नान खटाई का नाम तो आपने भी सुना होगा। जिसे गाँव की गलियों में लोग बेचने आते थें। यह एक तरह का बिस्किट होता है जिसे बच्चे और बड़े सभी खाना बेहद पसन्द करते हैं।
जिला वाराणसी में सावन के महीने में नान खटाई काफी मशहूर है। यह एक दिन में बन जाती है और सावन के महीने में लोग बहुत चाव से इसे खाते हैं। यहां के लोगों का कहना कि यह खटाई दो महीने ज़्यादा दिखती और बनती है। यह 120 से 160 रूपये के बीच बिकती है।
दो थालियों के बीच में नान खटाई की ट्रे रखकर यानी ऊपर और नीचे और फिर लकड़ी के कोयले के अंगार बिछाकर नान खटाई को बनाया जाता है।
शिवमोहन कहते हैं कि वह 25 सालों से खटाई बना रहे हैं। उनके पिता और दादा भी यही काम करते थे। इसे बनाने में 5 किलो सूजी और 4 किलो शक्कर लगता है। शिवमहोन हर दिन 10 किलो खटाई बनाते हैं और वाराणसी जिले के गाज़ीपुर, बलिया, जौनपुर आदि जगहों में जाकर बेचते हैं।
खटाई बनाने के लिए पहले वह सारी सामग्री को मिला लेते हैं और फिर उसे 20 मिनट के लिए छोड़ देते हैं। फिर वह गोला बनाते हैं और उसे छोटे- छोटे टुकड़े में काट देते हैं। फिर साँचा तैयार करने के बाद उसे अंगीठी में तीन से पांच मिनट तक रखते हैं। बनने के बाद इसे लोग एक महीने तक खा सकते हैं।
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