9 नवम्बर 2018
चीफ रिपोर्टर की डायरी: एपिसोड 45
इस साल मध्य प्रदेश संग कई अन्य क्षेत्रो में विधान सभा चुनाव प्रक्रिया की जाएगी। जिसके चलते हर नेता अपने चुनाव प्रचार के लिए ज़ोरों-शोरों से हर क्षेत्र में जाकर रैलियों संग कई प्रचार आयोजन भी करेंगे। और यही उम्मीदवार अपने प्रचार-प्रसार के लिए इन रैलियों में खूब सारा पैसा भी खर्च करेंगे। और चुनाव जीतने के बाद सरकार से वही पैसा वसूल भी लेंगे।
पिछले साल जब रिपोर्टर इन्ही में से एक चुनाव प्रचार में गई थी तो उन्हें इन उमीदवार के सह्योगिओं से पता चला कि उन्हें दिहायी तो मिलती ही है साथ में उन्हें नेता की ड्रेस यानी की सफ़ेद कुर्ता-पजामा और खाने-पीने की सुविधा भी प्राप्त होती है।
टेंट लगाना, बैनर बनवाना, बैंड-बाजेवालों को बुलाना और ऐसे कई सारे खर्चे नेता द्वारा किये जाते हैं। जबकि सरकार द्वारा ऐसे चुनाव प्रचार की मन्हायी की गई है।
ऐसे में मीडिया इन चुनाव प्रचार में अहम भूमिका निभाती है। लेकिन रिपोर्टर द्वारा ऐसे कवरेज करना काफी चुनौतियाँ खड़ी करता है। इन प्रचारों के दौरान उमीदवार के सहयोगियों से ऐसी बातें निकलवाना काफी मुश्किल भी है। लोग डरते हैं कि ऐसी स्थिति में नेता उनसे उनका रोज़गार भी छीन लेते हैं। जैसे पिछले चुनाव के दौरान रिपोर्टर को पता चला कि एक लोकल गायक को किसी दूसरी पार्टी के लिए गाना गाने की वजह से उसे उसका रोज़गार छीन लिया गया था।
ऐसे ही एक गॉंव में चुनाव प्रसार के दौरान जब रिपोर्टर वहां पहुंची तो उन्हें पता चला कि उस गॉंव में महिलाओं को कुछ ही समय पहले एक उमीदवार द्वारा गहने और कपडे बांटे गए थे। भले ही लोगों ने वो चीज़े स्वीकार कर उमीदवार को आश्वासन दिया हो की चुनाव में उसे ही वोट देंगे लेकिन लोग इसमें अपना फ़ायदा देखकर सभी उमीदवारों के साथ यही करते हैं। उनका कहना था कि वो वोट अपनी इच्छा अनुसार देंगे न कि लोगों द्वारा उपहार देने की अनुसार।
ऐसे में इस मुद्दे पर चर्चा की बात ये है कि सरकार कैसे चुनाव के दौरान इस प्रचार को रोक सकती है।
आगे ऐसे ही और मुद्दों पर रिपोर्टर की कहानी सुनने के लिए अगले हफ्ते ‘चीफ रिपोर्टर की डायरी’ ज़रूर देखें।