आज रामलीला मैदान में किसान अलग-अलग क्षेत्र हरियाणा, पंजाब, यूपी और अन्य गाँव से निकल कर कृषि निकाय न्यूनतम समर्थन मूल्य’ (एमएसपी) की गारंटी देने वाले कानून की मांग करने के लिए सरकार के आगे एकजुट होकर खड़े हैं।
किसानों की मांग को लेकर संयुक्त किसान मोर्चा ने आज गुरुवार 14 मार्च को रामलीला मैदान में `महापंचायत` आयोजित की। संयुक्त किसान मोर्चा (एसकेएम) ने इसकी घोषणा की और साथ में यह भी कहा कि “महापंचायत में 50,000 से अधिक किसानों के शामिल होने की संभावना है।” पंजाब से सैकड़ों किसान “किसान मजदूर महापंचायत” में शामिल होने के लिए दिल्ली के रामलीला मैदान में इकठ्ठा हुए हैं।
हमारे भारत जैसे देश में `जय जवान जय किसान` के नारों से किसानों का सम्मना से नाम लिया जाता है पर शायद ये नारा सिर्फ नाम मात्र है। देश में किसानों का ये आंदोलन कई दिनों से सक्रीय है। बिहार, यूपी, पंजाब, हरियाणा और अन्य राज्यों में न जानने कितने किसान सालों से अपनी फसल के सही दाम पाने के लिए संघर्ष करते हैं। फसल पकने का महीनों इंतजार करने के बाद भी बिगड़ते मौसम की मार किसानों को झेलनी पड़ती है।
हाल ही में मध्यप्रदेश के टीकमगढ़ में मौसम की ऐसी मार किसानों पर पड़ी कि आलोवृष्टि होने से उनकी फैसले बर्बाद हो गई। उत्तर प्रदेश के बांदा जिले के जसपुरा ब्लॉक में कई गांवों में बिना मौसम बारिश से 90% किसानों को नुकसान हुआ है। किसानों ने जो भी फसले बोये थे वो सब नुकसान हो गया है। किसानों की मांग है की सरकार सर्वे करे और मुआवजा दे ताकि किसानों को रहत मिल सके।
देश का किसान अपना सहयोग देने को तैयार है इसलिए पंजाब से सैकड़ों किसान “किसान मजदूर महापंचायत” में शामिल होने के लिए दिल्ली के रामलीला मैदान में एकत्र हुए हैं।
लोकसभा चुनाव के समय में किसानों की मांगों पर सरकार कोई ध्यान ही नहीं देती है। सरकार तो बस उन्हें रोकने के इंतजाम करने में व्यस्त है। आज रामलीला मैदान में किसान अलग-अलग क्षेत्र हरियाणा, पंजाब, यूपी और अन्य गाँव से निकल कर कृषि निकाय न्यूनतम समर्थन मूल्य’ (एमएसपी) की गारंटी देने वाले कानून की मांग करने के लिए सरकार के आगे एकजुट होकर खड़े हैं।
ये भी पढ़ें- Farmers Protest: आंदोलन सफल करने के लिए किसान हिरासत में जाने को तैयार
संयुक्त किसान मोर्चा के किसानों ने कृषि श्रमिकों और आम लोगों से निवेदन किया है कि वे केंद्रीय ट्रेड यूनियनों, अन्य ट्रेड यूनियनों, महिला संगठनों, छात्र संगठनों, युवा संगठनों और लोकतांत्रिक संगठनों के संयुक्त मंच जैसे एसकेएम के साथ बड़ी संख्या में शामिल हो। एक बयान में कहा गया कि, ”इस ऐतिहासिक महापंचायत को सफल बनाएं।”
पीटीआई ने सोशल मीडिया पर रामलीला मैदान में आज 14 मार्च की सुबह की वीडियो साझा की। इस वीडियो में भारी संख्या में सीआरपीएफ दिखाई दे रहें हैं।
VIDEO | Kisan Mahapanchayat: Visuals from Delhi’s Ramlila Maidan.#FarmersProtest #KisanMahapanchayat
(Full video available on PTI Videos – https://t.co/n147TvrpG7) pic.twitter.com/ddq2GbpbwZ
— Press Trust of India (@PTI_News) March 14, 2024
एसकेएम ने जानकारी देते हुए कहा कि “संबंधित समन्वय समितियों और उपसमितियों की 13 मार्च को बैठक हुई और सभी तैयारियों और व्यवस्थाओं को अंतिम रूप दिया गया। महापंचायत में 50,000 से अधिक किसानों के शामिल होने की संभावना है।”
किसानों की फसल किसी न किसी वजह से बर्बाद हो जाती है कभी कीड़े लग जाते हैं, तो कभी इतनी तेज बारिश होती है, तो कभी आलोवृष्टि तो कभी कोई जानवर के कारण फसल बर्बाद हो जाती है। फसल का नुकसान मतलब किसानों के जीवन में चुनौतियों बढ़ जाना शायद इसलिए आज देश के किसान इतना बड़ा प्रदशर्न कर रहे हैं कभी तो सरकार इन किसानों की मांग सुनेगी और इनके जीवन में भी तकलीफें कम होगी
