दिल्ली में चल रहे किसान आंदोलन को अब तकरीबन दो महीने हो गए हैं। इसके साथ ही बुधवार, 20 जनवरी को सरकार और किसानों के बीच कृषि बिलों को लेकर 10वीं बैठक भी हो चुकी है। बैठक में सरकार ने किसानों के सामने कृषि कानूनों को एक से डेढ़ साल तक स्थगित करने का प्रस्ताव रखा है। नए प्रस्ताव को लेकर दिल्ली के सिंघु बॉर्डर पर किसानों द्वारा आज सुबह के 11 बजे तक एक बैठक हो चुकी है। इसके बाद संयुक्त किसान मोर्चा द्वारा दोपहर के 2 बजे हुई बैठक के बाद सरकार के प्रस्ताव को नामंजूर करना है या अपनाना, यह तय किया जाना है। 22 जनवरी को दिल्ली के विज्ञान भवन में 12 बजे संयुक्त किसान मोर्चा सरकार के साथ अपनी 11वीं बैठक में प्रस्ताव को लेकर अपना आधिकारिक फैसला सुनाएगी।
सरकार ने किसानों को क्या प्रस्ताव दिया ?
किसान आंदोलन के बीच सभी राजनीतिक पार्टियां अपने–अपने हाथ सेंक रही हैं। लेकिन इस बीच किसानों की समस्याओं का हल होता नहीं दिख रहा। ऐसे में सरकार ने किसानों के सामने अब तक सबसे बड़ा प्रस्ताव रखा है। प्रस्ताव के मुताबिक सरकार, कृषि कानूनों को एक से डेढ़ साल तक स्थगित करने के लिए तैयार है। किसानों का भरोसा बना रहे इसलिए वो सुप्रीम कोर्ट में इस मामले पर शपथपत्र देने को भी तैयार है। सरकार ने प्रस्ताव दिया है कि किसानों और सरकार प्रतिनिधियों की कमेटी बनाकर विवाद सुलझा लिया जाए।
कृषि मंत्री ने कहा : समाधान की उम्मीद
कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर का कहना है कि उन्हें उम्मीद है कि 22 जनवरी को समाधान निकल आएगा। उन्होंने पत्रकारों से यह भी कहा, “अगर आंदोलन समाप्त हो गया तो किसान घर जा सकते हैं और यह भारतीय लोकतंत्र के लिए जीत होगी, किसी एक व्यक्ति के लिए नहीं।“
बैठक को लेकर किसान प्रतिनिधियों की राय
महिला किसान अधिकार मंच की नेता कविता कुरुगांती कहती हैं कि अभी भी प्रस्तावित समिति न्यूनतम समर्थन मूल्य पर चर्चा करेगी या नहीं, यह साफ़ नहीं है।
बुधवार को हुई बैठक में किसान यूनियन ने नेशनल इंटेलीजेंस एजेंसी द्वारा किसान समर्थकों को नोटिस ज़ारी करने और हरियाणा में किसानों के खिलाफ किए गए एफआईआर का मुद्दा भी उठाया। भारतीय किसान यूनियन के नेता राकेश टिकैत ने कहा, ” एक तरफ सरकार समाधान खोजने की बात करती है और वहीं दूसरी और एनआईए और राज्य पुलिस प्रदर्शनकारियों और नैतिक सहारा देने वाले लोगों को परेशान कर रही है।” हालांकि, कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर द्वारा यह कहा गया है कि वह इस मामले के बारे में गृह मंत्रालय से बातचीत करेगी।
ट्रैक्टर परेड
26 जनवरी को किसान संगठनों द्वारा ट्रेक्टर परेड किये जाने को लेकर काफी विवाद चल रहा था। जिसमें 10 वीं बैठक के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली पुलिस के ट्रैक्टर परेड को रोकने की अर्जी को लेकर मना कर दिया है। जिसे लेकर राष्ट्रीय किसान महासंघ के नेता अभिमन्यु कोहार ने कहा कि यह किसानों की जीत है। “इस फैसले में, दिल्ली पुलिस को (परेड के खिलाफ निषेधाज्ञा के लिए उनका आवेदन) वापस लेने के लिए कहकर, मुझे लगता है कि एक तरह से, सुप्रीम कोर्ट कह रहा है कि किसानों का एक शांतिपूर्ण मंच बनाना उनका मौलिक और संवैधानिक अधिकार।“
जब सुप्रीम कोर्ट की सुनवाई चल रही थी, तब संघ के नेताओं का एक छोटा समूह दिल्ली, उत्तर प्रदेश और हरियाणा पुलिस के वरिष्ठ अधिकारियों के साथ कई घण्टों तक बातचीत कर रहा था। जिसमें 26 जनवरी को दिल्ली के आउटर रिंग रोड पर ट्रैक्टर परेड को लेकर बातचीत की जा रही थी। जिसे लेकर दिल्ली पुलिस ने यूनियन से आग्रह किया कि वह शहर के अंदर परेड करने की बजाय एक्सप्रेस वे पर ट्रैक्टर परेड करे।
कल होने जा रही 11वीं बैठक का केंद्र सरकार और अन्य किसानों को भी इंतज़ार रहेगा कि सरकार के प्रस्ताव पर किसान संगठन अपना क्या फैसला सुनाती है। साथ ही क्या कल के फैसले के बाद कृषि बिल की समस्या का समाधान हो जाएगा? यह बड़ा सवाल बना रहेगा।