सुषमा जो आदिवासी समुदाय से हैं ने बताया कि उनके परिवार को अभी तक आवास किसी को भी नहीं मिला है। दिहाड़ी मजदूर है और बालू, पत्थर और गिट्टी का काम करते हैं। उन्होंने कहा कि वे काफी सालों से पन्नी के झोपड़ी में गुजारा कर रहे हैं और उन्हें रहने के लिए कोई सहारा नहीं है।
रिपोर्ट – सुनीता, लेखन – कुमकुम
प्रयागराज जिले के ब्लाक शंकरगढ़ गांव लखनपुर दफाई जंगल में रहने वाले पठान परिवार और आदिवासी परिवार के लिए गर्मी का मौसम एक बड़ी चुनौती है। लगभग 25 पठान परिवार और 25 आदिवासी परिवार इस समय खुले में रह रहे हैं और इस समय प्रयागराज का तापमान 45 डिग्री सेल्सियस पहुंच गया है और उन्हें न तो कोई छाया है और न ही घर रहने के लिए कोई व्यवस्था है।
हकिकू बानो ने बताया कि वे इसी जगह खुले धूप में रहते हैं और गर्मी के मौसम में तापमान बढ़ने से उनकी स्थिति और भी खराब हो गई है। वे कहते हैं कि लोग घर में भी रहने के लिए मजबूर हैं लेकिन वे खुले मैदान में इस तरह के धूप में बैठे रहते हैं।
सुषमा जो आदिवासी समुदाय से हैं ने बताया कि उनके परिवार को अभी तक आवास किसी को भी नहीं मिला है। दिहाड़ी मजदूर है और बालू, पत्थर और गिट्टी का काम करते हैं। उन्होंने कहा कि वे काफी सालों से पन्नी के झोपड़ी में गुजारा कर रहे हैं और उन्हें रहने के लिए कोई सहारा नहीं है।
वे ऑनलाइन आवेदन कर चुके हैं।लेकिन अभी तक आवास नहीं मिला है। वे मजबूर हैं और इस तरह के धूप और झोपड़ी में रहने के लिए मजबूर हैं। उन्होंने बताया कि उन्होंने ऑनलाइन आवेदन करवाने में हजारों रुपए खर्च किए हैं और कुछ लोगों को पैसे भी दिए हैं जो आवास दिलाने का दावा करते थे।लेकिन अभी तक कुछ नहीं हुआ है।
जब आंधी और तूफान आती है तो उनकी पन्नी की झोपड़ी उड़ जाती है और उनका सामान बिखर जाता है। हर साल पन्नी खरीदते हैं, लेकिन यह उनकी समस्या का हल नहीं है।
लोगों ने की आवास की मांग
इन परिवारों ने आवास की मांग की है लेकिन अभी तक उन्हें कोई आवास नहीं मिला है। ने बताया कि वे इतने साल सेगर्मी सर्दी और बरसात मतलब हर मौसम इसी तरह गुजारते हैं। वे गरीब हैं और उनके पास इतना आमदनी नहीं है कि अपने से घर बनवा सकें।
धूप में रहने से स्वास्थ्य पर पड़ रहा असर
इन परिवारों के सदस्यों को स्वास्थ्य समस्याएं भी हैं। रतनूम अली ने बताया कि उनकी उम्र 80 साल है और वे दमा की बीमारी से पीड़ित हैं। वे कहते हैं कि गर्म मौसम में ठंड जगह रहने की जरूरत होती है लेकिन वे खुले धूप में बैठे रहते हैं। इस वजह से स्वास्थ्य पर इसका असर पड़ रहा है।
दो साल पहले उनके दस वर्षीय बेटे की गर्मी के कारण मृत्यु हो गई थी। “यदि हमारे पास घर होता, तो वह बच सकता था वे कहती हैं। इस तरह की घटनाएं इन समुदायों में आम होती जा रही हैं, जहां बच्चों की सेहत पर गंभीर खतरा मंडरा रहा है।
ग्रामीणों की समस्या का समाधान
गांव लखनपुर के प्रधान रामजतन ने कहा कि हमारे यहां लगभग चार हजार की आबादी है और उनके कार्यकाल में लगभग 200 आवास आए हैं। जिन परिवारों का सर्वे सन 2011 में हुआ था और उनका नाम सूची में था उन्हें आवास दिया गया है। जिन परिवारों का नाम सूची में नहीं था उन्हें आवास नहीं मिला है।वर्तमान में घर-घर आवास का सर्वे चल रहा है।जिसमें उन परिवारों का नाम शामिल किया जा रहा है
सचिव अतुल रंजन का बयान
ब्लाक शंकरगढ़ सचिव अतुल रंजन ने कहा कि पठान परिवार और आदिवासी परिवार जो खुले में रह रहे हैं।उनका इस साल सर्वे में नाम चढ़ गया है और इस बार जो आवास आएंगे तो जरूर दिया जाएगा। हर गांव में रोजगार सेवक घर-घर जाकर सर्वे कर रहे हैं और यह योजना दो महीना से चल रही है जिसका अंतिम तारीख 30 अप्रैल तक है। वैसे तो सबका सर्वे हो गया है ।लेकिन जो छूटे हैं तो वे अलग-अलग गांव में जाकर देखेंगे कि कौन लोग छूट गए हैं और उनका भी नाम लिस्ट में डाल देंगे। इससे यह पता लग पायेगा कि सभी पात्र परिवारों को आवास योजना का लाभ मिल गया है।
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