उसके हिजाब व कपड़ों को खींचते हुए फाड़ा गया था।

अपने साथ हुई हिंसा के खिलाफ आवाज़ उठाते हुए छात्रा ने प्रतिरोध के रूप में अपने कपड़े उतारे और ब्रा व अंडरवियर पहने हुए विश्वविद्यालय के बाहर बैठ गई। इसके बाद सोशल मीडिया पर एक वीडियो वायरल होने लगा जहां छात्रा के प्रदर्शन को कई लोगों ने रिकॉर्ड करते हुए शेयर किया।

बता दें, बासिज़ अर्धसैनिक बल, जिसे आमतौर पर “बासिज़ मिलिशिया” कहा जाता है, ईरान में एक अर्धसैनिक संगठन है जो ईरानी इस्लामी रिवोल्यूशनरी गार्ड कॉर्प्स (IRGC) के तहत आता है। इस बल का गठन 1979 में ईरानी क्रांति के बाद हुआ था। जानकारी के अनुसार, इसका उद्देश्य मूल रूप से ईरान की इस्लामी सरकार का समर्थन और रक्षा करना है।

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ईरानी छात्रा का वीडियो सबसे पहले यहां हुआ प्रकाशित

मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार,वायरल हो रही फुटेज को सबसे पहले एक ईरानी छात्र ने अपने सोशल मीडिया चैनल “अमीर कबीर न्यूज़लेटर” में पोस्ट किया था। फिर इसे कई फारसी-भाषा के मीडिया आउटलेट्स, जैसे हेंगाव राइट्स ग्रुप, ईरान वायर न्यूज़ वेबसाइट और एमनेस्टी इंटरनेशनल द्वारा भी शेयर किया गया।

फुटेज को देखकर बताया गया कि वीडियो किसी ऊंची जगह से बनाया गया है। अन्य एक वीडियो में दिखाया गया कि सादे कपड़े पहने कुछ लोग छात्रा को कार में बैठाकर किसी अज्ञात स्थान पर ले गए।

अमीर कबीर के न्यूज़लेटर में आरोप लगाया गया कि गिरफ्तारी के दौरान छात्रा को पीटा भी गया था।

मानवाधिकार संगठन ने छात्रा के लिए उठाई आवाज़

मामले को लेकर एमनेस्टी इंटरनेशनल ने कहा, “ईरानी अधिकारियों को तुरंत और बिना शर्त उस छात्रा को रिहा करना चाहिए, जिसे जबरन हिजाब पहनने के नियमों के विरोध में कपड़े उतारने पर हिंसक तरीके से गिरफ्तार किया गया।”

एमनेस्टी इंटरनेशनल एक अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार संगठन है जो दुनिया भर में मानवाधिकारों के संरक्षण और उल्लंघनों के खिलाफ जागरूकता बढ़ाने के लिए काम करता है।

संगठन द्वारा हाल के वर्षों में ईरानी जेलों में महिलाओं के खिलाफ होने वाले अत्याचारों की घटनाओं का दस्तावेजीकरण किया गया है। उन्होंने आगे कहा, “रिहाई तक, अधिकारियों को उसे यातना और अन्य दुर्व्यवहार से सुरक्षित रखना चाहिए और परिवार व वकील से मिलने की सुविधा देनी चाहिए।”

आगे यह भी कहा कि “गिरफ्तारी के दौरान उसके साथ पिटाई और यौन हिंसा के आरोपों की स्वतंत्र और निष्पक्ष जांच होनी चाहिए।”

ईरान की पारसी समाचार एजेंसी ने इस घटना की पुष्टि की, जिसमें छात्रा की एक तस्वीर प्रकाशित की गई, जिसमें छात्रा का चेहरा धुंधला किया गया था।

इसमें कहा गया कि छात्रा ने कक्षा में तथाकथित तौर पर “अनुपयुक्त कपड़े” पहने थे और सुरक्षा गार्डों द्वारा ड्रेस कोड का पालन करने के लिए चेतावनी दिए जाने के बाद छात्रा ने “कपड़े उतार दिए।”

“गवाहों” का हवाला देते हुए, इसमें कहा गया कि सुरक्षा गार्डों ने छात्रा के साथ कथित तौर पर शांति से बात की थी और उनके द्वारा किए गए किसी भी तरह के हिंसात्मक कार्य को नकार दिया गया।

कथित तौर पर ड्रेस कोड का उल्लंघन : महसा अमिनी

हिजाब व ड्रेस कोड के खिलाफ यह पहला प्रदर्शन नहीं है। यह कोई पहला मामला नहीं है जहां हिंसा व हुकुमत के खिलाफ आवाज़ उठाने पर उन्हें चुप करा दिया गया हो। साल 2022 में भी एक ऐसा ही मामला सामने आया था। मामले में ईरानी कुर्दिश महिला महसा अमिनी को ड्रेस कोड उल्लंघन करने के आरोप में गिरफ्तार किया गया था और हिरासत में रहते हुए उसकी हत्या कर दी गई थी। इसके बाद देश भर में व्यापक तौर पर विरोध प्रदर्शन भी देखा गया था।

इन विरोध प्रदर्शनों में महिलाओं ने अपने हिजाबों को हटाकर, उन्हें जलाकर गुस्सा प्रकट किया था। हालांकि,इसमें 551 प्रदर्शनकारियों की हत्या व हजारों लोगों को गिरफ्तार करते हुए दमनकारी व्यवहार के साथ प्रदर्शन को दबा दिया गया था।

“दिल की गहराई से निकलने वाली आवाज़”

“हमें एक-दूसरे को अकेला नहीं छोड़ना चाहिए,”- कैतायून रियाही ने अपने इंस्टाग्राम पोस्ट में छात्रा के प्रति अपना समर्थन दिखाते हुए लिखा। रियाही, एक अभिनेत्री हैं जिन्होंने विरोध प्रदर्शन में अपना समर्थन दिखाया है।

हुसैन रोनाग़ी (Hossein Ronagh), जो कि एक प्रमुख ईरानी कार्यकर्ता हैं व प्रदर्शनों के दौरान जेल भी गए थे। उन्होंने X पर एक पोस्ट में छात्रा की “बहादुरी” की सराहना की और उसके कार्य को “दिल की गहराई से होने वाला एक चीत्कार (दर्द की आवाज़)” बताया, जो “विभिन्न प्रकार के दमन के खिलाफ है जिसने लोगों, विशेष रूप से महिलाओं, से जीवन को छीन लिया है।”

एक आवाज़ को साल 2022 में चुप कराया गया था और आज फिर से एक आवाज़ उठाई गई है। जहां सबको एक साथ आने की ज़रूरत है क्योंकि यह प्रदर्शन होते रहेंगे, यह आवाज़े समय-समय पर उठती रहेंगी जब तक महिलाओं को उनके अधिकार नहीं मिल जाते।

 

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