कुछ दिन पहले राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) ने भी योगी आदित्यनाथ के बयान का समर्थन किया था। उनका कहना था कि इस बयान का मतलब यह था कि हिंदुओं को जाति, भाषा और धर्म के आधार पर विभाजित नहीं होना चाहिए, बल्कि उन्हें एकजुट होना चाहिए। लेकिन देश क्या सिर्फ हिन्दुओं का है?
यूपी की 9 विधानसभा सीटों पर होने वाले उपचुनाव के बीच पार्टियों ने वोट बटोरने के लिए अपने-अपने नारे मंच पर रख दिए हैं। ये नारे कथित तौर पर देश को एकजुट करने और उसी लाइन में काटने और बांटने की बात करते हैं। जहां देश के लिए तथाकथित तौर पर काम करने वाली पार्टियों इन नारों के दम पर उज्जवल भविष्य लाने की पेशकश करती हैं।
भाजपा के नेतृत्व वाली योगी सरकार ‘बंटेंगे तो कटेंगे’ के नारे के साथ आगे बढ़ रही है। इसमें विपक्षी पार्टियां पीछे नहीं हैं। कांग्रेस से राहुल गांधी कहते हैं, ‘न बंटेंगे, न काटेंगे’। वहीं बसपा सुप्रीमो मायावती कहती हैं,’बीएसपी से जुड़ेंगे तो आगे बढ़ेंगे।’
ये नारे एक समुदाय,एक विचारधारा व पार्टियों के नज़रिये को सामने रखने का काम कर रहे हैं। हर पार्टी यह दिखाने के प्रयास में है कि देश में अलगाव की विचारधारा उन्हें छोड़कर सबमें है। उनकी केंद्रित व तथाकथित राष्ट्र की पहचान में वे सबको शामिल करते हैं,’सबको!’
यह नारे कथित तौर पर लोगों के ‘एकजुट’ होने से ज़्यादा वोट समूहों को टारगेट करते हैं। उनके विचारों को झकझोरते हैं और एक समय पर आने के बाद ‘भड़काऊ भाषण’ के वर्ग में आ जाते हैं।
भड़काऊ भाषण वे होते हैं जो लोगों को उत्तेजित करते हैं,नफ़रत, हिंसा व असामाजिक गतिविधियों को उकसाने का काम करते हैं। इन भाषणों या नारों की कोई सीमा-क्षेत्र नहीं होता। यह एक जगह से दूसरे जगह सफर करते हैं।
सीएम योगी का नारा ‘बंटेंगे तो कटेंगे’ महाराष्ट्र में भी सुनने और देखने को मिला। महाराष्ट्र में आने वाले दिनों में उपचुनाव होने हैं।
बीबीसी हिंदी की प्रकाशित रिपोर्ट के अनुसार, कुछ दिन पहले मुंबई के अंधेरी, बांद्रा कला नगर, ठाणे, जोगेश्वरी जैसे कई इलाकों में योगी आदित्यनाथ के बैनर देखे गए थे। इन बैनरों पर योगी आदित्यनाथ के उत्तर प्रदेश और फिर हरियाणा चुनाव में दिया गया नारा ‘बंटेंगे तो कटेंगे’ लिखा हुआ था। रिपोर्ट के अनुसार, ये बैनर मुंबई बीजेपी के पार्टी सदस्य विश्वबंधु राय ने लगाए थे।
बीबीसी मराठी से बात करते हुए विश्वबंधु राय ने बताया था कि, ”योगी आदित्यनाथ के मुंबई और महाराष्ट्र में कई प्रशंसक हैं। मैंने यह संदेश देने के लिए बैनर लगाए थे कि महाराष्ट्र में होने वाले चुनाव में हिंदुओं को एकजुट होना चाहिए।”
वे कहते हैं, “योगी आदित्यनाथ ने नारा दिया था कि अलग-अलग जातियों में बंटने की बजाय हिंदू बनकर एक साथ रहो। इसलिए ये बैनर मुंबई में भी लगाए गए।”
कुछ दिन पहले राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) ने भी योगी आदित्यनाथ के बयान का समर्थन किया था। उनका कहना था कि इस बयान का मतलब यह था कि हिंदुओं को जाति, भाषा और धर्म के आधार पर विभाजित नहीं होना चाहिए, बल्कि उन्हें एकजुट होना चाहिए। लेकिन देश क्या सिर्फ हिन्दुओं का है?
वायरल होते नारों के बीच विपक्षी पार्टियां पीछे कैसे रह सकती थीं। समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने हाल ही में सीएम योगी के नारे पर टिप्पणी की और कहा, ”देश के इतिहास में किसी भी राजनीतिक दल ने इससे अधिक नकारात्मक नारा नहीं दिया है।”
द हिन्दू की प्रकाशित रिपोर्ट के अनुसार, सपा ने दावा किया है कि उनका नारा भाजपा के ‘बांटने’ वाले नारे का मुकाबला करने को लेकर है। कहा, आने वाला उपचुनाव टेस्ट की तरह होगा जो यह बताएगा कि किसकी विचारधारा सफल होती है। अखिलेश यादव ने X (पूर्व में ट्विटर) पर पोस्ट करते हुए कहा, “जैसा व्यक्ति का दृष्टिकोण होता है, वैसा ही उसका नारा होता है।”
सपा की सरकार “मठाधीश बाटेंगे और काटेंगे, पीडीए (पिछड़ा, दलित, अल्पसंख्यक) जुड़ेगी और जीतेगी” को आधार बना अपने चुनावी नारे लगा रही है।
इसमें कोई भी पार्टी पीछे नहीं है, मायावती की बसपा पार्टी भी नहीं। बसपा सुप्रीमो ने भी दोनों पार्टियों का मुकाबला करने के लिए अपना नारा पेश किया। मायावती ने अपने ‘X’ (पूर्व में ट्विटर) हैंडल पर पोस्ट करते हुए कहा, “बीएसपी से जुड़ेंगे तो आगे बढ़ेंगे, सुरक्षित रहेंगे।”
भाजपा के उत्तेजित करने वाले नारे के बाद अधिकतर विपक्षी पार्टियों ने उसी नारे के इर्द-गिर्द अपने नारे बनाये। क्यों, क्योंकि यह चुनाव का समय है। हर पार्टी जनता को उकसाने के प्रयास में है। कोई हिन्दू राष्ट्र के नाम पर, कोई जाति के नाम पर तो कोई सबको आगे लेकर बढ़ने के नाम पर। जो यह कह रहा है कि वह सबके ‘एकजुट’ होने की बात कर रहा है तो वह झूठ है। पार्टियों से लेकर लोगो के हित के लिए कही जा रही तथाकथित सभी बातें केंद्रित हैं व वे केवल अपनी विचारधाराओं का भरण-पोषण करती है, लोगों का नहीं।
बता दें, इन 9 क्षेत्रों में उपचुनाव होने हैं: अम्बेडकर नगर का काठेहरी, मुरादाबाद का कुंदरकी, गाजियाबाद का गाजियाबाद, मिर्जापुर का मझवान, कानपुर का सिसामऊ, मैनपुरी जिले का करहल, अलीगढ़ का खैर, प्रयागराज का फूलपुर और मुज़फ्फरनगर जिले का मीरापुर।
यदि आप हमको सपोर्ट करना चाहते है तो हमारी ग्रामीण नारीवादी स्वतंत्र पत्रकारिता का समर्थन करें और हमारे प्रोडक्ट KL हटके का सब्सक्रिप्शन लें