जिला महोबा ब्लॉक जैतपुर में आये दिन इंटरनेट की समस्या रहती है। जिसकी वजह से लोगों को काफी ज़्यादा समस्याएं हो रही हैं। लोगों का कहना है कि जबसे सरकार ने सभी कामों के लिए ऑनलाइन रजिस्ट्री शुरू की है, तब से किसी भी काम को पूरा करने के लिए कोई भी व्यवस्था नहीं बन पा रही है। महोबा जिले के सबसे बड़े तहसील कुलपहाड़ में 272 गाँव हैं। जहां मध्यप्रदेश के बॉर्डर से कई लोग रजिस्ट्री का काम करवाने आते हैं। लेकिन जब इंटरनेट नहीं चलता तो वह हताश होकर वापस चले जाते हैं। एडवोकेट सुजान सिंह का कहना है कि जब से ऑनलाइन व्यवस्था शुरू की गयी है तब से सरकार इस मामले में नाकमयाब रही है।
पैसे वापस ले जाने पर सताता है चोरी का डर
जब भी किसान अपनी ज़मीन की ऑनलाइन रजिस्ट्री के लिए दुकान या संबंधित विभाग पहुँचते हैं तो ऑनलाइन वेबसाइट काम ही नहीं करती। किसानों को वापस जाने में खतरा भी महसूस होता है क्यूंकि जब ज़मीन की रजिस्ट्री नहीं होती तो लाये हुए पैसे उन्हें वापस ले जाने पड़ते हैं। जिससे चोरी की संभावना ज़्यादा बढ़ जाती है। कई किसान ऐसे भी हैं,जिनके पैसे कुछ अंजान लोगों द्वारा वापस ले जाने के दौरान चुरा लिए गए।
सरकार को रजिस्ट्री के लिए देने चाहिए दो विकल्प
लोगों का कहना है कि सरकार को उन्हें दो विकल्प देने चाहिए। एक तो, अगर ऑनलाइन वेबसाइट नहीं चल रही तो पहले की ही तरह नियुक्त अधिकारी ज़मीन की रजिस्ट्री कर दे। ताकि किसानों को ज़्यादा समस्याओं का सामना ना करना पड़े और उनके पैसे चोरी होने की आशंका भी ना रहे। दूसरा यह है कि अगर इंटरनेट चल रहा है तो उससे भी किसानों के ज़मीन की रजिस्ट्री का काम होते रहे।
ऑनलाइन प्रक्रिया की वजह से हो रही है घर चलाने में मुश्किल
राजेश शर्मा एडवोकेट हैं। उनका कहना है कि उन्हें मिलाकर कुल 135 एडवोकेट हैं जो की सिर्फ रजिस्ट्री का काम करते हैं। जो भी किसान अपने ज़मीन की रजिस्ट्री के लिए आते थे, वह उनका काम करके ही उन्हें वापस भेज देते थे। इसी काम से ही उनका घर-परिवार भी चलता था। लेकिन जब से कोरोना महामारी आयी, तब से वह हर एक चीज़ के लिए मोहताज़ हो गए क्यूंकि अब रजिस्ट्री का काम नहीं हो रहा है। साथ ही उनका यह भी कहना है कि ऑनलाइन रजिस्ट्री नेटवर्क नहीं होने पर हो नहीं पाती।
जिसकी वजह से सभी परेशान हैं। सरकार को पुराना सिस्टम लागू कर देना चाहिए। कुलपहाड़ के तहसील और रजिस्ट्रार प्रभारी अनिल शर्मा का कहना है कि लगभग 99 लाख रजिस्ट्री एक महीने में होना चाहिए। लेकिन जब सरकार ने ही ऑनलाइन रजिस्ट्री के नियम लागू कर दिए हैं तो वह उसे बदल नहीं सकते।
सवाल तो यह है कि जब नेटवर्क की वजह से किसानों का काम इतने समय से रुक रहा है तो सरकार ने जिले या गाँव में अच्छे नेटवर्क के लिए टावर या खंभे क्यों नहीं लगवाए ? साथ ही, अगर ऑनलाइन प्रक्रिया शुरू करने की वजह से अगर एडवोकेट को परेशानी हो रही है तो उनकी समस्याओं के लिए अभी तक कुछ क्यों नहीं किया गया ? क्या अंजान लोगों द्वारा किसानों से चुराए गए पैसे , सरकार उन्हें वापस कर सकती हैं ? जिनका सामना उन्हें ऑनलाइन प्रक्रिया सही प्रकार से ना चलने की वजह करना पड़ा।