चुनाव करते तारीख घोषित होते ही टिकट मिलने की खीचातानी शुरू हो गई है अब देखना यह है की 2019 काजीत का ताज के सर में सजता है।क्या वाक्ई में वह ताज का हकदार होगा या नहीं।यह तो आने वाला समय बतायेगा।पर जनता ने भी ठान लिया है कि इस बार वह धोखा नहीं खायेगें।
10 मार्च को चुनाव की तारीख आते ही लोगों में काफी हलचल हो रही है कि किस को टिटक किस पार्टी से मिलेगा सभी लोग अपने अपनें खीचातानी में लगें हैं।लोगों को जनता की कोई परवाह नहीं है कि उनको किस तरह की समस्या हो रही है।
चित्रकूट के बरगढ़ इलाके के लोगों का कहना है कि हम तो देख देख थक गये हैं जब चुनाव आता है तो नेता मंत्री गांव गांव आना शुरु कर देते हैं और वादे देते हैं पर पिछले 70साल से तो हम वादे पर ही टीकेहैं विकास पर नहीं।इस लिए हम तो वोट देना नहीं चाहते पर यह हमारा अधिकार है यह सोच कर रह जाते हैं।पर सरकार उसकी बननी चाहिए जो सच में विकास करवायें जिसने खुद भी विकास के लिए दरदर भटका हो वही समझ सकता है हमारी बात को और कोई नहीं।
मानिकपुर क्षेत्र के लोगों का कहना है की मोदी सरकार ने सबका साथ और सबका विकासकी बात तो कही पर ऐसा हुआ नहीं है लोग पिछले पांच वर्ष में जैसे थे आज भी बैसे ही हैं।इस लिए चुनाव और वोट देनें को सोचना होगा।हमें तो ऐसा नेता चाहिए जो हमारे मुददों पर खरा उतरे। हमारे मुददों के बारे में कोई नहीं सोचता सब अपनी अपनी कुर्सी की राजनिती में लग जाते हैं।इस लिए हम गरीब जहां हैं वहीं रह जाते हैं तो किस साथ और विकास की बात मोदी जी ने कहां है।क्या डिजिटल का सपना दिखा कर आंनलाइन की लाइन में लगाना हमारा विकास है? या हमें भटकाने की बात कर रहे हैं साथ ही आनलाईन के काम के लिए पैसा इक्कठा कर रही है सरकार ? टिकट चाहे जिसको मिली वोट उसी को मिलेगी जो हमारे मुददो पर काम करेगा।