खबर लहरिया Blog दिल्ली-बिहार में 4 की तीव्रता से महसूस हुए भूकंप के झटके, सुनाई दी आवाज़, जानें क्यों आया भूकंप, उसके केंद्र और आवाज़ के बारे में 

दिल्ली-बिहार में 4 की तीव्रता से महसूस हुए भूकंप के झटके, सुनाई दी आवाज़, जानें क्यों आया भूकंप, उसके केंद्र और आवाज़ के बारे में 

राष्ट्रीय भूकंप विज्ञान केंद्र के निदेशक डॉ. ओपी मिश्रा ने समाचार एजेंसी एएनआई को बताया कि “दिल्ली में छोटे भूकंप होते रहे हैं। साल 2007 में भी धौला कुआं में 4.6 तीव्रता से भूकंप आया था। इसमें चिंता की कोई बात नहीं है क्योंकि यह एक भूकंपीय क्षेत्र है। 4.0 तीव्रता के भूकंप के बाद इसके बाद आने वाले झटके 1.2 तीव्रता तक कम हो जाएंगे।”

"Earthquake Tremors of Magnitude 4 Felt in Delhi-Bihar, Audible Sounds Heard: Know Why the Earthquake Occurred, Its Epicenter, and the Sound"

भूकंप की सांकेतिक तस्वीर ( फ़ोटो साभार – सोशल मीडिया)

आज सोमवार, 17 फरवरी 2025 की सुबह दिल्ली, दिल्ली-एनसीआर और इसके बाद बिहार के सिवान जिले में 4 की तीव्रता से भूकंप के भारी झटके महसूस किये गए। रिपोर्ट्स के अनुसार, लोगों को चेतवानी दी गई है कि लोग भूकंप के बाद आने वाले संभावित झटकों को लेकर सतर्क रहें। 

पीएम मोदी ने दिल्ली और आसपास के क्षेत्रों में रहने वाले लोगों से शांति बनाये रखने के साथ, सुरक्षा उपायों को पालन करने की अपील की है। 

धौला कुआं रहा दिल्ली में भूकंप का केंद्र 

दिल्ली व दिल्ली एनसीआर में सुबह लगभग 5:36 बजे 4.0 की तीव्रता से भूकंप आया। राष्ट्रीय भूकंप विज्ञान केंद्र (National Centre for Seismology) के अनुसार, भूकंप का केंद्र दिल्ली था और इसकी गहराई 5 किलोमीटर थी। दी जानकारी के अनुसार, गहराई कम होने की वजह क्षेत्र में महसूस होने वाले झटके ज़्यादा तेज़ थे। 

राष्ट्रीय भूकंप विज्ञान केंद्र ने भूकंप के आंकड़े पुष्टि करते हुए बताया कि इसका केंद्र 28.59 उत्तरी अक्षांश और 77.16 पूर्वी देशांतर पर स्थित था।

भूकंप का केंद्र दिल्ली में धौला कुआं स्थित दुर्गाबाई देशमुख कॉलेज ऑफ स्पेशल एडुकेशन के पास था – न्यूज़ एजेंसी पीटीआई ने इसकी जानकारी दी। 

बिहार का सिवान जिला रहा भूकंप का केंद्र 

राजधानी दिल्ली के बाद बिहार में भी सोमवार सुबह 8:27 बजे भूकंप के झटके महसूस किये गए। बिहार में 4 की तीव्रता से भूकंप आया। रिपोर्ट के अनुसार, यह भूकंप धरती की सतह से तकरीबन 10 किलोमीटर नीचे से उत्पन्न हुआ था। हालांकि, इससे अब तक किसी के भी हताहत होने की कोई ख़बर नहीं है। 

राष्ट्रीय भूकंपीय विज्ञान केंद्र के अनुसार, भूकंप का केंद्र बिहार के सीवान जिले में था। 

किससे मापी जाती है भूकंप की तीव्रता?

बता दें, भूकंप की तीव्रता मापने के लिए आमतौर पर रिक्टर स्केल (Richter Scale) का इस्तेमाल किया जाता है। यह भूकंप के आकार या ऊर्जा को मापने का काम करता है। जब हम कहते हैं कि भूकंप की तीव्रता 4 है तो इससे मतलब एक हल्के भूकंप से होता है। इसे खतरनाक के घेरे में नहीं रखा जाता। 

वहीं अगर भूकंप की तीव्रता 5 या उससे ज़्यादा होती है तो ये भूकंप बड़े होते हैं जिससे अधिक नुकसान हो सकता है। 

दिल्ली में क्यों आया भूकंप? 

