किसानों की मांग में पुराने अधिग्रहण कानून के तहत मुआवजे में 64.7 प्रतिशत की वृद्धि करने की मांग (जोकि बाजार दर से चार गुना है) सहित अन्य मांग शामिल है जिसके लिए किसान आंदोलन कर रहे हैं। किसानों की मांग को लेकर पांच सदस्यीय समिति का गठन किया गया है।
यूपी में किसान आंदोलन को लेकर यूपी सरकार ने किसानों की मांग पर विचार करने और उनकी समस्या का हल निकालने के लिए पांच सदस्यीय समिति का गठन किया है। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक औद्योगिक विकास विभाग ने 1 दिसंबर 2024 को एक विज्ञापन जारी किया था जिसमें प्रमुख सचिव अवस्थापना एवं औद्योगिक विकास अनिल कुमार सागर की अध्यक्षता में नई समिति के गठन की घोषणा की गई थी। समिति को एक महीने के अंदर रिपोर्ट प्रस्तुत करने का कहा गया है।
नोएडा से संयुक्त किसान मोर्चा (एसकेयू), भारतीय किसान परिषद (बीकेपी) और किसान मजदूर मोर्चा (केएमएम) सहित कई किसान-नेतृत्व वाले संगठनों के किसान अपनी मांगों को लेकर सोमवार 2 दिसंबर 2024 को दिल्ली की ओर विरोध मार्च निकलाने वाले थे लेकिन नोएडा में स्थित राष्ट्रीय दलित प्रेरणा स्थल पर किसानों को रोक दिया गया। किसानों ने राष्ट्रीय दलित प्रेरणा स्थल पर अपना विरोध प्रदर्शन जारी रखा। किसानों की मांग में पुराने अधिग्रहण कानून के तहत मुआवजे में 64.7 प्रतिशत की वृद्धि करने की मांग (जोकि बाजार दर से चार गुना है) सहित अन्य मांग शामिल है। किसानों की मांग को लेकर पांच सदस्यीय समिति का गठन किया गया है।
पांच सदस्यीय समिति
आधिकारिक विज्ञप्ति के अनुसार, समिति की अध्यक्षता आईएएस अनिल कुमार सागर द्वारा होगी जो उत्तर प्रदेश में बुनियादी ढांचा और औद्योगिक विकास के प्रमुख सचिव हैं। सदस्यों में अनिल कुमार सागर, पीयूष वर्मा, संजय खत्री, सौम्या श्रीवास्तव और कपिल सिंह शामिल हैं। समिति से एक महीने के अंदर सरकार को अपनी रिपोर्ट और सिफारिशें सौंपने को कहा गया है। आप समिति से जुड़ी जानकारी के लिए जारी किए गए विज्ञप्ति में (यहां) पढ़ सकते हैं।
विरोध प्रदर्शन के दौरान किसान हिरासत में
पुलिस आयुक्त लक्ष्मी सिंह के अनुसार, मंगलवार 3 दिसंबर 2024 को गौतम बुद्ध नगर में किसान समूहों के नेताओं के साथ कई प्रदर्शनकारियों को पुलिस ने हिरासत में लिया। हालाँकि बाद में उन्हें रिहा कर दिया गया। किसान बस में बैठे ‘जय जवान जय किसान’ के नारे लगाते हुए दिखाई दिए।
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— Andnews (@AndNewsUP) December 3, 2024
किसानों ने इस साल फरवरी 2024 में भी अपनी मांगों को लेकर जोरदार प्रदर्शन किया था लेकिन प्रशासन ने किसानों को रोक दिया था। हिंदुस्तान की रिपोर्ट बताती है कि राजस्व बोर्ड के अध्यक्ष की अध्यक्षता में एक समिति फरवरी में गठित की गई थी। समिति ने अगस्त में राज्य सरकार को अपनी सिफारिशें सौंपी थीं।
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