26 मार्च को किसान आंदोलन अपने चार महीने पूरे कर लेगा, और इस मौके पर किसानों ने 26 मार्च को ही भारत बंद करने की घोषणा की है। इसके साथ ही किसानों ने 19 मार्च को ‘मंडी बचाओ, खेती बचाओ’ दिवस मनाने का भी फैसला किया है। किसान 15 मार्च को पेट्रोल डीज़ल के बढ़ते दामों के खिलाफ भी प्रदर्शन करेंगे।
देश की राजधानी दिल्ली के टिकरी और सिंघ बॉर्डर पर 24 दिसंबर 2020 से चल रहे किसान आंदोलन ने कुछ दिन पहले ही 100 दिन पूरे किये हैं। जहाँ एक तरफ किसान तीनों कृषि कानूनों को वापस लिए बिना आंदोलन ख़त्म करने को तैयार नहीं हैं, वहीँ सरकार भी उन्हें वहाँ से हटाने के रोज़ नए मंसूबे बना रही है। अभी हाल ही में केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा था कि सरकार देश के किसानों की भावनाओं का सम्मान करती है, और जल्द ही कृषि कानूनों में बदलाव करेगी ताकि देश भर के किसान इस आंदोलन को अंत कर सकें। लेकिन बता दें कि देशभर के किसानों ने किसी भी प्रकार के संशोधन को मानने से इंकार कर दिया था।
किसान आंदोलन: कृषि कानूनों में संशोधन के लिए तैयार हुई सरकार
मार्च के महीने के लिए बनी हैं नई रणनीतियां-
10 मार्च 2021 यानी बुधवार को प्रेस के साथ हुई संवाददाता में संयुक्त किसान मोर्चा और भारतीय किसान संघर्ष समिति के मंत्रियों ने मार्च महीने के बाकी दिनों के लिए किसान आंदोलन का एजेंडा सामने रखा है। इस एजेंडा में जो सबसे महत्वपूर्ण बात सामने आयी है वो यह है कि 26 मार्च को किसान आंदोलन अपने चार महीने पूरे कर लेगा, और इस मौके पर किसानों ने 26 मार्च को ही भारत बंद करने की घोषणा की है। भारतीय किसान संघर्ष समिति के हेड विकास सिसर ने बताया कि भारत बंद पूर्ण रूप से शांतिपूर्वक होगा, और सुबह से शाम तक प्रभावी रहेगा। इसके साथ ही उन्होंने बाकी की कार्यसूची बताते हुए कहा कि पेट्रोल–डीज़ल के दामों में हो रही वृद्धि के चलते किसान और व्यापार संघ मिलकर इसके खिलाफ भी प्रदर्शन करेंगे।
सिसर ने प्रेस को यह भी बताया कि देशभर के किसान स्पष्ट रूप से उजागर हैं कि उनके और श्रमिकों के साथ कौन खड़ा है, और कौन उनके खिलाफ है। सिसर ने बताया कि भाजपा और जेजेपी नेताओं ने हरयाणा के किसानों के साथ सामाजिक बहिष्कार और तेज़ कर दिया है और उन्हें अपने ही गांवों में घुसने नहीं दिया जा रहा है, लेकिन हरयाणा यूनियन किसानों के साथ खड़ा है और हर रूप से उनकी सहायता कर रहा है।
किसान नेता बूटा सिंह बुर्जगिल ने प्रेस कांफ्रेंस में बताया कि किसानों ने 19 मार्च को ‘मंडी बचाओ, खेती बचाओ‘ दिवस मनाने का भी फैसला किया है। इसके साथ ही वो इस महीने भगत सिंह, राजगुरू और सुखदेव का शहीदी दिवस भी मनाएंगे। बुर्जगिल ने बताया कि देशभर के किसानों ने फैसला किया है कि होली के अवसर पर वो तीनों कृषि कानूनों को होलिका दहन में जलाकर सरकार को यह बताएँगे कि किसानों की एकता और दृण निश्चय अभी कम नहीं हुआ है।
किसान आंदोलन: क़ानून वापस ले लो, हम घर चले जायेंगे। टिकरी बॉर्डर
अलग अलग राज्यों में जाकर पंचायतों को संबोधित कर रहे हैं कृषि नेता-
बता दें कि किसान आंदोलन में शामिल कई कृषि नेता अब अलग अलग राज्यों में जाकर, कई क्षेत्रों की पंचायतों को भी संबोधित कर रहे हैं, जिससे ज़्यादा से ज़्यादा किसान और मज़दूर इस आंदोलन में जुड़ सकें। पिछले कई दिनों से किसान आंदोलन में शामिल राकेश टिकैत जैसे कई नामी कृषि मंत्री उत्तराखंड, पश्चिम बंगाल आदि राज्यों में जाकर वहाँ हो रही पंचायतों का नेतृत्व कर रहे हैं, और ग्रामीणों को कृषि आंदोलन के बारे में जागरूक कर रहे हैं। कृषि मंत्रियों का कहना है कि वो सरकार का तानाशाही चेहरा पूरे देश के नागरिकों के सामने लाना चाहते हैं और सबको यह बताना चाहते हैं कि सरकार कैसे सिर्फ अपने फायदे के लिए कृषि कानून लागू कर रही है, जिससे केवल उद्योगपतियों और बड़े व्यापारियों को लाभ होगा। सरकार के लिए किसान तो सिर्फ एक जरिया हैं जिसकी आय बढ़ाने की बात कर सरकार सिर्फ अपना फायदा निकाल रही है।
किसानों की मानें तो अलग अलग राज्यों में जाकर विभिन्न पंचायतों का संचालन करना इस आंदोलन के लिए सफल साबित हो रहा है, और प्रतिदिन देश के हर कोने से इस आंदोलन में लोग जुड़ रहे हैं।
क्या सरकार पर होगा इसका का कोई असर-
अलग-अलग राज्यों के किसान इस आंदोलन को सफल बनाने के लिए रोज़ नई रणनीतियां बना रहे हैं और कृषि क़ानून को निरस्त कराने की हर कोशिश कर रहे हैं। अब देखना यह होगा कि किसानों द्वारा आयोजित पेट्रोल डीज़ल के बढ़ते दामों के खिलाफ 15 मार्च को होने वाले प्रदर्शन, 26 मार्च को भारत बंद आदि से हमारी सरकार को कोई फर्क पड़ेगा या नहीं। क्या किसानों द्वारा तैयार की गयी इतनी रणनीतियों के बावजूद भी सरकार कृषि कानून वापस न लेने के फैसले पर डटी रहेगी? क्या मार्च का महीना समाप्त होते होते हमें इस पूरे मामले में नए उतार चढ़ाव देखने को मिलेंगे? यह तो समय ही बताएगा।
इस खबर को खबर लहरिया के लिए फ़ाएज़ा हाशमी द्वारा लिखा गया है।