पटना जिला के दानापुर किसानों का कहना है कि “वह हर साल किसानी करते हैं और हर साल उनकी फसल बर्बाद हो जाती है। जिसका कारण है वहां पर झुंड में आते हुए नीलगाय और जंगली जानवर जो उनकी फसल को बर्बाद कर देते हैं।”
किसानों के जीवन में काम समस्या नहीं है। अब फसल बर्बाद हो जाये तो किसान कैसे अपना घर चलाए इसके लिए उन्हें कर्जा लेना पड़ता है। फसल का सही दाम मिलता नहीं है।
दिल्ली पुलिस ने दी अनुमति
मीडिया रिपोर्ट बताती है कि एसकेएम ने मंगलवार 12 मार्च को कहा था कि रामलीला मैदान में ‘किसान मजदूर महापंचायत’ को गुरुवार 14 मार्च को आयोजित करने की अनुमति दिल्ली पुलिस से मिल गई है, जहां मोदी सरकार की नीतियों के खिलाफ “लड़ाई तेज करने” के लिए एक प्रस्ताव पास किया जाएगा।
एसकेएम ने ये भी कहा, “दिल्ली पुलिस ने 14 मार्च 2024 को रामलीला मैदान में महापंचायत आयोजित करने और दिल्ली नगर निगम प्रशासन के सहयोग से पार्किंग स्थान और पानी, शौचालय और एम्बुलेंस जैसी अन्य बुनियादी सुविधाओं की व्यवस्था करने के लिए एनओसी (NOC) जारी कर दी है।”
लाइव मिंट की रिपोट के अनुसार, पुलिस उपायुक्त (केंद्रीय) एम हर्ष वर्धन ने कहा, “हमने सख्त शर्तें लगाई हैं और एसकेएम नेताओं ने एक वचन पत्र पर हस्ताक्षर किए हैं कि वे शर्तों का पालन करेंगे।”
दिल्ली पुलिस ने सोशल मीडिया X महापंचायत की वजह से दिल्ली की सड़कों पर जाम और भीड़ से बचने लिए दिल्ली ट्रैफिक पुलिस ने ट्रैफिक निर्देश दिए। इसमें कहा गया है कि सुबह 6 बजे से शाम 4 बजे के बीच जाम लगने की सम्भवना है उन रास्तों के नाम भी साझा किए।
Traffic Advisory
In view of Farmers’ Mahapanchayat on 14.03.2024 at Ramlila Ground, traffic restrictions will be effective.
Please follow the advisory.#DPTrafficAdvisory pic.twitter.com/438mr3j9Fc
— Delhi Traffic Police (@dtptraffic) March 13, 2024
इन रास्तों से जाने से बचें
-जवाहरलाल नेहरू मार्ग
-बहादुर शाह जफर मार्ग
-आसफ अली रोड
-स्वामी विवेकानन्द मार्ग
-नेता जी सुभाष मार्ग
-मिंटो रोड
-महाराजा रणजीत सिंह फ्लाईओवर
-भवभूति मार्ग
-चमन लाल मार्ग
-बाराखंभा रोड
-टॉलस्टॉय मार्ग
-जय सिंह रोड
-संसद मार्ग
-बाबा खड़क सिंह मार्ग
-अशोक रोड
-कनॉट सर्कस
-डीडीयू मार्ग
इन रास्तों पर ट्रैफिक डायवर्जन
दिल्ली पुलिस ने यह भी बताया कि सुबह 6 बजे से कई सड़कों पर ट्रैफिक डायवर्जन हो सकता है। इनमें दिल्ली गेट, मीर दर्द चौक, अजमेरी गेट चौक, गुरु नानक चौक, आर/कमला मार्केट, पहाड़गंज चौक और आर/ए झंडेवालान, बाराखंभा रोड से गुरु नानक चौक तक महाराजा रणजीत सिंह फ्लाईओवर, बाराखंभा रोड/टॉल्स्टॉय रोड क्रॉसिंग, जनपथ,रोड/टॉल्स्टॉय मार्ग क्रॉसिंग, और आर/ए जीपीओ शामिल हैं।
दिल्ली पुलिस ने हेल्पलाइन नंबर किया जारी
पुलिस ने यात्रा करने वालों को परेशान न होना पड़े इसके लिए एक नंबर करते हुए कहा, “यातायात असुविधा के मामले में आप यातायात हेल्पलाइन नंबर 9971009001 पर संपर्क कर सकते हैं। असुविधा से बचने के लिए कृपया वैकल्पिक मार्गों का उपयोग करें।”
किसान अपनी मांग को लेकर मजबूत इरादे के साथ खड़े हैं। किसानों की मांग को लेकर सरकार कब तक चुप रहेगी और किसानों की महापंचायत सरकार पर कितना असर करती है और यह कितना सफल होगा यह तो समय पर पता चलेगा।
किसान अपने खेत छोड़ इस आंदोलन का हिस्सा बने हैं, इसी उम्मीद से कि सरकार उनकी परेशानी को समझेगी। सरकार सच में अगर ऐसा करना चाहती तो क्या उनके लिए रास्ते इतने कठिन कर देती। बिहार, यूपी, पंजाब, हरियाणा और अन्य राज्यों में न जानने कितने किसान सालों से अपनी फसल के सही दाम पाने के लिए संघर्ष करते हैं और मुआवज़े के लिए लड़ाई लड़ते हैं। कई किसान की खुदखुशी के मामले भी सामने आते हैं।
‘यदि आप हमको सपोर्ट करना चाहते है तो हमारी ग्रामीण नारीवादी स्वतंत्र पत्रकारिता का समर्थन करें और हमारे प्रोडक्ट KL हटके का सब्सक्रिप्शन लें’