आज राजधानी दिल्ली व एनसीआर क्षेत्र में जो हल्का भूकंप आया, वह क्षेत्र की भौतिक विशेषताओं में होने वाले स्वाभाविक बदलाव की वजह से था। इसकी वजह पृथ्वी की प्लेटों/ प्लेट टेक्टोनिक्स ( plate tectonics) में हलचल नहीं थी – एक वरिष्ठ वैज्ञानिक ने इस बारे में बताया। 

बता दें, प्लेट टेक्टोनिक्स (Plate Tectonics) एक भूवैज्ञानिक सिद्धांत होता है। इसके अनुसार, पृथ्वी की बाहरी परत कई बड़े और छोटे भागों में बंटी होती है, जिसे प्लेट्स कहा जाता है। ये प्लेट्स पृथ्वी की सतह पर गतिशील होती है। इन प्लेट्स के आपस के टकराने, अलग होने या रगड़ने से भूकंप, ज्वालामुखी विस्फ़ोट या पर्वतों का निर्माण होता है।

धौला कुआं में रिकॉर्ड है भूकंप के कई मामले 

अधिकारियों द्वारा दी गई जानकारी के अनुसार, धौला कुआं क्षेत्र, जहां पास में एक झील है, वहां हर दो से तीन साल में छोटे भूकंप आते हैं। साल 2015 में यहां  3.3 तीव्रता का भूकंप रिकॉर्ड किया गया था। 

राष्ट्रीय भूकंप विज्ञान केंद्र के निदेशक डॉ. ओपी मिश्रा ने समाचार एजेंसी एएनआई को बताया कि “दिल्ली में छोटे भूकंप होते रहे हैं। साल 2007 में भी धौला कुआं में 4.6 तीव्रता से भूकंप आया था। इसमें चिंता की कोई बात नहीं है क्योंकि यह एक भूकंपीय क्षेत्र है। 4.0 तीव्रता के भूकंप के बाद इसके बाद आने वाले झटके 1.2 तीव्रता तक कम हो जाएंगे।”

आगे बताया कि धौला कुआं में 420 छोटे भूकंप हो चुके हैं और राजधानी दिल्ली पिछले कई दशकों से ऐसी घटनाओं से सुरक्षित रही है। 

भूकंप के दौरान सुनाई दी तेज़ आवाज़ क्या होती है?

अधिकारियों द्वारा बताया गया कि जब दिल्ली में भूकंप के झटके महसूस किये गए तो उस समय एक तेज़ आवाज़ भी सुनाई दी जिसे कई लोगों ने सुना। वहीं झटके लगभग 36 सेकंड तक चले। 

भूकंप के दौरान सुनाई दी आवाज़ को लेकर अमेरिकी भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण (US Geological Survey) ने बताया कि भूकंप के दौरान ज़मीन में कंपन होती है। इससे कुछ समय के लिए भूकंपीय तरंग गति (seismic wave motion) का निर्माण होता है और यह जब हवा में पहुंचती है तो ध्वनि तरंग बन जाती हैं। 

बता दें, कुछ समय के लिए सुनाई दी गई भूकंपीय तरंग गति, वे तरंगे होती हैं जिनकी अवधि कम होती है। इन तरंगो का कंपन बहुत ज़्यादा होता है और कम दूरी तक फैलती हैं। 

भूकंप से उत्पन्न हुई पहली लहर P तरंगे होती हैं, जो कि धवनि तरंगो की तरह  होती है और वातावरण में कंपन पैदा कर सकती हैं। 

सर्वेक्षण के अनुसार, जितना कम गहरा भूकंप का केंद्र होगा, उतनी ही ज़्यादा ऊर्जा सतह तक पहुंच सकती है। उच्च-आवृति वाली भूकंपीय तरंगे ज़मीन के अंदर से गुज़रती हैं, जो कभी-कभी सुनाई देती हैं। इन तरंगो की आवृति ज़्यादा होती है व गति तेज़ होती है और इसका असर छोटे क्षेत्र में तीव्र होता है। 

