लगभग 30,000 किसान और जनजाति बुधवार को ठाणे से अपने लंबित मांगों के चलते दो दिवसीय रैली की शुरुआत करेंगे। आम आदमी पार्टी (एएपी) की महाराष्ट्र इकाई ने इस मोहिम के प्रति अपना समर्थन जताया है।
इस रैली को ठाणे से शुरू किया जायेगा जोकि अंत में आजाद मैदान में अपना आखरी पड़ाव पार करेगी। कुछ मांगों में स्वामीनाथन कमेटी रिपोर्ट के कार्यान्वयन, वन अधिकार अधिनियम (एफआरए) के तहत लंबित दावे, न्यूनतम समर्थन मूल्य और न्यायिक प्रणाली की स्थापना के कार्यान्वयन को सुनिश्चित करने, कृषि ऋण छूट और 50,000 रुपये प्रति एकड़ सुखी ज़मीन और 1 लाख रूपए सिंचित ज़मीन के लिए मुआवजे को पूरा करने जैसे कई और मुद्दों को शामिल किया जायेगा।
उत्तर महाराष्ट्र, विदर्भ, अहमदनगर और राज्य के अन्य हिस्सों के किसान और आदिवासी इस मार्च में हिस्सा लेंगे। जल संरक्षणवादी डॉ राजेंद्र सिंह, एमपी राजू शेट्टी और कई ऐसे लोग भी इस रैली में भाग लेंगे।
लोक संघ मोर्चा की महासचिव प्रतिभा शिंदे का कहना है कि “जब किसानों द्वारा इस साल मार्च में नासिक से मुंबई तक की रैली आयोजित की गई थी, सरकार ने वादा किया था कि एफआरए से संबंधित सभी लंबित दावों को छह महीने में मंजूरी दे दी जाएगी। लेकिन वो अपने इस वादे को पूरा करने में असफल रहे हैं”।
प्रतिभा का ये भी कहना है कि जंगल भूमि के हस्तांतरण ने कई जनजातियों को कृषि ऋण छूट, फसल ऋण, सूखे मुआवजे जैसे लाभों का लाभ उठाने से वंचित रखा है। इसके अलावा, किसानों को उत्पादन के लिए एमएसपी भी कम दिया जा रहा है और शिकायत करने के लिए भी उनके पास कोई साधन नहीं है। इसलिए, किसानों को एमएसपी मिल रहा है या नहीं, इस पर जांच करने के लिए न्यायिक व्यवस्था की आवश्यकता है।
आम आदमी पार्टी के प्रवक्ता धनंजय शिंदे ने रैली के प्रति समर्थन जताते हुए कहा है कि सूखे से प्रभावित क्षेत्रों को सरकार द्वारा असल में सुखा क्षेत्र नहीं घोषित किया गया है। शिंदे ने कहा, “सरकार को जमीन की वास्तविकता को देखने और अधिक सूखे से प्रभावित क्षेत्रों के बारे में बताना एक ज़रूरी पहलु है”।
उनका ये भी कहना है कि सभी धर्मों के प्रतिनिधि भी किसानों के साथ अपने मुद्दों को लेकर गुरुवार को रैली में हिस्सा लेंगे। जनता दल (सेक्युलर), किसानों और श्रमिक पार्टी (पीडब्ल्यूपी) जैसी अन्य पार्टियों ने भी रैली के प्रति अपना समर्थन जताया है।