किसान है परेशान, कैसे मिले अन्ना जानवरों से निदान ? हेलो दोस्तों, मैं हूं मीरा देवी। खबर लहरिया की ब्यूरो चीफ। मेरे शो राजनीति, रस, राय में आपका बहुत बहुत स्वागत है। किसान और जानवर एक दूसरे के बिना अधूरे हैं। जैसे किसान की कल्पना बिना पशुपालन ने नहीं की जा सकती ठीक वैसे बिना पशुओँ की कल्पना बिना किसान नहीं की जा सकती लेकिन इस समय दोनों एक दूसरे के दुश्मन बन गए हैं।
इसकी जिम्मेदार सिर्फ सरकार ही है। क्योंकि सरकार ने इसको राजनीतिक मुद्दा और हिंदुत्व से जोड़ दिया है। एक तरफ गाएं गौशाला में मर रही है तो दूसरी तरफ वह गौशाला के बाहर किसानों की फसलें खाये जा रही है। किसान रात रात जागकर अपने खेतों की रखवाली कर रहे हैं। फिर भी हर रोज सैकड़ों एकड़ की फसल अन्ना जानवर चट कर जाते हैं। इस समय किसानों की स्थिति खराब करने का दौर चल रहा है।
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एक तरफ किसान खेतों में अपनी फसल की रखवाली कर रहा और दूसरी तरफ दिल्ली बॉर्डर पर तीन कृषि कानून के विरोध को लेकर रात दिन एक कर रहै हैं। दोनों समस्याओं में किसान निपटने की कोशिश कर रहा है वह सबका पेट भरने के लिए कर रहा है। इस मामले को लेकर मैंने रिपोर्टिंग की। मुख्यालय से लगभग 40 किलोमीटर दूर बसे गांव पहुंची परागी डेरा।
जिस सड़क से मैं जा रही थी वह थी जौहरपुर से पदारथपुर गांव को जोड़ने वाली सड़क। सड़क के अगले बगल के खेत खाली थे। इन खाली खेतों के बारे में मैंने एक व्यक्ति से पूंछ ही लिया। वह व्यक्ति बकरियां चरा रहा था। भड़क कर बोला। अन्ना जानवर खा गए और चरते हुए अन्ना जानवर के झुंड तरफ इशारा करते बोला देख लीजिए अगर झूठ कह रहा हूं। रात रात भर किसान जागकर फसल की रखवाली करता है फिर भी फसल चार ही जाती है। एक दूसरे चरवाहे से मैं कहा कि गौशाला नहीं है क्या, इनको वहां पर बन्द क्यों नहीं किया गया। वह भी भड़कते हुए कहा किसी में इतनी हिम्मत नहीं कि इन जानवरों को गौशाला के अंदर करे। यह रुक ही नहीं सकती गौशाला में।
किसानों ने कई बार प्रयाश किया लेकिन गौशाला से ये गायें तोड़ फाड़ कर भाग आई। ये ऐसी गायें हैं कि अगर इनको बांदा तक भी खदेड़ आओ आप मोटरसाइकिल से गांव न आ पाओगे और ये गायें आपको गांव में ही मिलेंगी। ऐसी गायें है कि आपकी जान भी ले सकती हैं। किसानों में यह भी बताया कि इस मामले को लेकर वह अपने यहां के प्रधान और राजनीतिक लोगों से कहें हैं लेकिन उन लोगों ने कहा कि इसको राजनीतिक मुद्दा न बनाओ। पंचायतीराज के चुनाव आ रहे हैं इसलिए किसान लोग इसको मुद्दा बना रहे हैं। इसलिये बीडीओ, डीएम और मुख्यमंत्री शिकायत पोर्टल में शिकायत दर्ज करवाई। जांच तो हुई लेकिन फर्जी तरीके से जांच कराई गई।
बीडीओ और सचिव ने जो जांच प्रशासन को सौंपी उसमें इस मामले को झूठ बताया गया। ऐसा क्यों किया बीडीओ और सचिव ने? अधिकारियों को गुमराह करने की अच्छी शाजिस है। इस बारे में मैंने जब पशु अधिकारी से बात की तो उनका कहना था कि उस गांव की जांच उन्होंने खुद की है। यह शिकायत पहले से आ रही थी लेकिन वहां पर सब ठीक ठाक है सारी गायें गौशालाओं में हैं। जबकि ये अन्ना गायें बहुत ज्यादा आतंक मचाये हैं। मैंने खुद उन गायों के झुंड को देखा। मेरे पास इसके फोटो वीडीओ सबकुछ हैं।
क्या अधिकारी इस विज्वल को झूठा ठहरा सकते हैं? वरना प्रशासन को मौके में जाकर इसकी इंक्वायरी करना चाहिए जो सच है उसमें कार्यवाही करें। साथियों इन्हीं विचारों के साथ मैं लेती हूं विदा, अगली बार फिर आउंगी एक नए मुद्दे के साथ। अगर ये चर्चा पसन्द आई हो तो अपने दोस्तों के साथ शेयर करें। लाइक और कमेंट करें। अगर आप हमारे चैनल पर नए हैं तो चैनल को सब्सक्राइब जरूर करें। बेल आइकॉन दबाना बिल्कुल न भूलें ताकि सबसे पहले हर वीडियो का नोटिफिकेशन आप तक सबसे पहले पहुंचे। अभी के लिए बस इतना ही, सबको नमस्कार!
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