खबर लहरिया खेती वाराणसी : सिंघाड़े की खेती कर रहे किसान

वाराणसी : सिंघाड़े की खेती कर रहे किसान

सिंघाड़े के बारे में तो अधिकतर लोग जानते ही होंगे फिर आपको यह भी पता होगा की इससे क्या-क्या चीज़ें बनाई जा सकती है। वो कहते हैं नाम एक, काम अनेक। यह फल है, सब्ज़ी की तरह बनाकर खा सकते हैं, उबाल कर खा लो या फिर हलवा बनाकर। इस तरह से हम एक चीज़ का अनेकों तरह से स्वाद ले सकते हैं।

वाराणसी जिले के ब्लॉक चोलापुर, गाँव धरसौना के लोगों का कहना है कि सितंबर के महीने से सिंघाड़ा निकलने लगता है। इसे लोग खाना भी पसंद करते हैं। इसकी खेती के लिए अगर एक बीघा तालाब हो तो 12 हज़ार बीज लगता है। तीन महीने तक इसकी बराबर देख-रेख करनी होती है। इसके बाद 15 दिन या एक महीने में दवा का छिड़काव किया जाता है ताकि कीड़े-मकौड़े से बचाव किया जा सके।

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वह लोग मई के महीने में तालाब में सिंघाड़े के बीज छोड़ देते हैं। एक बार रोप देने पर सिंघाड़े का पौधा तीन से चार बार फल देता है। यह स्वास्थ्य के लिए भी अच्छा होता है। यह कम से कम 60 से 70 रूपये किलो मिलता है और व्यापारी इसे ले जाते हैं।

इसे तोड़ने में मुश्किलें भी आती हैं। वह लोग मटकी के सहारे सिंघाड़े तोड़ते हैं। अगर मटकी टूट जाए तो जो निकलने वाला है वो भी नहीं निकल पाता है। कभी-कभी तो जानवर भी इसकी बेल को पैरों में लपेट लेते हैं। एक साल में पूरी खेती करने का 52 हज़ार रूपये लगता है। बेचने पर मेहनत और मज़दूरी दोनों ही निकल जाती है।

सिंघाड़ा खाने वाले लोगों का कहना है कि वह लोग सिंघाड़े को सुखाते हैं फिर उसे पीसकर उसका पूड़ी, हलवा बनाते हैं। इसकी सब्ज़ी भी बनाते हैं और कच्चा भी खाते हैं।

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