उत्तर प्रदेश बांदा जिला के जसपुरा ब्लाक के गांव मुहावरा के रहने वाले दिव्यांग पैलानी तहसील में ज्ञापन देकर आए हैं। उनकी मांग है कि प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत उन्हें भी आवास दिया जाए। आवास यानी घर, किसी भी व्यक्ति की मूल आवश्यकताओं में से एक है। इस मामले में एसडीएम राम कुमार का कहना है कि उनके पास जो भी दिव्यांग की सूची आयी थी, उन्होंने उसके बारे में बीडीओ को जानकारी दे दी है।
आवास की मांग को लेकर अब बीडीओ और सचिव यह जांच करने के बाद कि कौन आवास के पात्र है और कौन नहीं, इसके बाद ही लोगों का नाम सूची में शामिल किया जाएगा। उन्हें ही आवास मिलेगा। गांव के प्रधान अशोक सिंह का भी यही कहना है कि पात्रता के अनुसार ही लोगों को आवास दिया जाएगा। प्रधानमंत्री आवास योजना की शुरुआत 25 जून 2015 में यह कहकर शुरू की गई थी कि साल 2022 तक सभी ग्रामीणों के पास उनका अपना घर होगा।
लेकिन 2021 खत्म होने को है और लोगों को यह भी नहीं पता कि आवास सूची में उनका नाम है भी या नहीं। क्या एक साल में सभी को सरकार की योजना के तहत घर मिल पाएगा? साथ ही योजना को शुरू हुए लगभग पांच साल हो गए हैं और अभी तक सरकार बस लोगों की पात्रता की जांच कर रही है। फिर वह उनका घर कब बनवायेगी? आखिर लोगों को अपने घर का इंतज़ार कब तक करना होगा?