लॉकडाउन के दौरान आये लोगों के सवालों के जवाब देने आ गई एडिटर देखिए एडिटर देगी जवाब: देश की स्थिति कोई भी अनजान नहीं है साथियों इस मुश्किल दौर में गरीबों का दुख देखा नहीं जा रहा है अभी भी बहुत सारी जनता भूखी है लोगों तक फिरी राशन सामग्री नहीं पहुंच रही है कोटेदार भी सिर्फ उन्हीं लोगों को राशन दे रहें हैं जिनके पास राशन कार्ड या जाबकार्ड है लेकिन बहुत से ऐसे लोग हैं जिनके पास राशन कार्ड नहीं हैं खासकर बंजारे लोग सपेरा लोग और भी बहुत लोग हैं क्या सरकार इनतक फिरी खाने पीने की व्यवस्था करवा पायेगी पिछले दो हफ्ते से मैं इसी पर बहुत बात की हूं और आप लोगों ने ऐसी स्टोरियों को भी पसंद किया आपके बहुत सारे सवाल आ गये हैं मेरे पास मुझे लगा इस बार हम थोड़ा बतियाते हैं आपके सवालों के साथ तो चलिए तैयार हो जाइये अपने सवालों के जवाब सुनने के लिए 2अप्रैल को एक स्टोरी हमने पब्लिश की थी कि नरैनी ब्लाक के भवई ग्राम पंचायत के मजरो में बसे ग्रामीण भुखमरी की कगार में पहुंच गयें हैं लोग रोज के कमाने खाने वाले थे अब न तो इनके पास में पैसे हैं न ही घरों में राशन है इस स्टोरी को आप लोगों ने बहुत पसंद किया है और बहुत सारे सवाल आये हैं सवाल-रंजीत नेताम लिखते हैं कि सरकार कहती तो बहुत कुछ है लेकिन करती कुछ नहीं है जवाब-जी मैं रंजीत भाई साहब आपके सवाल से एकदम सहमत हूं सरकार ने अचानक लागडाऊन करने के बाद बहुत आदेश दिया कि लोगों के घर घश्र फिरी राशन पहुंचायेगी , महिलाओं के खाते में जन-धन योजना के तहत पांच सौ रूपये डाले जायेगें किसानों और गरीबों मजदूरों को एक हजार रूपये दिए जायेगें लेकिन इसका लाभ अभी तक लोगों को नहीं मिल रहा है यहां तक कि राशन सामग्री भी सरकार की तरफ से नहीं मिल रही हैं 3अप्रैल को एक खबर की और कबरेज हमने की थी जिसमें यह था कि बांदा के कमासिन क्षेत्र के पछौहां गांव में एक हफ्ते से सर्वर न होने का बहाना करके ग्रामीण लोगों को परेशान किया जा रहा था इस लाकडाऊन के चलते जो गरीबों के खाते में हजार पांच रूपये पड़े थे वो दवा और साग सब्जी के लिए लोग दस दस किलोमीटर से निकालने आते थे लेकिन पैसा नहीं निकलता था ऊपर से पुलिस लोगों को लाठी और ठंडो से मारती है भगाती है इस स्टोरी में भी बहुत सवाल है सवाल-हरीस शुक्ला आप लिखते हैं कि बैंक की ठीक से जांच पड़ताल होनी चहिए मुझे लगता है ये बैंक वाले सर्वर के नाम से लोगों को उल्लू बना रहे हैं जवाब -हरीश जी आपके सवाल काफी वाजिब है हम भी यही दिखाने और बैंक पर सवाल खड़ा करने की कोशिश कर रहे थे कि बैंक मैनेजर की मिली भगत से पुलिस को बुला लिया गया और बैंक के बाहर खड़े गरीबों पर पुलिस ने लाठी चार्ज किया अरे ये कहां का न्याय है आखिर पुलिस ऐसे लोगों को ऊपर हांथ कैसे चला सकती है क्या कसूर था लोगों का , एक तरफ सरकार बोलती है कि गरीबों के खातों में पैसे डालेगी तो दूसरी तरफ पुलिस की गुंडागर्दी से लोग परेशान हैं एक खबर 8अप्रैल को हमने और चलाई जिसमें एक नाबालिग लड़की से साथ रेप का मामला सामने आया है इस पर जो सवाल है मै पढती हूं सवाल-धिरेन्दर कुमार द्विवेदी लिखते हैं कि कड़ी से कड़ी सजा होनी चहिए जवाब- बिल्कुल धीरेन्द्र जी कार्यवाही तो हो ही गई है शिकायत के बाद आरोपी को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है लेकिन ऐसी मुसीबत में महिलाओं और लड़कियों के साथ हिंसा जारी है कयी ऐसे मामले हो रहे हैं जो मीडिया की नजर में भी नहीं है लॉकडाउन के दौरान घरेलू उत्पीड़न भी बढ़ गये हैं और कयी जगह पर तो लोग शिकायत करने के लिए आ भी नहीं पाते हैं इसबंदी की वजह से ऐसे में पुलिस को और भी टाइट कदम उठाने की जरूरत है तो साथियों कैसा लगाये शो मुझे जरूर बताएं और अपने सवाल भेजते रहे मैं अगले हफ्ते फिर मिलूंगी आपके नये सवालों के जवाब देने के लिए