जिला बांदा| कई महीनों से राजधानी दिल्ली की सीमा पर बुंदेलखंड सहित हरियाणा पंजाब जैसे और भी कई जगह का किसान आंदोलन पर बैठा है। यह आंदोलन बहुत ही चर्चा में है। लेकिन इस समय जहां पूरा देश कोरोना महामारी की गंभीर समस्याओं से जूझ रहा है। अस्पताल में जगह नहीं मिल रही है। वहां कोई भी उन किसानों की चर्चा नहीं कर रहा। जो खुले आसमान में इतने दिनों से बॉर्डर पर अपनी मांगों को लेकर आंदोलन पर बैठे हैं।
जब हमने इस बारे में किसान नेताओं से बात की और जाना तो किसानों का कहना है कि कोरोना संख्या बढ़ने से खतरा तो है। लेकिन सरकार हम किसानों को गुमराह कर के और भी डराने की कोशिश कर रही है ताकि वो आंदोलन खत्म कर सके। लेकिन जब तक यह सरकार कानून वापस नहीं लेती और msp पर गारंटी नहीं देती तब तक वह वापस नहीं जायेंगे। अगर कुछ होता है तो उसकी ज़िम्मेदारी सरकार की होगी। बुंदेलखंड का किसान वैसे भी सूखा ओला जैसी तरह-तरह की समस्याओं से जूझता रहता है। इसके बावजूद भी किसी तरह से अपना जीवन यापन करता है। किसी के सहारे ही परिवार चलाता है। लेकिन अगर नया कानून आ गया तो उद्योगपतियों के सहारे ही खेती होगी। किसान अपने ही खेतों में मजदूर बनकर रह जाएगा। जो किसान कभी नहीं होने देगा।