कहते हैं मोहब्बत जाति की दीवार तोड़ देती है। सरहदों का फासला मिटा देती है। गरीबी अमीरी की खाई को खत्म कर देती है। तो अंतरजातीय प्रेम विवाह को लोग बुरा क्यों मानते हैं? अक्सर ख़बरें सुनने को मिलती हैं अंतरजातीय प्रेम प्रसंग के चलते प्रेमी जोड़े की हत्या जैसे बहुत सारे केसेज सुनने को मिलते हैं।
2005-06 के नैशनल फैमिली हेल्थ सर्वे के आंकड़े के मुताबिक भारत में होने वाली कुल शादियों में सिर्फ 10 फ़ीसदी शादियाँ अंतरजातीय होती हैं। वहीं अंतरधार्मिक विवाह 2.1 फ़ीसदी होते हैं। अगर हम 2016 के नेशनल काउन्सिल ऑफ अप्लाइड इकोनामिक रिसर्च के सर्वे के मुताबिक भारत में होने वाली कुल शादियों में 5 फ़ीसदी शादियाँ अंतरजातीय शादियाँ होती हैं। अगर हम खबर लहरिया की बात करें तो हमने लगभग 6 से 7 स्टोरी अंतरजातीय विवाह पर कवरेज की है।
ताज़ा उदाहरण ये है बांदा जिले में कमरे में बंद करके प्रेमी-प्रेमिका को जिंदा जलाने से पहले युवती के परिजनों ने दोनों पर बरछी से हमला किया था। इसके बाद कमरे में आग लगा दी थी। गंभीर रूप से झुलसे युवक को जिला अस्पताल ले जाते समय रास्ते में मौत हो गई, जबकि युवती ने कानपुर ले जाते समय रास्ते में दम तोड़ दिया। सूचना मिलने पर देर रात आईजी, डीएम और एसपी ने भी घटनास्थल का निरीक्षण किया।
मटौंध थाना क्षेत्र के करछा गांव में 5 अगस्त दिन बुधवार को गांव का ही भोला आरख (24) पुत्र आशाराम गांव की 22 वर्षीय स्वजातीय युवती के घर गया था। पुलिस और परिजनों के मुताबिक दोनों के बीच कुछ दिनों से प्रेम प्रसंग चल रहा था। इसी बीच युवती का भाई घर आ गया। दोनों को आपत्तिजनक स्थिति में देखा तो भाई लाखन उर्फ लक्खू सिंह आपा खो बैठा। उसने भोला पर कुल्हाड़ी से हमलाकर घायल कर दिया। कमरे के दरवाजे बाहर से बंद कर दिए और फोन करके माता-पिता और अन्य परिजनों को बुला लिया। सभी ने युवक और युवती पर बरछी से कई वार किए। दोनों जान बख्शने के लिए गिड़गिड़ाते रहे। भाई ने पहले तो युवती को कमरे से बाहर निकाल लिया, लेकिन युवती ने प्रेमी को बचाने की कोशिश की तो उसको भी कमरे में बंद कर केरोसिन डालकर आग लगा दी। इस बीच भोला के परिजन भी मौके पर आ गए।
बेटे की जान बख्शने के लिए गिड़गिड़ाते रहे, मगर किसी ने नहीं सुनी। बताया जाता है कि आग लगा देने के बाद गांव के लोग भी तमाशाई बने रहे। यह मानला बहुत देर तक चलता रहा। उस घर के आसपास सब लोग जान चुके थे लेकिन किसी ने कोई मतलब नहीं रखा। भोला के परिवार वालों ने 100 नम्बर और 112 डायल करते रहे। बहुत देर तक फोन नहीं लगा।
जब फोन लगाया तो भी पुलिस की गाड़ी (112 नम्बर) दो घण्टे के बाद पहुंची। तब तक दोनों गंभीर रूप से झुलस चुके थे। युवती पुलिस को सिर्फ इतना ही बता पाई कि उसी ने भोला को फोन करके बुलाया था। पुलिस ने दोनों को जिला अस्पताल पहुंचाया। यहां भोला को डॉक्टरों ने मृत घोषित कर दिया। युवती को कानपुर रेफर कर दिया। रास्ते में उसकी भी मौत हो गई। देर रात तक मंडल के पुलिस महानिरीक्षक के. सत्यनारायण, डीएम अमित सिंह बंसल, एसपी डॉ. एसएस मीणा फोर्स के साथ घटनास्थल पहुंचे।
पूरी घटना की जानकारी ली। देर रात सिविल लाइन पुलिस चौकी में पुलिस महानिरीक्षक ने घटना के बारे में जानकारी दी। रात में ही दोनों शवों के पंचनामा की प्रक्रिया पूरी कर तड़के पोस्टमार्टम कराया गया। गांव में अलग-अलग दोनों का अंतिम संस्कार हुआ। जिंदा जलाकर प्रेमी-प्रेमिका की हत्या के मामले में प्रेमी युवक भोला के बड़े भाई फूलचंद्र ने मटौंध थाने में नौ लोगों के विरुद्ध रिपोर्ट दर्ज कराई है। इनमें युवती का पिता हुकुमा उर्फ हुकुम सिंह, मां आशा देवी, भाई लाखन उर्फ लक्खू सिंह, गांव के पूर्व प्रधान बाबू, दो सगे भाई बेटन व फूलचंद्र पुत्रगण मूलचंद्र, वीरेंद्र व राजू पुत्रगण फूलचंद्र व हरिश्चंद्र पुत्र बेटन शामिल हैं।
सभी पर धारा 147, 148, 149, 302 और 201 की रिपोर्ट दर्ज हुई है। मटौंध पुलिस ने हुकुम सिंह और उसकी पत्नी आशा तथा पुत्र लक्खू उर्फ लाखन सहित वीरेंद्र पुत्र फूलचंद्र को गिरफ्तार कर लिया है। इनके कब्जे से घटना में इस्तेमाल कुल्हाड़ी, लाठी भी बरामद कर ली है। अदालत में पेश करने के बाद सभी को जेल भेज दिया गया।