पन्ना जिले में लगातार कई बड़े अधिकारी रिश्वत लेते पकड़े गए हैं पर पहली बार ऑपरेशन के बदले रिश्वत के मामले में लोकायुक्त ने जिला चिकित्सालय पन्ना में तैनात डॉक्टर गुलाब तिवारी को 6 फ़रवरी को रंगे हाथों गिरफ्तार किया है।जिससे स्वास्थ्य विभाग में हड़कंप मचा हुआ है।
क्या है पूरा मामला?
शिकायतकर्ता मुकेश कुशवाहा ने बताया की उनसे ऑपरेशन के बदले 5 हजार रुपये की मांग की गई। मुकेश कुशवाहा फिशर नामक बीमारी से पीड़ित हैं और इस लायक नहीं हैं की वह पैसा दे सके। परेशान होकर इसकी शिकायत लोकायुक्त से की थी जिसकी कार्यवाही करते हुए डॉक्टर को रंगे हाथों गिरफ्तार किया गया है।
ऑपरेशन के नाम पर मांगी थी रिश्वत
फरियादी मुकेश ने बताया कि जिला अस्पताल गए थे जहां पहले डॉक्टर ने कहा कि सिकाई करा लीजिए। मेरा दर्द बढ़ रहा था और आराम नहीं मिल रहा था तब डॉक्टर ने ऑपरेशन करने की सलाह दी। लेकिन 7 दिन हो गए थे भारती किये हुए लेकिन कुछ इलाज नहीं हुआ। नर्स से पूछने पर बोलती की डॉक्टर नहीं हैं। अभी राउंड में है। और नर्स ने कहा कि 12:00 बजे से कुछ भी नहीं खाना है क्योंकि ऑपरेशन करना है फिर डॉक्टर ने 5000 की मांग की। जब हमने कहा कि हमारे पास नहीं हैं तो डॉक्टर के द्वारा कहा गया कि ठीक है कुछ पैसे कम कर लिए जाएंगे।
फरियादी ने लोकायुक्त से की शिकायत
मुकेश ने बताया कि हमारे पास 4000 भी नहीं है तो कहाँ से दूँ। परेशान होकर सागर लोकायुक्त टीम में शिकायत की तो टीम के द्वारा एक रिकॉर्डर दिया गया। बोला गया की इसमें सब रिकॉर्ड कर लेना। लोकायुक्त की टीम के द्वारा मौके पर जांच की गई तो सही पाया गया। जहां पर पुलिस ने इन्हें रंगे हाथों गिरफ्तार किया।
एक लाख रिश्वत लेते पकड़ा जा चुका है तहसीलदार
वही लोकायुक्त के डीएसपी राजेश नायक खेड़े का कहना है की बीमारी के ऑपरेशन के बदले पैसे मांगने की शिकायत हुई थी हमने 6 फ़रवरी को डॉक्टर को रंगे हाथों पकड़ा है। सरकारी नियम के तहत इन पर कड़ी कार्यवाही की जाएगी। बता दें की बीते कुछ दिन पूर्व ही एक तहसीलदार उमेश तिवारी एक लाख की रिश्वत लेते हुए पकड़ा गया था। अब एक डॉक्टर के पकड़े जाने से सरकारी अस्पताल में हड़कंप मच गया है।
अस्पतालों में मरीजों का सही इलाज हो सके इसके लिए आयुष्मान कार्ड बनाए जा रहे हैं। जिससे लोग सरकारी अस्पताल में फ्री दवाई करवा सके। वहीं दूसरी ओर देखा जा रहा है कि घुसखोरी के मामले आये दिन सामने आ रहे हैं। अब सवाल यह है की क्या सरकार ऐसे मामले पर रोंक लगा पायेगी? या गरीब ऐसे ही घुसखोरी का शिकार होते रहेंगे।