भूकंपीय क्षेत्र IV में स्थित है दिल्ली

एनडीवी ने अपनी प्रकाशित रिपोर्ट में बताया, दिल्ली में इस तरह के भूकंप आना कोई अलग बात नहीं है। राजधानी दिल्ली में पहले भी कई बार इस तरह से भूकंप के झटके महसूस किये गए हैं। 

दिल्ली भूकंपीय क्षेत्र IV (Seismic Zone IV) में स्थित है, जहां भूकंप का खतरा अधिक होता है – इस बारे में दिल्ली आपदा प्रबंधन प्राधिकरण ने बताया। आगे कहा कि इस क्षेत्र में भूकंपों की तीव्रता आमतौर पर 5 से 6 होती है और कभी-कभी तीव्रता 7 से 8 भी हो सकती है। हालांकि, यह क्षेत्र लगातार बदलता रहता है और क्षेत्र निर्धारण एक निरंतर जारी रहने वाली प्रक्रिया है। 

भूकंपीय क्षेत्र IV का क्या मतलब है?

भूकंपीय क्षेत्र IV, वह भौगौलिक क्षेत्र होता है जो भूकंप के नज़रिये से अधिक संवेनशील और जोखिमपूर्ण होता है। भूकंप के जोखिमों को देखते हुए पूरे देश में भूकंप को 5 भूकंपीय क्षेत्रों में बांटा गया है जिसे अंग्रेजी में Seismic Zone कहा जाता है। 

भूकंपीय क्षेत्र कितने प्रकार के होते हैं?

भूकंपीय क्षेत्रों को 5 क्षेत्र में बांटा गया है – 

क्षेत्र 1 – इसमें भूकंप का खतरा बहुत कम होता है 

क्षेत्र 2 – इसमें भूकंप का खतरा कम होता है 

क्षेत्र 3 – इसमें भूकंप का खतरा मध्यम होता है 

क्षेत्र 4 – इसमें भूकंप का खतरा अधिक होता है ( जैसे दिल्ली, उत्तर भारत के कुछ क्षेत्र)

इसमें वे क्षेत्र आते हैं जहां भूकंप की तीव्रता 5 से 6 और कभी-कभी 7 से 8 हो सकती है। इन क्षेत्रों में हल्के से मध्यम नुकसान हो सकता है। 

क्षेत्र 5 – इसमें भूकंप का खतरा सबसे ज़्यादा होता है ( जैसे – पर्वतीय क्षेत्र, नॉर्थ-ईस्ट) 

भूकंप से बचाव के लिए क्या करें?

भूकंप के दौरान आप ये चीज़ें कर सकते हैं : –

  1. भूकंप के दौरान अपने हाथों और घुटनों पर गिर कर बैठें। किसी मज़बूत फर्नीचर से खुद को ढकें और उसे तब तक पकड़ें रहें जब तक कंपन न रुक जाए। 
  2. अगर आप घर के अंदर हैं तो बाहर जाने की कोशिश न करें। अधिकतर चोटें गिरते मलबे की वजह से होती है। खिड़कियों, शीशे और भारी वस्तुओं से दूर रहें।  
  3. जब आप बाहर हों तो इमारत, पेड़, बिजली के खंभे और अन्य संरचनाओं से दूर किसी खुली जगह पर जाएं। कंपन रुकने तक खुले स्थान पर ही रहें और गिरते मलबे से सावधान रहें। 
  4. भूकंप आने के दौरान अगर आप गाड़ी चला रहें हैं तो गाड़ी को सबसे पहले किसी सुरक्षित स्थान पर रोकें। ओवरपास, पुल और बिजली खंभों से दूर रहें। सीट बेल्ट बांधकर अपने गाड़ी में ही रहें। भूकंप रुकने के बाद सावधानी से आगे बढ़ें। 
  5. भूकंप के दौरान ख़बरों को ध्यान से सुनें और आपातकालीन अपडेट्स का पालन करें। अगर आप कहीं फंसे हुए हैं तो मदद के लिए मेसज करें। भूकंप के बाद होने वाले बाद के खतरे से भी सतर्क रहें। 
  6. अपने परिवार और दोस्तों से संपर्क करके बताएं कि आप सुरक्षित हैं। 

इस दौरान शांत रहे और सोच-समझकर आगे की चीज़ें करें। ( यह सुझाव व जानकारी एनडीटीवी द्वारा दी गई है) फिलहाल, भूकंप में बाद होने वाले संभावित खतरों को लेकर लोगों को सुरक्षित रहने के लिए कहा गया है। 

 

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