भारतीय किसान यूनियन ने आज 14 दिसंबर 2020 को जिला ललितपुर और वाराणसी में कलेक्ट्रेट ऑफिस के सामने रैली की है। उनकी मांग है कि सरकार द्वारा पारित तीन काले कृषि कानूनों को वापिस लिया जाए। ताकि जो 11 किसान इस लड़ाई में शहीद हुए हैं, उनकी आत्मा को शांति मिल सके।
अगर कोई व्यापारी न्यूनतम मूल्य से कम में अनाज की खरीद करता है तो उसे सात साल की सज़ा का प्रावधान किया जाए। लोगों का कहना है कि जब से केंद्र में बीजेपी की सरकार आयी है, उन्होंने सिर्फ महंगाई ही देखी है। जब तक सरकार तीन कृषि कानून को वापस नहीं लेती, वे अपनी जान गवां देंगे लेकिन पीछे नहीं हटेंगे।
तीन कृषि कानूनों के विरोध में देशभर में अलग-अलग स्थानों पर किसानों द्वारा धरना प्रदर्शन और आंदोलन किया जा रहा है। दिल्ली के टिकरी और सिंघु बॉर्डर पर कई राज्यों से इकट्ठा किसान लगभग 20 दिन से कृषि बिल को वापस लेने की लड़ाई लड़ रहे हैं। लेकिन अभी तक सरकार की तरफ से किसानों की समस्या के निवारण को लेकर कोई भी कदम नहीं उठाया गया है। आखिर कब सरकार किसानों की तरफ देखेगी? उनकी समस्याओं को समझेगी? उसका निवारण करेगी?