13 फरवरी से शुरू ‘दिल्ली चलो’ मार्च पंजाब और हरियाणा के बीच शंभू और खनौरी सीमा पर ज़ारी है। किसान ‘कृषि निकाय न्यूनतम समर्थन मूल्य’ यानी एमएसपी की गारंटी देने वाले कानून की मांग कर रहे हैं।
किसानों के दिल्ली चलो मार्च की गूंज दिल्ली, यूपी, पंजाब और हरियाणा की सीमाओं तक सीमित नहीं है। भारत के गांव का हर एक किसान इस आंदोलन को मजबूती देने के लिए सहयोग कर रहे हैं। भले ही उनको पुलिस की गाड़ियों में ठूस दिया जाए। सरकार किसानों की मांग जब तक पूरी नहीं कर देती तब तक शायद ही आंदोलन रुके।
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खबर लहरिया की ब्यूरो चीफ गीत देवी ने यूपी के बुंदेलखंड का एक वीडियो साझा किया। इस वीडियो में बांदा में किसान यूनियन के किसानों की गिरफ्तारी को देखी जा सकती है। बाँदा में किसान यूनियन ने अपनी मांगों को लेकर प्रदर्शन किया था। जानकारी के अनुसार, यह प्रदर्शन बांदा कचहरी के बाहर किया गया। इस दौरान पुलिस ने उन्हें पकड़ कर गाड़ी में डाल दिया जिसमें महिला किसान भी शामिल हैं। वीडिओ में ‘जय जवान जय किसान’ का नारा लगाते हुए वे मुआवजे की मांग के साथ ही एमएसपी की गारंटी देने वाले कानून की मांग करते दिखे।
बांदा। बुन्देलखण्ड किसान यूनियन ने अपनी मांगों को लेकर किया प्रदर्शन@KhabarLahariya @klmeera @KLKavita @hv_harshita pic.twitter.com/7WDvf67sro
— Geeta Devi (@kl_Geeta) March 11, 2024
किसानों की गिरफ्तारी को लेकर एक पहलू यह भी है सामने आया कि कुछ किसान अपनी शक्ति को दिखाने के लिए पुलिस वालों के साथ मिलकर खुद को गिरफ्तार करवाते हैं। कहा जा रहा है, किसान ऐसा इसलिए करते हैं क्योंकि सरकार उन्हें रोकने के लिए नए-नए हथकंडे अपनाती है। किसान को भी अपनी बात मनवाने के लिए ऐसा करना पड़ता है। जिन किसानों की जहां तक पहुँच है वो किसान आंदोलन को सफल बनाने की पूरी कोशिश कर रहे हैं।
बता दें, 13 फरवरी से शुरू यह ‘दिल्ली चलो’ मार्च पंजाब और हरियाणा के बीच शंभू और खनौरी सीमा पर ज़ारी है। किसान ‘कृषि निकाय न्यूनतम समर्थन मूल्य’ यानी एमएसपी की गारंटी देने वाले कानून की मांग कर रहे हैं। वे स्वामीनाथन आयोग की सिफारिशों को लागू करने, साथ ही किसानों और खेत मजदूरों के लिए पेंशन और कृषि ऋण माफी की भी मांग कर रहे हैं।
सरकार की इतनी रुकवाटें खड़ी करने के बाद भी प्रदर्शन जारी है। प्रदर्शन के दौरान 6 किसानों की मौत की खबर भी सामने आई थी। बीच में 29 फरवरी तक किसानों ने इस आंदोलन को रोक दिया था। 6 मार्च को फिर से दिल्ली चलो मार्च को उसी जोश के साथ शुरू करने की घोषणा की गयी और साथ ही 10 मार्च को ‘रेल रोको’ धरना भी दिया। रविवार 10 मार्च को “रेल रोको” आंदोलन की वजह से अंबाला रेलवे डिवीजन में कुल नौ ट्रेनें रद्द हुई और अन्य 26 ट्रेनें भी प्रभावित हुईं।
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