सहजन सिर्फ स्वाद के लिए ही नहीं, बल्कि सेहत के लिए भी अत्यंत लाभकारी है। इसकी पत्तियों का इस्तेमाल घरेलू इलाज में किया जाता है। चोट लगने पर इसके पत्तों को तेल और नमक के साथ गर्म कर लगाने से दर्द और सूजन में राहत मिलती है।
रिपोर्ट – सुशीला, लेखन – कुमकुम
सहजन, जिसे कई जगहों पर मुनगा भी कहा जाता है। इसे अंग्रेजी में ड्रम स्टिक / Drumstick कहते हैं। इसकी सब्जी बहुत ही मजेदार होती है। सहजन का इस्तेमाल दक्षिणी भारत में प्रसिद्ध व्यंजन सांभर बनाने में भी किया जाता है। वही सांभर जिसे आप ने डोसा के साथ खाया होगा। यह एक ऐसा पौधा है जो अपने बहुपयोगी गुणों और औषधीय महत्व के कारण आज गांव से लेकर शहर तक प्रसिद्ध हो चुका है। वाराणसी जिले के चोलापुर ब्लॉक के पाल ग्राम सभा में यह पौधा बड़ी संख्या में पाया जाता है। यहां के लोग इसे न सिर्फ अपनी थाली का हिस्सा मानते हैं, बल्कि इसकी खेती से अच्छी आमदनी भी करते हैं।
सहजन की खेती और फल देने की प्रक्रिया
सहजन का पौधा एक साल के भीतर फल देने लगता है। इसकी खास बात है कि इसे उगाने के लिए ज्यादा खाद, पानी या देखरेख की जरूरत नहीं होती। यह बिना किसी रासायनिक खाद के भी अच्छा उत्पादन देता है। सहजन का पेड़ तीन महीने – फरवरी से अप्रैल तक फल देता है, जो इसके मुख्य मौसम माने जाते हैं। इस अवधि में गांव के खेतों से लेकर बाजार तक सहजन की मांग तेज हो जाती है।
बाजार में सहजन की मांग और कीमत
फरवरी से जब इसकी फलियाँ निकलनी शुरू होती हैं, तो बाजारों में इसकी कीमत 30 रुपए से 40 रुपए प्रति पाव (250 ग्राम) तक पहुंच जाती है। शुरुआत में यह 20 रुपए पाव (250 ग्राम) तक बिकता है, फिर जैसे-जैसे उत्पादन बढ़ता है, 15 रुपए पाव की दर से भी बिकने लगता है। बाजारों, सब्ज़ी मंडियों और ठेलों पर सहजन की भरपूर मांग रहती है। इसकी लोकप्रियता का कारण न सिर्फ इसका स्वाद है, बल्कि इसका औषधीय महत्व भी है।
सहजन की सब्ज़ी का स्वाद और सेहत का मेल
सहजन की सब्ज़ी बनाने की प्रक्रिया भी खास होती है। सबसे पहले फलियों को छोटे-छोटे टुकड़ों में काटा जाता है। फिर इन्हें पानी से अच्छी तरह धोया जाता है। इसके बाद प्याज़, लहसुन, अदरक, मिर्च और मसालों को मिक्सी में पीसकर एक पेस्ट तैयार किया जाता है। इस पेस्ट को तेल में भूनकर टमाटर और सहजन के टुकड़ों के साथ पकाया जाता है। इस सब्जी में सरसों के दाने और पीसा हुआ सरसों डालने पर स्वाद और बढ़ जाता है। लगभग 15-20 मिनट तक धीमी आंच में पकाने के बाद यह सब्ज़ी तैयार हो जाती है, जो स्वाद में लाजवाब होती है।
औषधीय गुणों से भरपूर
सहजन सिर्फ स्वाद के लिए ही नहीं, बल्कि सेहत के लिए भी अत्यंत लाभकारी है। इसकी पत्तियों का इस्तेमाल घरेलू इलाज में किया जाता है। चोट लगने पर इसके पत्तों को तेल और नमक के साथ गर्म कर लगाने से दर्द और सूजन में राहत मिलती है। यही वजह है कि हर गांव में सहजन का एक पेड़ जरूर होता है।
कम लागत, अधिक मुनाफा
आज के समय में जहां अधिकतर फसलें रासायनिक खाद और सिंचाई पर निर्भर हैं, वहीं सहजन बिना अधिक देखभाल के भी अच्छा उत्पादन देता है। यह किसानों के लिए एक फायदेमंद विकल्प बन चुका है। इसके पौधे लगाने में ज्यादा खर्च नहीं आता। एक बार फल देना शुरू कर दे तो सालों तक उपज देता रहता है।
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