सीएम केजरीवाल ने कहा कि यह नोटिस एक राजनीतिक षड्यंत्र के तहत भेजे जा रहे हैं। यह जांच 2 साल से चल रही है, 2 साल में इनको कुछ नहीं मिला। लोकसभा चुनाव से अचानक 2 महीने पहले मुझे नोटिस भेज कर क्यों बुलाया जाता है?
उत्पाद शुल्क नीति से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामले में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को आज 2 फरवरी को पांचवी बार पेशी के लिए बुलाया था। सीएम केजरीवाल ने ईडी को यह कहकर मना कर दिया कि यह गैर-कानूनी है। पीएम मोदी पर आरोप लगाते हुए कहा कि वे उनकी सरकार गिराना चाहते हैं।
मामले को लेकर आम आदमी पार्टी द्वारा दिए गए एक बयान में कहा गया, “दिल्ली के मुख्यमंत्री और आप के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल आज भी ईडी के सामने पेश नहीं होंगे। पार्टी ने समन को ‘गैरकानूनी’ बताया है। हम वैध समन का पालन करेंगे। पीएम मोदी का लक्ष्य अरविंद केजरीवाल को गिरफ्तार करना और दिल्ली सरकार को गिराना है। हम ऐसा नहीं होने देंगे।”
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पहले चार बार भेजा गया है समन
31 फरवरी को ईडी द्वारा अरविंद केजरीवाल को पांचवीं बार समन भेजा गया। इससे पहले उन्हें पिछले चार महीनों में चार बार 17 जनवरी, 3 जनवरी, 21 दिसंबर और 2 नवंबर को समय भेजे गए थे।
आप पार्टी ने इसे लेकर कहा था कि उनकी कानूनी टीम उत्पाद शुल्क नीति से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामले में केजरीवाल को ज़ारी समन का अध्ययन कर रही है। बता दें, इस मामले को लेकर पिछले दो सालों से जांच चल रही है।
भाजपा पर राजनीतिक षड्यंत्र का आरोप
बता दें कि इससे पहले सीएम केजरीवाल ने 18 जनवरी को ईडी के समन पर जवाब दिया था। उन्होंने कहा था ईडी ने खुद लिखा है कि केजरीवाल आरोपी नहीं, फिर समन और गिरफ्तारी क्यों ? उन्होंने आगे लिखा कि बीजेपी का मकसद केजरीवाल को गिरफ्तार कराने का है ताकि लोकसभा चुनाव में प्रचार करने से मुझे रोका जा सके। भ्रष्ट नेता बीजेपी में चले जाते हैं, उनके मामले बंद कर दिए जाते हैं। हमने भ्रष्टाचार नहीं किया, हमारा कोई नेता बीजेपी में नहीं जाएगा।
एनडीटीवी की रिपोर्ट के अनुसार, ईडी के चौथे समन के बाद अरविंद केजरीवाल ने जवाब दिया था कि ऐसे जनरल नोटिस नॉन स्पेसिफिक नोटिस ईडी द्वारा जब भी भेजे गए उनको कोर्ट ने निरस्त कर दिया है अवैध घोषित कर दिया। यह नोटिस क्यों गैर-कानूनी है यह मैं कई बार ईडी को लिखकर भेज चुका हूं, लेकिन प्रवर्तन निदेशालय इसका जवाब नहीं दे रहा।
केजरीवाल ने कहा था कि यह नोटिस एक राजनीतिक षड्यंत्र के तहत भेजे जा रहे हैं। यह जांच 2 साल से चल रही है, 2 साल में इनको कुछ नहीं मिला। लोकसभा चुनाव से अचानक 2 महीने पहले मुझे नोटिस भेज कर क्यों बुलाया जाता है? कई अदालत इसे बार-बार पूछ चुकी है कि बताओ कितने पैसे की रिकवरी हुई, कोई सोना या जमीन के कागज या पैसे मिले की रिकवरी हुई क्या? कुछ नहीं मिला।
लोकसभा चुनाव के करीब आने के साथ-साथ फिर से पार्टियों द्वारा गड़े-मुर्दों को उठाया जा रहा है। सत्ता और केंद्र की सरकार की यह लड़ाई इस मामले में साफ़ नज़र आती है।
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