जिला महोबा ब्लाक जैतपुर, मुढारी गांव के रहने वाली एक लड़की जिसका नाम नीतू सरगम है उसने अपनी गायकी से कैरियर बनाया है
नीतू सरगम का कहना है कि अब तो उन्होंने पढ़ाई भी छोड़ दी है और 3 साल से बराबर गायकी का ही काम कर रही हैं। पहले उनका सपना नहीं था कि वे गायक बने लेकिन जब वो छोटी थी और पढ़ने जाती थी तब स्कूलों में कार्यक्रम होते थे उसी समय से उन्होंने ठान लिया था कि उन्हें भी एक गायिका बनना है ताकि उनका नाम रोशन हो। नीतू उस गांव की रहने वाली हैं जो इंदिरा गांधी के नाम से जाना जाता है।
वह यही चाहती हैं कि कोई भी लड़की हो उसको समाज को नहीं देखना चाहिए और अपने कैरियर बनाने पर ध्यान देना चाहिए, क्योंकि समाज लड़कियों के लिए गलत ही सोचता है लेकिन उन बातों को वो जब सुनती हैं तो उन्हें लगता है कि अपना खुद का स्वभाव अच्छा होना चाहिए। उनका कहना है कि जब हम मंच में जाते हैं तब हमें हर तरह के लोग भी मिलते हैं पर उनसे कैसे बातचीत करनी है यह अपने ऊपर होता है। वह 3 साल से अलग-अलग गांव और अलग-अलग जिले में गायन कर चुकी हैं। जो उनके गाने होते हैं वह भजने होते हैं जो क्यूंकि वे भजन बहुत पसंद करती हैं, उन्होंने गायकी अपने स्कूल के ही मास्टर से सीखा है। घर में भी उनके मम्मी पापा बहुत साथ देते हैं गायन को लेकर क्योंकि उनके परिवार में ना ही उनके गांव में लड़कियां कभी गाने के लिए बाहर नहीं निकली हैं।
बुंदेलखंड बहुत पीछे चल रहा है जो आगे लड़कियां नहीं आती हैं उनको बढ़ावा देने के लिए वह गाने जाती हैं।
नीतू सरगम के मां ने बताया है कि मैंने कभी सोचा नहीं था कि मेरी लड़की ऐसी गायक बनेगी जो दूर-दूर गाने के लिए जाएगी और मुझे बहुत अच्छा लगता है, भले ही गांव के लोग कहते हैं कि आपकी लड़की सयानी है और उनको बाहर क्यों भेजती हो गाने के लिए तो मैं यही कहती हूं गाना एक अच्छी चीज होती है आपको क्या आपत्ति है जब मैं अपने लड़की के गाना सुनती हूं तो मेरा दिल खुश हो जाता हैजिला महोबा ब्लाक जैतपुर, मुढारी गांव के रहने वाली एक लड़की जिसका नाम नीतू सरगम है उसने अपनी गायकी से कैरियर बनाया है नीतू सरगम का कहना है कि अब तो उन्होंने पढ़ाई भी छोड़ दी है और 3 साल से बराबर गायकी का ही काम कर रही हैं। पहले उनका सपना नहीं था कि वे गायक बने लेकिन जब वो छोटी थी और पढ़ने जाती थी तब स्कूलों में कार्यक्रम होते थे उसी समय से उन्होंने ठान लिया था कि उन्हें भी एक गायिका बनना है ताकि उनका नाम रोशन हो। नीतू उस गांव की रहने वाली हैं जो इंदिरा गांधी के नाम से जाना जाता है। वह यही चाहती हैं कि कोई भी लड़की हो उसको समाज को नहीं देखना चाहिए और अपने कैरियर बनाने पर ध्यान देना चाहिए, क्योंकि समाज लड़कियों के लिए गलत ही सोचता है लेकिन उन बातों को वो जब सुनती हैं तो उन्हें लगता है कि अपना खुद का स्वभाव अच्छा होना चाहिए। उनका कहना है कि जब हम मंच में जाते हैं तब हमें हर तरह के लोग भी मिलते हैं पर उनसे कैसे बातचीत करनी है यह अपने ऊपर होता है। वह 3 साल से अलग-अलग गांव और अलग-अलग जिले में गायन कर चुकी हैं। जो उनके गाने होते हैं वह भजने होते हैं जो क्यूंकि वे भजन बहुत पसंद करती हैं, उन्होंने गायकी अपने स्कूल के ही मास्टर से सीखा है। घर में भी उनके मम्मी पापा बहुत साथ देते हैं गायन को लेकर क्योंकि उनके परिवार में ना ही उनके गांव में लड़कियां कभी गाने के लिए बाहर नहीं निकली हैं। बुंदेलखंड बहुत पीछे चल रहा है जो आगे लड़कियां नहीं आती हैं उनको बढ़ावा देने के लिए वह गाने जाती हैं। नीतू सरगम के मां ने बताया है कि मैंने कभी सोचा नहीं था कि मेरी लड़की ऐसी गायक बनेगी जो दूर-दूर गाने के लिए जाएगी और मुझे बहुत अच्छा लगता है, भले ही गांव के लोग कहते हैं कि आपकी लड़की सयानी है और उनको बाहर क्यों भेजती हो गाने के लिए तो मैं यही कहती हूं गाना एक अच्छी चीज होती है आपको क्या आपत्ति है जब मैं अपने लड़की के गाना सुनती हूं तो मेरा दिल खुश हो जाता है