खबर लहरिया Blog cop killed in Chhattisgarh Maoist encounter : छत्तीसगढ़ में माओवादियों के साथ मुठभेड़, मध्य प्रदेश के हॉक फोर्स इंस्पेक्टर हुए शहीद

cop killed in Chhattisgarh Maoist encounter : छत्तीसगढ़ में माओवादियों के साथ मुठभेड़, मध्य प्रदेश के हॉक फोर्स इंस्पेक्टर हुए शहीद

मध्य प्रदेश के माओवादी विरोधी इकाई हॉक फोर्स (Hawk Force) के इंस्पेक्टर आशीष शर्मा (Ashish Sharma) माओवादियों के साथ भीषण मुठभेड़ के दौरान गोली लगने से शहीद हो गए। उन्हें दो बार वीरता पदक से सम्मानित भी किया गया था। यह घटना कल बुधवार 19 नवंबर की है। यह घटना तब हुई जब 40 वर्षीय आशीष शर्मा एक अंतर-राज्यीय संयुक्त अभियान में हॉक फोर्स की एक टुकड़ी का नेतृत्व कर रहे थे।

इंस्पेक्टर आशीष शर्मा की तस्वीर (फोटो साभार : गूगल जेमिनी)

छत्तीसगढ़ से अक्सर माओवादियों के सरेंडर और एनकाउंटर की खबरें आती रहती हैं। हाल ही में 18 नवंबर 2025 को पिछले दो दशकों में कई हमलों का मास्टर माइंड शीर्ष नक्सली कमांडर मादवी हिडमा का एनकाउंटर हुआ था जिसमें उनकी मौत हो गई है। जानकारी के अनुसार पड़ोसी राज्य आंध्र प्रदेश में मुठभेड़ के दौरान उनकी मौत हुई।

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इस बार छत्तीसगढ़ के जंगलों से बुरी खबर सामने आई जब हॉक फोर्स (Hawk Force) के इंस्पेक्टर आशीष शर्मा के शहीद होने की खबर सामने आई। इसकी वजह से हॉक फोर्स (Hawk Force) को एक बड़ा झटका लगा।

Hawk Force (हॉक फोर्स) क्या होता है?

जानकारी के मुताबिक Hawk Force (हॉक फोर्स) किसी राज्य की विशेष पुलिस इकाई (Special Police Unit) को कहा जाता है जिसे मुख्य रूप से अपराधिक गतिविधियों पर तुरंत कार्रवाई करने के लिए बनाया जाता है। यह नाम अलग-अलग राज्यों में अलग-अलग तरह की विशेष टीमों के लिए इस्तेमाल हो सकता है। हॉक फोर्स के कामों में अपराधियों पर तुरंत कार्रवाई करना, संवेदनशील क्षेत्रों में पेट्रोलिंग, नक्सल/आतंकी जैसी विशेष परिस्थितियों में ऑपरेशन, बेहतर प्रशिक्षण और आधुनिक हथियारों से लैस होना और विशेष मिशनों को अंजाम देना शामिल होता है।

गोली लगने के बाद भी किया टीम का नेतृत्व

इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार पुलिस ने बताया कि सुबह लगभग 8.30 बजे, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और महाराष्ट्र के पुलिस बलों द्वारा इन राज्यों के बीच त्रिकोणीय जंक्शन के घने जंगलों के पास एक संयुक्त अभियान के दौरान, इंस्पेक्टर शर्मा को माओवादियों के साथ मुठभेड़ में जांघ और पेट में गंभीर गोली लगी। इसके बावजूद वे अपनी टीम का नेतृत्व करते रहे। उनके घावों से खून बह रहा था, वह घने जंगल में छिपे आतंकवादियों पर तब तक गोलियां चलाते रहे जब तक कि वह गिर नहीं गए। उनकी चोटें गंभीर थीं, उनके कंधे, पेट, जांघ और हाथों में गोलियां लगी थीं। उन्हें छत्तीसगढ़ के राजनांदगांव जिले के डोंगरगढ़ सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र ले जाया गया, लेकिन डॉक्टरों द्वारा बचाने की पूरी कोशिश के बावजूद उनकी मौत हो गई।

विशेष महानिदेशक (माओवादी विरोधी अभियान) पंकज श्रीवास्तव ने कहा, “हमने उन्हें सुपर स्पेशियलिटी सेंटर में ले जाने के लिए एयर एम्बुलेंस की भी व्यवस्था की थी लेकिन उन्हें एयरलिफ्ट किए जाने से पहले ही उनकी चोटों के कारण मृत्यु हो गई।”

उन्होंने पुष्टि की कि माओवादी पक्ष के लोग भी हताहत हुए हैं, हालांकि सटीक आंकड़े ऑपरेशन समाप्त होने के बाद ही पता चल पाएंगे।

कौन है हॉक फोर्स (Hawk Force) के इंस्पेक्टर आशीष शर्मा

आशीष शर्मा नरसिंहपुर जिले के गाडरवारा के मूल निवासी थे। वे नौ साल पहले मध्य प्रदेश पुलिस में सब-इंस्पेक्टर के पद पर भर्ती हुए थे। उनकी उत्कृष्ट सेवा के लिए उन्हें इसी साल की शुरुआत में पदोन्नति मिली थी। उन्हें दो बार वीरता पदक विजेता और अपने साहसिक अभियानों के लिए पूरे पुलिस बल में जाना जाता है। सुरक्षा बल छत्तीसगढ़ क्षेत्र में अंदर तक सक्रिय एक बड़े, भारी हथियारों से लैस माओवादी समूह के बारे में सटीक खुफिया जानकारी पर कार्रवाई कर रहे थे।

इंस्पेक्टर आशीष शर्मा की तस्वीर (फोटो साभार : सोशल मीडिया)

इंस्पेक्टर शर्मा बालाघाट जिले में हॉक फोर्स में कार्यरत थे और उन्हें इसके सबसे निडर अधिकारियों में से एक माना जाता था। इस साल की शुरुआत में, फरवरी 2025 में रौंदा के जंगलों में तीन कट्टर महिला माओवादी कार्यकर्ताओं को मार गिराने वाले एक अभियान का नेतृत्व करने के बाद उन्हें बिना उन्हें बिना इंतज़ार किए के प्रमोशन दिया गया। इस ऑपरेशन के लिए फोर्स में उनकी खूब तारीफ़ हुई।

विशेष महानिदेशक (नक्सल विरोधी अभियान) पंकज श्रीवास्तव ने टीएनआईई से कहा “हमने एक बहादुर इंस्पेक्टर खो दिया है, जो हमारे सबसे महत्वपूर्ण ऑपरेशनों का आधार थे और जिन्हें इस साल सब-इंस्पेक्टर से इंस्पेक्टर के पद पर बिना बारी के पदोन्नति मिली थी, क्योंकि 19 फरवरी को बालाघाट जिले के रौंदा जंगलों में हुई मुठभेड़ में उनकी अहम भूमिका थी, जिसके परिणामस्वरूप चार कट्टर महिला नक्सली कैडर मारे गए थे।”

 

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